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कहानी मशहूर कॉमेडियन देवेन वर्मा की, जिनके मां-बाप चाहते थे कि वह लॉ करें लेकिन वो बन गए एक्टर
बताते हैं कि देवेन जी थियेटर करते थे और वह अक्सर स्टूडियो के चक्कर लगाते रहते थे. धीरे-धीरे समय बीता और 1961 में देवेन जी की मुलाकात हुई अपने समय के मशहूर फिल्ममेकर बीआर चोपड़ा से.
कहानी गुज़रे ज़माने के मशहूर कलाकार देवेन वर्मा की जिन्होंने 70 और 80 के दशक की फिल्मों में अपनी कॉमेडी से जान डाल दी थी. 23 अक्टूबर 1936 को मुंबई में पैदा हुए देवेन वर्मा का असली नाम देवेंदु वर्मा था जिसे उन्होंने कॉलेज के दिनों में बदलकर ‘देवेन’ कर लिया था. आपको बता दें कि देवेन वर्मा के पिता बलदेव सिंह वर्मा अपने समय के जाने-माने फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर थे.
देवेन वर्मा की पढ़ाई-लिखाई पुणे में ही हुई थी. ख़बरों की मानें तो देवेन वर्मा को बचपन से ही एक्टर बनने का शौक था लेकिन उनके माता पिता चाहते थे कि वह लॉ करें. इसी कशमकश में देवेन ने लॉ कॉलेज में एडमिशन तो ले लिया लेकिन वकालत की पढ़ाई से जल्द ही उनका मन उचट गया था.बताते हैं कि देवेन जी थियेटर करते थे और वह अक्सर स्टूडियो के चक्कर लगाते रहते थे. धीरे-धीरे समय बीता और 1961 में देवेन जी की मुलाकात हुई अपने समय के मशहूर फिल्ममेकर बीआर चोपड़ा से. चोपड़ा साहब उन दिनों फिल्म 'धरम पुत्र' बनाने वाले थे जिसे उनके भाई यश चोपड़ा ही डायरेक्ट कर रहे थे. बीआर चोपड़ा को देवेन वर्मा जम गए, यही उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ.
देवेन्द्र वर्मा ने कई हिट फिल्मों जैसे अंगूर, अंदाज़ अपना-अपना, खट्टा-मीठा सहित कई रीजनल फिल्म्स में काम किया है. वहीं, देवेन वर्मा ने 1971 में फिल्म ‘नादान’ से बतौर डायरेक्टर इंडस्ट्री में नई पारी खेली, बता दें कि देवेन ने 5 फ़िल्में प्रोड्यूस की हैं और 4 फ़िल्में डायरेक्ट की हैं. आपको बता दें कि देवेन वर्मा 2 दिसंबर 2014 को इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं.
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अवधेश कुमारJournalist
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