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न होकर भी अपने इन किरदारों में जिंदा हैं इरफान खान

30 साल से भी ज्यादा वक्त से एक्टिंग की दुनिया में शरीक इरफान ने टीवी सीरीज से लेकर फिल्मों के अपने किरादारों के जरिए लोगों के दिलों में अपनी छाप छोड़ी. इन किरदारों में 'बद्रीनाथ/सोमनाथ', 'मखदूम मोहिउद्दीन', 'पान सिंह तोमर', 'राणा चौधरी' और 'राज बत्रा' जैसे किरदार शामिल हैं.

दिवंगत अभिनेता इरफान खान ने अपनी जिंदगी में रुपहले पर्दे के जिन किरदारों को जिया वे हमेशा के लिए अमर हो गए हैं. एक कलाकार के लिए ये सबसे ज्यादा खुशी की बात होती है कि उन्हें अपने किरादारों के लिए भी याद किया जाए. 30 साल से भी ज्यादा वक्त से एक्टिंग की दुनिया में शरीक इरफान ने टीवी सीरीज से लेकर फिल्मों के अपने किरादारों के जरिए लोगों के दिलों में अपनी छाप छोड़ी. इन किरदारों में 'बद्रीनाथ/सोमनाथ', 'मखदूम मोहिउद्दीन', 'पान सिंह तोमर', 'राणा चौधरी' और 'राज बत्रा' जैसे किरदार शामिल हैं. आइए चलते हैं इस महान कलाकारों के इन किरदारों के सफर पर..

'पान सिंह तोमर', 'राणा चौधरी' और 'राज बत्रा' जैसे किरदार को इरफान खान ने अपनी अदायगी से अमर कर दिया है. फिल्म 'पान सिंह तोमर' में बीहड़ के बागी 'पान सिंह तोमर' के किरदार को उन्होंने न सिर्फ अपने वर्सेटाइल होने का सबूत दिया बल्कि उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि वह हर उम्र के किरदार में खरे उतर सकते हैं.

न होकर भी अपने इन किरदारों में जिंदा हैं इरफान खान

फिल्म 'पीकू' में इरफान, 'राणा चौधरी' के किरदार में नजर आए जो एक ट्रेवल एजेंसी चलाता है और ड्राइवर्स की किल्लत की वजह से कोलकाता अपने क्लाइंट को पहुंचाने खुद ही सफर पर निकल पड़ता है. इस किरदार में इरफान एक ऐसे प्रैक्टिकल इंसान के रूप में नजर आए जो जिंगदी को बेहद ही सीधे नजरिए से देखता है.

अपने किरदारों में इरफान आम जिंदगी के किरदार में हमेशा फिट बैठते थे. फिल्म 'हिंदी मीडियम' में राज बत्रा के अपने किरदार में वह एक ऐसे पिता किरदार में नजर आए जिसे अपने बेटे के एडमीशन के लिए ऊहापोह की जिंदगी गुजारनी पड़ती है.

इरफान खान जब 20 साल के थे और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एक छात्र थे तब उन्हें मीरा नायर की फिल्म 'सलाम बॉम्बे' (1988) के लिए चुना गया था. लेकिन दुर्भाग्य से शूटिंग शुरू होने से दो दिन पहले नायर ने उन्हें अनकॉस्ट कर दिया. लेकिन उन्होंने इरफान से अपनी फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाने का वादा किया. मीरा नायर ने अपना वादा निभाया और फिल्म 'द नेमसेक' में मुख्य नायक के रूप में खान को शामिल किया.

खान ने टेलीविजन के साथ अपने करियर की शुरुआत की और 1988 में दूरदर्शन पर शुरू किए गए एक ऐतिहासिक सीरीज 'भारत एक खोज' में कई किरदारों के रूप में अभिनय किया. श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित इस सीरीज में उन्हें ओम पुरी, रोशन सेठ, और टॉम ऑल्टर जैसे अन्य प्रसिद्ध अभिनेताओं का साथ मिला.

साल 1991 में आए सीरियल 'कहकशां' में उन्होंने क्रांतिकारी शायर 'कॉमरेड मखदूम मोहिउद्दीन' का करिदार निभाया था. कई एपिसोड में बने इस सीरियल को लोग आज यूट्यूब के जरिए याद करते हैं.

छोटे पर्दे पर इरफान लगातार रोशन हो रहे थे. उन्होंने साल 1994 में निरजा गुलेरी के निर्देशन में देवकी नंदन खत्री के उपन्यास पर आधारित फंतासी टेलीविजन सीरीज 'चंद्रकांता' में काम किया. सीरीज में उन्होंने जुड़वां भाइयों 'बद्रीनाथ/सोमनाथ' की दोहरी भूमिका निभाई. तिलिस्म से भरे इस किरदार में इरफान खान ने अपनी एक्टिंग से जान डाल दी और दर्शकों में बतौर एक कलाकार पहचाने जाने लगे.

न होकर भी अपने इन किरदारों में जिंदा हैं इरफान खान

साल 2001 में वह ब्रिटिश फिल्म निर्माता आसिफ कपाड़िया की फिल्म 'द वारियर' में सामंती राजस्थान के योद्धा के रूप में दिखाई दिए. इस छोटी भूमिका के बाद खान ने 2003 में आई फिल्म 'मकबूल' में टाइटल कैरेक्टर की भूमिका निभाई. अपने शानदार प्रदर्शन से उन्होंने समीक्षकों का दिल भी जीता.

तब से अभिनेता ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. कई बॉलीवुड और अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता लगातार अपने प्रदर्शन से प्रशंसा का पात्र बनते रहे हैं. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खान ने ऑस्कर विनर फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' (2008) से भी प्रसिद्धि पाई. आंग ली की 'लाइफ ऑफ पाई' में भी अपने किरदार से इरफान पूरी दुनिया पर छा गए.

आज अभिनेता इरफान खान इस दुनिया में नहीं हैं मगर अपने किरदारों की वजह से वह हमेशा अपने फैंस और दर्शकों के दिलों में जिंदा रहेंगे. जब भी इन किरदारों का जिक्र होना इरफान की एक्टिंग को भुलाया नहीं जा सकेगा.

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