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बजट शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के 'बुल्गा' से हुई है, जानें ऐसी कुछ खास बातें
बजट को लेकर अब तक आपने कई तरह की खबरें पढ़ी होंगी, लेकिन आप शायद ही जानते होंगे की इस शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई या इसे बजट कैसे कहा जाने लगा. यहां जानें इन्हीं सब सवालों के जवाब.

नई दिल्ली: 5 जुलाई को पेश हाने वाले बजट को लेकर हर आम और खास में चर्चा तेज हो गई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बजट शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई थी, या फिर भारत में सबसे पहला बजट कब और किसने पेश किया था. यहां जानें इन्हीं सब सवालों के जवाब. 1. बजट शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के 'बुल्गा' शब्द से हुई है. इसे फ्रांसीसी भाषा में 'बुगेट' भी कहा जाता है. जब इस शब्द का इंग्लिश में प्रयोग किया गया तो ये 'बोजेट' हो गया बाद, आखिर में इसे बजट कहा जाने लगा. बजट में सरकार के साल भर से आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है. 2. भारत में बजट की शुरुआत अंग्रेजों ने की थी. जेम्स विल्सन को भारत में बजट का जनक माना जाता है. जेम्स विल्सन ने 18 फरवरी 1860 को पहला बजट पेश किया था. 3. आज़ादी के बाद स्वतंत्र भारत का पहला केंद्रीय बजट 26 नवंबर 1947 को भूतपूर्व वित्त मंत्री आरके शणमुखम चेट्टी की तरफ से पेश किया गया था. संविधान लागू होने के बाद 28 फरवरी 1950 को पहला बजट जॉन मथाई ने पेश किया था. 4. छोटे अवधि के लिए पेश किए जाने वाले बजट के लिए 'अंतरिम' शब्द का प्रयोग सबसे पहले 1948-49 में शणमुखम चेट्टी ने किया था. इसके बाद से जब भी किसी छोटी अवधि के लिए बजट पेश किया जाता है तो उसे अंतरिम बजट कहा जाता है. 5. हर साल बजट पेश करने से पहले हलवा सेरेमनी की रस्म मनाई जाती है. इसके पीछे मान्यता रही है कि हर शुभ काम को करने से पहले कुछ मीठा खाना चाहिए, साथ ही भारतीय परंपरा में हलवे को काफी शुभ भी माना जाता है. इस परंपरा के तहत वित्त मंत्री खुद बजट से जुड़े कर्मचारियों, बजट की छपाई से जुड़े कर्मचारियों और वित्त अधिकारियों को हलवा बांटते हैं. इस हलवे के बनने और बंटने के बाद ही बजट के दस्तावेजों के छापने की प्रक्रिया शुरू होती है. 6. भूतपूर्व प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के नाम संसद में सबसे ज्यादा बजट पेश करने का रिकार्ड है. उन्होंने 10 बार केंद्रीय बजट संसद में पेश किया. दूसरे नंबर पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का नाम आता है जो नौ बार संसद में बजट पेश कर चुके हैं. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपने वित्त मंत्री बनने के दौरान सात बार संसद में बजट पेश कर चुके हैं. 7. लंबे वक्त तक बजट की छपाई राष्ट्रपति भवन में होती थी. लेकिन 1950 में इसके पेपर लीक हो गए थे, जिसके बाद दिल्ली के मिंटो रोड स्थित सिक्योरिटी प्रेस में बजट के पेपर छापे जाने लगे थे. 1980 में इसे मिंटो रोड से शिफ्ट करके नॉर्थ ब्लॉक ले जाया गया. 8. साल 1999 तक फरवरी के आखिरी वर्किंग डे के दिन शाम 5 बजे केंद्रीय बजट की घोषणा की जाती थी. एनडीए सरकार के पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने साल 1999 में सुबह 11 बजे बजट पेश किया. इसके बाद यह परंपरा बन गई और बजट फरवरी के आखिरी वर्किंग डे के दिन सुबह 11 बजे पेश किया जाने लगा. हालांकि, साल 1991 में बजट सुबह 11 पेश किया जा चुका है. 9. इसी तरह 2016 तक केंद्रीय बजट से कुछ दिन पहले रेल बजट पेश किया जाता था. साल 2017 में रेल बजट को केंद्रीय बजट के साथ ही पेश किया गया. ऐसा होने से पिछली 92 साल की पुरानी परंपरा को बदल गई और रेल बजट और आम बजट एक साथ पेश होने लगा.
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