सड़क पर झाड़ू लगाकर 1 लाख के ऊपर कमा रहा है सॉफ्टवेयर इंजीनियर, आखिर क्यों मिल रहे इतने पैसे?
Russia: मुकेश ने कहा कि पहले कंपनी (Kolomyazhskoye) ने भारत से 17 मजदूरों को यहां लाने का इंतजाम किया, जिनमें से एक वह भी थे. कंपनी यहां उनके रहने-खाने का भी खर्च उठाती है.

Russia: हमारी आम धारणा यह है कि इंसान पढ़-लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर बनता है, देश या विदेश की बड़ी कंपनियों में काम करता है और ठाठ की जिंदगी जीता है. हालांकि, आज हम आपको जिस शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, वह बेशक पेशे से सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं, लेकिन काम उनका थोड़ा हटके है. हम यहां 26 साल के मुकेश मंडल की बात कर रहे हैं, जो रूस में सफाई कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे हैं. यहां इस काम को करने वाले वह अकेले भारतीय नहीं हैं, बल्कि लिस्ट में और भी लोग हैं.
काम के बदले मिलती है मोटी सैलरी
मुकेश ने हाल ही में रूसी मीडिया आउटलेट फोंटांका से सेंट पीटर्सबर्ग में सड़क सफाई कर्मचारी के तौर पर काम करने के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि वह पिछले कई हफ्तों से दूसरे भारतीय मजदूरों के साथ मिलकर कोलोम्याजस्कोये (Kolomyazhskoye) एक रोड मेनटेनेंस कंपनी के तहत सड़कों की सफाई कर रहे हैं.
मुकेश ने कहा कि पहले कंपनी (Kolomyazhskoye) ने भारत से 17 मजदूरों को यहां लाने का इंतजाम किया, जिनमें से एक वह भी थे. कंपनी यहां उनके रहने-खाने का भी खर्च उठाती है. खास बात यह है कि इस काम के बदले उन्हें मोटी रकम भी मिलती है. बताया जाता है कि हर मजदूर लगभग 100,000 रूबल कमाता है, जो भारतीय करेंसी के हिसाब से लगभग 1.1 लाख रुपये है.
Kolomyazhskoye JSC में कॉम्प्रिहेंसिव क्लीनिंग डिपार्टमेंट की एक्टिंग हेड मारिया ट्याबिना ने कहा, "ये लोग मजदूर हैं और सड़कों की सफाई करते हैं. हमारा काम उनसे मिलना और सारा पेपरवर्क संभालना है. हम उनके लिए रहने-खाने का इंतजाम करते हैं, उन्हें इस काम के बारे में समझाते हैं और सुरक्षा वाले कपड़े देते हैं- हम सब कुछ संभालते हैं. हम उन्हें खाना और डॉर्म से काम की जगह तक ट्रांसपोर्ट देते हैं. हम लंच के लिए भी ट्रांसपोर्ट देते हैं.
ग्रुप में किसान से लेकर वेडिंग प्लानर तक
Fontanka के मुताबिक, ये मजदूर 19 से 43 साल के हैं और भारत में अलग-अलग प्रोफेशनल बैकग्राउंड से आते हैं. कुछ किसान हैं, तो कुछ का अपना बिजनेस है. ग्रुप में ऐसे भी लोग शामिल हैं, जो वेडिंग प्लानर, टैनर, ड्राइवर, आर्किटेक्ट और दूसरे प्रोफेशंस से हैं. इनमें से एक सॉफ्टवेयर डेवलपर भी है.
पैसे कमाने के मकसद से रूस आए मुकेश
मंडल का दावा है कि रूस आने से पहले वह टेक सेक्टर में काम करता था. बतौर मुकेश मंडल, "मैंने ज्यादातर माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों में काम किया है और AI, चैटबॉट, GPT और ऐसी ही नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है. मैं एक डेवलपर हूं."
हालांकि, यह अभी कन्फर्म नहीं है कि मंडल माइक्रोसॉफ्ट में काम करता था या उन ऑर्गेनाइजेशन के साथ जुड़ा था, जो माइक्रोसॉफ्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं. मंडल ने बताया कि वह रूस में टेम्पररी बेसिस पर रह रहा है और पैसे कमाने के मकसद से ही आया है. उसने कहा, "इस साल मेरा प्लान रूस में रहने, कुछ पैसे कमाने और फिर वापस अपने देश लौट जाने का है."
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