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New Labour Laws: संसद से 5 साल पहले पारित होने के बाद भी नहीं लागू हो सका नया श्रम कानून, सरकार ने बताई ये वजह

New Labour Code: शोभा करंदलाजे ने बताया कि श्रम मंत्रालय लेबर कोड्स को लागू करने के लिए सेंट्रल ट्रेड यूनियनों और राज्यों के साथ लगातार चर्चा कर रही है.

Labour And Wage Code: श्रम कानूनों (Labour Laws) में सुधार लाने के लिए साल 2019 में ही संसद ने वेज कोड (Wage Code) के अलावा इंडस्ट्रियल रीलेशन, सोशल सिक्योरिटी, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ, और वर्किंग कंडीशन से जुड़े तीन लेबर कानून पास किए थे. इसका मकसद देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ 29 लेबर कानूनों को बदलना था. लेकिन 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी 28 में से 4 राज्यों और 8 केंद्र शाषित प्रदेशों ने वेज कोड के लेकर अब तक डॉफ्ट रूल्स जारी नहीं किया है. श्रम एंव रोजगार मंत्रालय ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रश्नकाल में ये जानकारी दी है.  

प्रश्नकाल में सरकार से सवाल पूछा गया कि ट्रेड यूनियनों के आपत्ति के चलते विवादित लेबर कोड अभी तक ऑपरेशनल नहीं हुआ है ऐसे में सरकार क्या ट्रेड यूनियनों से बात कर रही है? साथ ही जिन राज्यों ने लेबर कोड को लेकर रूल्स का डॉफ्ट जारी नहीं किया है उस प्रोसेस को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार क्या कर रही है. सरकार से ये भी पूछा गया कि क्या सेंट्रल ट्रेड यूनियन लेबर कोड्स का विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है इससे श्रमिकों के सोशल सिक्योरिटी पर चोट की जा रही है?  और इन कानूनों को लागू करने के लिए सरकार क्या कर रही है? 

इस प्रश्न के लिखित जवाब में श्रम एंव रोजगार राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे ने बताया कि 28 में से 4 राज्य और 8 केंद्र शाषित प्रदेशों ने वेज कोड को लेकर ड्रॉफ्ट रुल्स जारी नहीं किया है. साथ ही पांच राज्यों ने इंडस्ट्रियल रीलेशन कोड, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड को लेकर ड्रॉफ्ट रूल्स जारी नहीं किया है. हालांकि श्रम मंत्री ने ड्रॉफ्ट रूल्स नहीं बनाने वाले राज्यों के नामों का खुलासा नहीं किया है.     

शोभा करंदलाजे ने बताया कि श्रम मंत्रालय लेबर कोड्स को लागू करने के लिए सेंट्रल ट्रेड यूनियनों और राज्यों के साथ लगातार चर्चा कर रही है. उन्होंने बताया कि लेबर क्योंकि संयुक्त सूची (Concurrent List) में शामिल है कोड्स को नोटिफाई करने के बाद केंद्र सरकार ने ड्रॉफ्ट सेंट्रल रूल्स को लेकर दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 में तीन बार तीनों पक्षों के साथ चर्चा की है. उन्होंने बताया कि जिन राज्यों ने डॉफ्ट नियम को पब्लिश नहीं किया है उनके साथ भी बातचीत और बैठक का दौर जारी है.   

नए लेबर कोड का मकसद संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 50 करोड़ से ज्यादा वर्कर्स को इसके दायरे में लाना है क्योंकि 90 फीसदी वर्कर्स श्रम कानूनों के परिधि से बाहर हैं. इस कानून का मकसद वेज सिक्योरिटी, सोशल सिक्योरिटी, हेल्थ सिक्योरिटी के साथ ही लैंगिक आधार पर वेतन में भेदभाव ना हो, न्यूनतम वेतन मिले तथा इंटर-स्टेट प्रवासी श्रमिकों के जीवन को सरल बनाया जा सके. 

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