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इतिहास बदलने की क्यों मच गई है होड़? शहरों के नाम के बाद अब स्कूली सिलेबस की बारी

Mughal History NCERT Syllabus: खुद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने इतिहास को दोबारा लिखने की बात कही थी. उन्होंने इतिहासकारों से कहा कि वो दोबारा इतिहास लिखें, इसके लिए सरकार पूरा समर्थन देगी.

Mughal History NCERT Syllabus: स्कूली सिलेबस से मुगलों का इतिहास हटाने को लेकर जमकर बहस जारी है. इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार विपक्ष के निशाने पर है, विपक्षी नेता आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी सरकार इतिहास बदलने की कोशिश कर रही है. इस पर NCERT की तरफ से सफाई भी सामने आई, जिसमें कहा गया कि पढ़ाई के बोझ को कम करने के लिए मुगलों के चैप्टर हटाने का फैसला लिया गया है. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब मुगलों से जुड़ी किसी चीज को बदला या फिर हटाया गया हो. इससे पहले भी देश और खासतौर पर यूपी में मुगलकाल की कई सड़कों और जगहों के नाम बदले जा चुके हैं. इसके अलावा बीजेपी नेता खुलकर इतिहास बदलने की बात करते आए हैं. इस पूरे ट्रेंड को समझने के लिए हमने मशहूर इतिहासकार इरफान हबीब से बातचीत भी की. 

क्या है मौजूदा विवाद?
पहले इस ताजा मामले को समझते हैं. दरअसल NCERT की 12वीं क्लास की किताबों से कुछ चैप्टर हटाए गए हैं, जिनमें 'थीम्‍स ऑफ इंडियन हिस्‍ट्री 2' के चैप्‍टर 'किंग्‍स एंड क्रॉनिकल्‍स: द मुगल कोर्ट' को हटाया गया है. पॉलिटिकल साइंस से भी कुछ चैप्टर हटाए गए हैं. जिसमें कांग्रेस शासनकाल पर आधारित एरा ऑफ वन पार्टी डॉमिनेंस शामिल है. इसके अलावा 11वीं के सिलेबस से भी कुछ हिस्से हटाए गए हैं. जिसमें सेंट्रल इस्लामिक लैंड और कन्फ्रंटेशन ऑफ कल्चर्स जैसे चैप्टर शामिल हैं.  इसमें मुगलों का इतिहास बताया गया था, जिसे पिछले कई सालों से स्कूलों में पढ़ाया जा रहा था. जैसे ही ये खबर सामने आई तो राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई. 

जमकर बवाल के बाद आखिरकार NCERT के डायरेक्टर दिनेश प्रसाद सकलानी सामने आए और इसे लेकर सफाई दी.  NCERT डायरेक्टर सकलानी ने कहा कि "ये बात बिल्कुल झूठ है कि इतिहास को बदला जा रहा है. कोरोनाकाल के दौरान से सिलेबस कम करने की कोशिश शुरू हुई थी, जिसके तहत ये किया गया है. मुगलों का इतिहास सिलेबस से नहीं हटाया गया है, जिन चीजों का रिपीटिशन हो रहा था उन्हें हटाया गया है."

'अब तक पढ़ाया जा रहा था झूठ'- यूपी डिप्टी सीएम
NCERT के डायरेक्टर ने तो इस पूरे विवाद पर सफाई दे दी, लेकिन यूपी के डिप्टी सीएम ने इस विवाद को और आगे बढ़ाने का काम कर दिया. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने साफ कह दिया कि अब तक गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा था. उन्होंने कहा, "जो अच्छी चीजें देश की पहले से ही पढ़ाई जानी चाहिए थी वो नहीं पढ़ाई जा रही थी, उसे छिपाया जा रहा था. सच को छिपाया गया और झूठ को पढ़ाया गया. अब सच को पढ़ाने की तैयारी है उसका वेलकम है."

यानी उत्तर प्रदेश सरकार खुलेतौर पर ये मानने के लिए तैयार है कि मुगल चैप्टर्स को हटाना एक अच्छा कदम है. जिस सिलेबस को पिछले कई दशकों से बच्चों को पढ़ाया जा रहा था, उसे सीधे तौर पर झुठलाया जा रहा है. यूपी के डिप्टी सीएम का कहना है कि सच को छुपाकर झूठ को पढ़ाया जा रहा था. लेकिन ये पहली बार नहीं है जब मुगल इतिहास को लेकर ऐसा कोई फैसला लिया गया हो. इससे पहले शहरों और सड़कों के नाम बदलने के फैसले भी इसी का एक उदाहरण हैं. यूपी सरकार ने पिछले कुछ सालों में कई जगहों के नाम बदले हैं.

इसके अलावा कई शहरों के नाम बदलने का प्रस्ताव भी दिया जा रहा है. नाम बदलने को लेकर जब भी सवाल किए गए तो बीजेपी नेताओं ने खुलकर जवाब दिया कि मुगलिया शासनकाल के नामों को देश से हटाया जाना चाहिए, जिसके लिए ये सब किया जा रहा है. 

'धर्म के आधार पर नहीं बंट सकता इतिहास'
मशहूर इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब से जब हमने इतिहास बदलने के इस ट्रेंड पर सवाल किया तो उन्होंने कहा, "इस फैसले में इतिहास कम और आज ज्यादा है. हर वो चीज बदलने की कोशिश की जा रही है जिससे आज की राजनीति में फायदा हो. ये मुगलों की बात कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ गांधी को भी हटा रहे हैं. आप इस सबको हटा भी देंगे तो ये इतिहास का हिस्सा तो रहेगा ही. इतिहास तो इतिहास ही रहेगा. अगर आप मुगलों को नहीं पढ़ाएंगे तो भारतीय राजाओं का क्या होगा. अगर अकबर को नहीं पढ़ाएंगे तो महाराणा प्रताप का क्या होगा, हल्दीघाटी की लड़ाई किससे होगी? औरंगजेब को गायब कर दोगे तो शिवाजी महाराज को कैसे पढ़ाओगे? इन्हें ये पता नहीं है कि इतिहास को धर्म के आधार पर बांटा नहीं जा सकता है. ये एक दूसरे से जुड़ी हुई है, जिसमें अच्छी और बुरी दोनों चीजें हैं."

प्रोफेसर इरफान हबीब ने आगे कहा कि आप ये सब करके ऐसी जेनरेशन पैदा करने वाले हैं जिसे ये पता नहीं होगा कि हमारे इतिहास में क्या हुआ था, जो अपने इतिहास को नहीं जानेंगे वो कैसे अपने भविष्य का निर्माण करेंगे. बीजेपी सरकार के इस मूव पर उन्होंने कहा, मुगल वाले मुद्दे पर पोलेराइजेशन की कोशिश की जा रही है. आपको सिर्फ हिंदू-मुस्लिम विवाद ही दिखाई दे रहा है. इतिहास में काफी कुछ अच्छा है. ये ट्रेंड बहुत ज्यादा खतरनाक है. ये हमारे इतिहास के साथ खिलवाड़ है, जिसे हम आज नहीं समझ पा रहे हैं. 

दोबारा इतिहास लिखने की कोशिश?
बीजेपी नेताओं की तरफ से लगातार मुगलिया इतिहास को हटाने और इतिहास बदलने वाले बयानों के बाद विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि बीजेपी खुद के हिसाब से इतिहास लिखने की कोशिश कर रही है और इसके साथ छेड़छाड़ कर रही है. वहीं बीजेपी के बड़े नेता खुद इस बात पर मुहर लगाते दिख रहे हैं. 

गृहमंत्री अमित शाह ने दिया था बयान
दिल्ली में आयोजित असम सरकार के एक इवेंट में खुद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने इतिहास को दोबारा लिखने की बात कही थी. उन्होंने इतिहासकारों से कहा कि वो दोबारा इतिहास लिखें, इसके लिए सरकार पूरा समर्थन देगी. अमित शाह ने कहा था, "मैं खुद इतिहास का छात्र रहा हूं, कई बार सुनने को मिला कि इतिहास को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया. उसे तोड़ा-मरोड़ा गया है. शायद ये बात कहीं न कहीं सच है, इसे हमें अब ठीक करना होगा. हमारे इतिहास को सही और गौरवशाली तरीके से लिखने से हमें कौन रोक रहा है. आगे आइए, शोध कीजिए और इतिहास को दोबारा लिखिए."

इसी इवेंट में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने भी यही बात दोहराई थी. बीजेपी के फायर ब्रांड नेता बिस्व सरमा ने कहा था कि वामपंथी इतिहासकारों ने भारत के इतिहास से छेड़छाड़ की और भारत को एक हारे हुए पक्ष के तौर पर दिखाया. मुगलों को हराने वाले भारतीय राजाओं को इन इतिहासकारों ने जगह नहीं दी. इस दौरान उन्होंने इतिहास को फिर से लिखे जाने की बात कही. 

यानी विपक्षी नेता भले ही कितने भी आरोप लगाएं और हमलावर हो जाएं, मुगलकाल और उसके इतिहास को लेकर बीजेपी नेताओं का साफ रुख है. शहरों और जगहों के नाम बदलने का सिलसिला पिछले कई सालों से जारी है, जो आगे भी देखने को मिल सकता है. वहीं सिलेबस में बदलाव के बाद भी बीजेपी नेता खुलकर इसका स्वागत कर रहे हैं, यानी ऐसे फैसले देश में आगे भी नजर आ सकते हैं. 

ये भी पढ़ें - India Justice Report: देश के इन राज्यों में जल्दी मिलता है न्याय, जजों की कमी के चलते सालों से लंबित पड़े हैं मामले

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