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इनकम टैक्स में राहत के लिये सबकी निगाहें निर्मला सीतारमण के दूसरे आम बजट पर

जानकारों का मानना है कि वित्त मंत्री को इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव करना चाहिये. पिछले कई सालों से इनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. इस बार टैक्सपेयर इनकम टैक्स दरों में बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं.

नई दिल्लीः इनकम टैक्स में राहत पाने के लिये आम टैक्सपेयर्स की नजरें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के दूसरे आम बजट पर लगी हैं. लेकिन आर्थिक क्षेत्र में छाई सुस्ती और कंपनी टैक्स में की गई भारी कटौती को देखते हुये इनकम टैक्स में कोई बड़ी राहत देना उनके लिये कड़ी चुनौती हो सकती है.

सीतारमण को जुलाई 2019 में पेश अपने पहले बजट में इस बात को लेकर काफी आलोचना सहनी पड़ी थी कि उन्होंने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिये कुछ खास नहीं किया. इसके बाद वित्त मंत्री ने सितंबर में कंपनियों के लिये टैक्स में बड़ी कटौती की घोषणा कर सभी को हैरान कर दिया. कंपनी टैक्स में की गई इस कटौती से केन्द्र सरकार के राजस्व में 1.45 लाख करोड़ रुपये की कमी आने का अनुमान लगाया गया. इसके साथ ही कई वस्तुओं पर जीएसटी की दरों में भी कमी की गई. आवास, इलेक्ट्रिक वाहन, होटल में ठहरने का किराया, हीरे के जॉबवर्क और घर से बाहर होने वाली कैटरिंग जैसी गतिविधियों पर जीएसटी में कमी की गई.

वित्त मंत्री के सामने बड़ी चुनौतियां टैक्स दरों में की गई कटौती के साथ साथ ही कमजोर चाल से चल रही अर्थव्यवस्था में खपत में आती गिरावट, राजस्व कलेक्शन में सुस्ती के कारण बजट में तय राजस्व लक्ष्यों को हासिल करना वित्त मंत्री के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी कर रहा है.

आम टैक्सपेयर को टैक्स दरों में राहत की उम्मीद आम नौकरीपेशा और सामान्य करदाता इन सब बातों को दरकिनार करते हुये मोदी सरकार की दूसरी पारी में टैक्स दरों में राहत की उम्मीद लगाये बैठा है. सरकार ने हालांकि आम नौकरीपेशा लोगों की पांच लाख रुपये तक की टैक्स योग्य आय को पहले ही टैक्स फ्री कर दिया है. लेकिन टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया. मौजूदा स्लैब के मुताबिक ढाई लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है जबकि 2.50 लाख से पांच लाख पर पांच फीसदी , पांच से 10 लाख रुपये की सालाना आय पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से अधिक की कमाई पर 30 फीसदी की दर से इनकम टैक्स लागू है. 60 साल के वरिष्ठ नागिरक और 80 साल से ज्यादा के बुजुर्गों के लिये क्रमश तीन लाख और पांच लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री रखी गई है.

जानकारों का मानना है कि वित्त मंत्री को इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव करना चाहिये. पिछले कई सालों से इनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.

एक फरवरी 2020 को आएगा बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2020- 21 का आम बजट पेश करेंगी. जीएसटी काउंसिल की चार बैठकों की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की है. इस तरह की आखिरी बैठक दिसंबर में हुई जिसमें आर्थिक सुस्ती के चलते रेवेन्यू कलेक्शन में आ रही कमी पर गौर किया गया. इसी आर्थिक सुस्ती का परिणाम है कि जीडीपी की वृद्धि दर वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में छह साल के निम्न स्तर 4.5 फीसदी पर आ गई. इसके बाद सरकार ने अर्थव्यवस्था में गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये कई उपाय किये.

छह साल के निम्न स्तर पर आ चुकी है जीडीपी छह साल के निम्न स्तर पर पहुंच आर्थिक वृद्धि और 45 साल के उच्च स्तर पर पहुंची बेरोजगारी दर से जूझ रही सरकार ने पिछले साल सितंबर में कॉरपोरेट टैक्स की दर को करीब 10 फीसदी घटाकर 25.17 फीसदी पर ला दिया. यह दर चीन और दक्षिण कोरिया जैसे एशिया से बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुये की गई है. नई विनिर्माण इकाइयों को निवेश के लिये आकर्षित करने के लिये 15 फीसदी कर की दर तय की गई.

कॉरपोरेट टैक्स में वित्त मंत्री ने की थी कटौती वित्त मंत्री ने कंपनियों के लिये कॉरपोरेट टैक्स की मूल दर को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया, अधिभार और उपकर मिलाकर यह दर 25.17 फीसदी तक पहुंच जाती है. इसके साथ ही एक अक्टूबर 2019 के बाद विनिर्माण क्षेत्र में उतरने वाली और 31 मार्च, 2023 से पहले कामकाज शुरू करने वाली नई कंपनियों के लिये कंपनी कर की दर घटाकर 15 फीसदी कर दी गई.

एशिया के अन्य देशों के कॉर्पोरेट टैक्स यहां यह उल्लेखनीय है कि चीन, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया की कंपनियां अपने मुनाफे पर 25 फीसदी की दर से कर देती हैं. वहीं मलेशिया की कंपनियां 24 फीसदी की दर से कर भुगतान करती हैं. एशिया क्षेत्र में केवल जापान ही ऐसा देश है जहां कंपनियों के लिये कर की दर 30.6 फीसदी है. हांगकांग में सबसे कम 16.5 फीसदी की दर से कर लागू है. सिंगापुर में कॉरपोरेट कर की दर 17 फीसदी है. थाइलैंड और वियतनाम में 20 फीसदी कर लगाया जाता है.

पिछले बजट में अमीरों पर टैक्स सरचार्ज बढ़ाया गया था सीतारमण ने पिछले साल जुलाई में पेश बजट में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर सरचार्ज बढ़ा दिया था. बाद में इसे बाजार के दबाव में वापस लेना पड़ा. इसके साथ ही इक्विटी ट्रांसफर से मिलने वाले शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन को भी वापस ले लिया गया. हालांकि, बजट में अमीरों पर टैक्स सरचार्ज बढ़ा दिया गया. दो से पांच करोड़ रुपये सालाना की व्यक्तिगत आय पर बढ़े सरचार्ज के साथ प्रभावी कर की दर 39 फीसदी और पांच करोड़ रुपये से अधिक की सालाना व्यक्तिगत कमाई पर बढ़े सरचार्ज के साथ इनकम टैक्स की प्रभावी दर 42.7 फीसदी तक पहुंच गई.

बजट में स्टार्टअप कंपनियों की मुश्किल को दूर करने के भी उपाय किये गये. स्टार्ट अप निवेश पर ‘एजंल टैक्स’ को समाप्त करने के उपाय किये गये.

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