जानिए, यात्रियों की बढ़ती संख्या के बीच सरकार किस तरह से कर सकती है हवाई किराए में कटौती?
सितंबर के महीने के शुरुआती छह दिनों में रोजाना 2 लाख लोगों ने हवाई यात्रा की है. अगस्त में देश में 57,498 फ़्लाइट में 65,26,753 लोगों ने हवाई यात्रा की थी.
कोविड महामारी के चलते पिछले एक साल से लंबे समय से सुस्त पड़ी एवीएशन इंडस्ट्री (aviation industry)अब एक बार फिर पटरी पर लौटती दिखाई दे रही है. सितंबर के महीने के शुरुआती छह दिनों में रोजाना 2 लाख लोगों ने हवाई यात्रा की है. अगस्त के महीने में भी इसी तरह के आंकड़े देखने को मिले थें. अगस्त में देश में 57,498 फ़्लाइट में 65,26,753 लोगों ने हवाई यात्रा की थी, जो कि जुलाई के महीने की यात्रियों की संख्या से 33 फीसदी अधिक है.
कोविड के मामलों में कमी के बाद केंद्र सरकार ने अगस्त से हवाई यात्रा के नियमों में ढील का एलान किया था. यात्रा के नियमों में ढील और यात्रियों की बढ़ती हुई संख्या इस बात का संकेत है कि, सरकार जल्द ही हवाई किराए में कटौती कर सकती है. बता दें कि, सरकार 21 जून और 13 अगस्त को दो बार घरेलू उड़ानों के किराए में बढ़ोत्तरी का एलान कर चुकी है.
क्या है हवाई किराए का नियम
पहले सरकार एक तय समय के लिए सर्क्यूलर निकालकर एयरलाइन कंपनियों को हवाई किराए को लेकर निर्देश जारी करती थी. कंपनियों को इसी को ध्यान में रखते हुए किराया तय करना होता था. सर्क्यूलर की समय सीमा खत्म होने के बाद सरकार दूसरा सर्क्यूलर जारी कर देती थी. हालांकि अब अगस्त से इन नियमों में बदलाव किया गया है.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के नए सर्क्यूलर में अब 30 दिन की समय सीमा तक मिनिमम फ़ेयर का नियम लागू रहता है. इसके बाद एयरलाइन कंपनियों को अपने मुताबिक किराया तय करने की अनुमति होती है. जिसके चलते ये कंपनियां डिस्काउंट और अन्य ऑफर के साथ टिकट दे पा रहीं हैं. हालांकि नए नियम के चलते वो कंपनियां जो डिपार्चर के समय से पहले तक कम कीमत के टिकट ऑफर करती थीं अब ऐसा नहीं कर पा रहीं है.
कैसे कम किया जा सकता है हवाई किराया
30 दिन की समय सीमा के बाद किराया बढ़ने लग जाता है. एयरलाइंस को डिपार्चर से पहले तक इस मिनिमम फेअर से कम कीमत पर टिकट बेचने की अनुमति नहीं है. सरकार को कमजोर एयरलाइंस को फायदा देने के लिए बनाए गए इस नियम को खत्म करने की जरुरत है.
साथ ही कंपनियों को भी सही बिजनेस मॉडल को चुनने की जरुरत है. ज्यादा किराए के साथ कम पैसेंजर के मुकाबले कम किराए के साथ ज्यादा से ज्यादा पैसेंजर का मॉडल ज्यादा मुनाफा देने वाला है.
30 दिन की विंडो के बाद हवाई किराया बेहद कम
30 दिन की विंडो के बाद हवाई यात्रा का टिकट बेहद कम कीमत पर मिल रहा है. मुंबई से दिल्ली की फ़्लाइट का टिकट जो इस समय 5,310 रुपये में मिल रहा है वो 30 दिन की विंडो के बाद अक्टूबर के महीने में 1,937 रुपये में मिल रहा है. लंबी दूरी की उड़ानों की बात करें तो, दिल्ली से कोच्चि का वर्तमान टिकट 7,820 रुपये का है, जबकि 30 दिन की विंडो के बाद ये 3,307 रुपये में उपलब्ध है. यही हाल बैंगलोर-गुवाहाटी, दिल्ली-चेन्नई और बैंगलोर-लखनऊ का है.
सरकार को है सही प्लान की जरुरत
हवाई किराया कम करने के लिए सरकार को सधे हुए प्लान के तहत काम करना होगा. उसके सामने यात्रियों की जेब और एयरलाइंस कंपनियों के मुनाफे के बीच बेहतर तालमेल बनाने की जरुरत है. रातों रात किराया कम करना एयरलाइंस कंपनियों के लिए चुनौती बन सकता है. इसके लिए उसे समयबद्ध तरीके से काम करना होगा.
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