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Health Insurance: अभी सिर्फ इतने क्लेम हो पाते हैं सेटल, इरडा के नए बदलाव से कितना होगा सुधार?

Claim Settlement: भारत में अभी 40 फीसदी से कम लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज है. सरकार, बीमा कंपनियां और बीमा नियामक इसके दायरे को ज्यादा से ज्यादा व्यापक बनाने का प्रयास कर रहे हैं...

भारत में हेल्थ इंश्योरेंस की पहुंच का कम होना चिंता की बात है. सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत से इसकी पहुंच का विस्तार करने और ज्यादा लोगों को सुरक्षा के दायरे में लाने में मदद तो मिली है, लेकिन अभी भी भारत इस मामले में काफी पीछे है. हेल्थ इंश्योरेंस की पहुंच को व्यापक बनाने के लिए लगातार उपाय किए जा रहे हैं. बीमा नियामक इरडा ने हाल ही में इसे लेकर नियमों में अहम बदलाव किया है.

इतने कम लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस

सबसे पहले भारत में हेल्थ इंश्योरेंस की पहुंच की बात करें तो यह आंकड़ा 50 फीसदी से भी नीचे रह जाता है. देश भर में अभी विभिन्न हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के तहत कवर होने वाले लोगों की कुल संख्या लगभग 55 करोड़ है. इसमें केंद्र सरकार की योजना आयुष्मान भारत और विभिन्न राज्य सरकारों की स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के लाभार्थी शामिल हैं. वहीं देश की जनसंख्या 1.40 अरब से ज्यादा है. मतलब हेल्थ इंश्योरेंस की पहुंच अभी बमुश्किल 40 फीसदी आबादी तक हो पाई है.

इन कारणों से कम है हेल्थ इंश्यारेंस की पहुंच

देश में हेल्थ इंश्योरेंस की कम पहुंच के लिए मुख्य रूप से दो कारणों को जिम्मेदार माना जाता है. सबसे पहला कारण है जागरूकता का अभाव. हेल्थ इंश्योरेंस न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि वित्तीय सेहत के लिए भी जरूरी हो जाता है. कोविड के बाद लोगों को इसका महत्व समझ आया है. दूसरा बड़ा कारण है हेल्थ इंश्योरेंस के क्लेम सेटलमेंट में आने वाली दिक्कतें. लोकल सर्किल्स के एक हालिया सर्वे में पता चला है कि देश में लगभग हर दूसरे हेल्थ इंश्योरेंस धारक को क्लेम सेटलमेंट में किसी न किसी प्रकार की दिक्कतें सामने आती हैं.

इरडा ने किए ये बड़े बदलाव

बीमा नियामक इरडा ने इस स्थिति मे बदलाव लाने के लिए कुछ नई पहलें की है. नए नियमों के तहत इंश्योरेंस कंपनी को कस्टमर की ओर से रिक्वेस्ट मिलने के एक घंटे के अंदर कैशलेस इलाज पर फैसला करना होगा. इसी तरह, अस्पताल से छुट्टी की रिक्वेस्ट मिलने के तीन घंटे के अंदर डिस्चार्ज की परमिशन देनी होगी. नए नियमों के मुताबिक, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को रीन्यू करने से इस आधार पर मना नहीं किया जा सकता है कि पिछले पॉलिसी ईयर में क्लेम लिया गया था. इरडा को लगता है कि इन बदलावों से हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में 100 फीसदी क्लेम सेटलमेंट रेशियो को हासिल करने में मदद मिलेगी.

इन कंपनियों का सेटलमेंट बेहतर

अभी सिर्फ दो हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों का क्लेम सेटलमेंट रेशियो 100 फीसदी है. इरडा के द्वारा जारी 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार, वे दो कंपनियां केयर हेल्थ इंश्योरेंस और निवा बुपा हेल्थ इंश्योरेंस हैं. मनिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस का क्लेम सेटलमेंट रेशियो 99.96 फीसदी, स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस का 99.21 फीसदी और आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस का 99.01 फीसदी है.

ग्राहकों को होने वाले हैं बड़े फायदे

पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस के प्रमुख सिद्धार्थ सिंघल बताते हैं कि इरडा के द्वारा किए गए बदलाव बड़े सुधारों की राह तैयार करते हैं और ग्राहकों को बड़ा लाभ पहुंचाने वाले हैं. वह कहते हैं- अब बीमा कंपनियों को तीन घंटे के अंदर कैशलेस क्लेम का निपटान करना होगा, जो ग्राहकों के लिए एक बड़ा सुधार है. बीमाकर्ताओं के नजरिए से, उन्हें अस्पतालों के साथ बेहतर काम करने और अपनी प्रक्रियाओं में सुधार करने की आवश्यकता है. नेशनल हेल्थ क्लेम एक्सचेंज के माध्यम से मेडिकल रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण हेल्थ क्लेम की जानकारी को सटीक और विश्वसनीय रूप से साझा करना आसान बनाकर चीजों को गति दे रहा है. यह इंडस्ट्री को और अधिक अच्छे से काम करने में सक्षम बनाता है साथ ही बेहतर ग्राहक संतुष्टि प्रदान करता है.

सुधार के लिए इस एक चीज की जरूरत

हालांकि सिंघल का मानना है कि इसे अच्छी तरह से काम करने के लिए, हेल्थ सर्विस और इंश्योरेंस प्रणाली में सभी को एक साथ काम करने की आवश्यकता है. वह कहते हैं- सौभाग्य से, सरकार, नियामक और सभी हितधारक इस प्रयास में एकजुट हैं, और सभी के लिए अधिक कुशल और समय पर हेल्थ इंश्योरेंस प्रणाली की दिशा में काम कर रहे हैं. ये दिशानिर्देश अधिक लोगों को कवरेज प्राप्त करने में भी मदद करते हैं, जिससे हेल्थ इंश्योरेंस अधिक समावेशी और किफायती हो जाता है. यह वरिष्ठ नागरिकों, पीईडी वाले लोग और उन लोगों को सिक्योरिटी लेयर प्रदान करता है, जो अक्सर नजरअंदाज हो जाते हैं.

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