एक्सप्लोरर

आख़िर बीजेपी को क्यों रास आ रहा है 'सीएम' का चेहरा बदलने का फार्मूला?

इन दिनों रायसीना हिल्स से लेकर राजनीतिक पार्टियों के मुख्यालयों में एक सवाल बड़ी तेजी से तैर रहा है कि बीजेपी का अपने पुराने चेहरों से भरोसा क्यों उठ जाता है और चुनाव आने से पहले ही वो मुख्यमंत्री का चेहरा क्यों बदल देती है? हालांकि इसका सही जवाब तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही दे सकता है. लेकिन बीजेपी के गलियारों में भी ये सवाल उठ रहा है कि त्रिपुरा की तरह क्या मध्य प्रदेश में भी ये चेहरा बदला जायेगा, जहां त्रिपुरा की तरह ही अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं?

दरअसल, साल 2014 से देश के सियासी नक्शे पर छा जाने वाली बीजेपी ने अटल-आडवाणी युग को तिलांजलि देते हुए अपना एक नया चेहरा देश के सामने पेश किया है,जहां बीच के रास्ते पर चलने की कोई भी गुंजाइश नहीं बची और न ही आगे ऐसा होने की उम्मीद है.लेकिन किसी भी देश के लोकतंत्र में इसे सत्ताधारी पार्टी के उस अहंकार के तराजू में तौला जाता है,जहाँ कमजोर विपक्ष से उसका रचनात्मक सहयोग लेने की बजाय उसे अपनी ताकत से दबाने को ही अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि  मान लिया जाता है.

बेशक किसी भी लोकतंत्र में देश की जनता द्वारा चुनी गई सरकार ही सर्वोपरि होती है और वो ही तमाम फैसले लेने की हक़दार भी होती है.लेकिन सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि  अन्य लोकतांत्रिक देशों के संसदीय  इतिहास पर गौर करेंगे,तो पाएंगे कि जहां भी जनहित से जुड़े मुद्दों पर सत्ताधारी पार्टी ने विपक्ष को साथ लिया,वहां कभी कोई जन आंदोलन छेड़ने की नौबत ही नहीं आई.लेकिन लगता है कि अब वो संसदीय परम्परा खत्म हो चुकी है,वजह इसकी चाहे जो हो.

बीजेपी के दो बड़े व दिग्गज़ नेता आज इस दुनिया में नहीं हैं,जो जनता से जुड़े मुद्दों पर अपने सटीक,तार्किक और तथ्यात्मक भाषणों से संसद के दोनों सदनों को हिलाकर सरकार को अपनी बात मनवाने पर मजबूर कर दिया करते थे.दस साल तक केंद्र में रही कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार के दौरान लोकसभा में सुषमा स्वराज और राज्यसभा में अरुण जेटली विपक्ष के नेता रहे लेकिन उन दोनों की सबसे बड़ी खूबी और कामयाबी ये रही कि उन्होंने सरकार को कोई मनमाना फैसला नहीं लेने दिया.उस वक्त की सरकार में रहे नुमाइंदों की तारीफ़ भी इसलिए करनी चाहिए कि उन्होंने विपक्ष के इन दोनों नेताओं की सहमति के बगैर किसी भी महत्वपूर्ण बिल को पास कराने की जिद नहीं दिखाई,बल्कि कुछेक मौकों पर तो वो बिल ही वापस ले लिए गए.

साल 2014 में बीजेपी की सरकार आने के बाद रिटेल में सौ फीसदी एफडीआई यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का बिल पास भी हो गया और कानून भी बन गया. लेकिन मनमोहन सिंह सरकार जब संसद के दोनों सदनों में ये बिल लाई थी, तब सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने इसका जमकर विरोध किया था क्योंकि तब तक बीजेपी व संघ इसके खिलाफ था. विपक्ष के दोनों नेताओं के तीखे तेवरों को देखने औऱ इससे देश के छोटे व्यापारियों को होने वाले नुकसान की हकीकत सुनने के बाद सरकार एफडीआई बिल को वापस लेने पर मजबूर हो गई थी.

ऐसे अनेकों उदाहरण दिए जा सकते हैं जब मनमोहन सरकार के सीनियर केंद्रीय मंत्री संसद भवन के अपने दफ्तर से निकलकर इन दोनों विपक्षी नेताओं के कक्ष में जाकर उनकी मान-मनोव्वल करने में जरा भीअपनी तौहीन नहीं समझा करते थे. लेकिन अब हालात बिल्कुल अलग हैं और कोई सोच भी नहीं सकता कि अब ऐसा भी हो सकता है. इसलिए दशकों से संसद को कवर करने वाल कई बुजुर्ग पत्रकार मानते हैं कि जिस संसदीय परंपरा को एक बार खत्म कर दिया जाता है,उसके दोबारा जिंदा होने की उम्मीद करना बेकार है. इसलिये कि संसदीय राजनीति में जो नई पौध आ रही है,वो न तो इतिहास से कुछ सीखना चाहती है औऱ न ही उसमें इतना जज़्बा है कि वो अपने नेतृत्व से इस बारे मे कोई सवाल कर सके.

जनसंघ से लेकर बीजेपी का जन्म होने के बाद के 40 साल तक पत्रकारिता करने वाले राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि बीजेपी में अब वो युग चला गया,जब संगठन ही सर्वोपरि था और सत्ता में बैठाये हर व्यक्ति पर उसकी उतनी पकड़ हुआ करती थी, कि वह संगठन के हर फैसले को मानने को अपना व संघ का अनुशासन समझा करता था. आज संगठन पर सत्ता का इतना प्रभाव है कि वो किसी एक मामले पर भी उसका विरोध करने की हिम्मत जुटाने से पहले दस बार सोचता है.

इसलिए अगले साल होने वाले त्रिपुरा के चुनाव से पहले बीजेपी ने एक ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया है,जिसका संघ से कभी कोई नाता नहीं रहा और छह साल पहले वे कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे.राजनीति को समझने वालों के लिये ये इशारा काफी है कि इस वक़्त सबसे पारदर्शी संगठन मानी जाने वाली पार्टी का रिमोट कहाँ हैं.सत्त्ता विरोधी लहर को थामने के लिये ऐसे ही प्रयोग पहले उत्तराखंड़, गुजरात और कर्नाटक में भी हुए हैं.उत्तराखंड में तो महज छह महीने में दो मुख्यमंत्री बदल दिए गए. और,जो चुनाव हार गया, उसे फिर से सत्ता सौंप दी गई.

बीजेपी के गलियारो से ही कुछ दिनों पहले अंदरखाने की बात तो ये भी निकली थी कि पार्टी हिमाचल प्रदेश में भी सीएम का चेहरा बदलकर वहां केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को भेजना चाहती है. लेकिन ऐसा इसलिये नहीं हुआ क्योंकि ऎसा माना जाता है कि फैसला लेने से पहले ही जो खबर मीडिया में लीक हो जाये, उसे साउथ ब्लॉक में बेहद गंभीरता से लिया जाता है. इसलिए मीडिया को गलत साबित करने के लिये कई बार फैसले पलट दिए गए.उसका ताजा उदाहरण है, उत्तराखंड में चुनाव हारकर भी पुष्कर सिंह धामी की सीएम पद पर ताजपोशी करना और यूपी में में चुनाव हारने के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम बनाना.अब ये कोई नहीं जानता कि मध्य प्रदेश में सीएम का चेहरा बदलकर वहां के लोगों को कब चौंकया जायेगा? फिलहाल तो वहां चुनाव होने में तकरीबन डेढ़ साल बचा है.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

S Jaishankar: 'देश की सुरक्षा की नहीं कर सकते अनदेखी', भारत-चीन सीमा विवाद पर क्या बोले एस जयशंकर
'देश की सुरक्षा की नहीं कर सकते अनदेखी', भारत-चीन सीमा विवाद पर क्या बोले एस जयशंकर
अक्षय कुमार से लेकर टाइगर श्रॉफ तक.... मार्शल आर्ट्स में भी माहिर हैं ये बॉलीवुड स्टार्स
अक्षय कुमार से लेकर टाइगर श्रॉफ तक....मार्शल आर्ट्स में भी माहिर हैं ये बॉलीवुड स्टार्स
हिमाचल में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने जारी की स्टार प्रचारकों की सूची, गांधी परिवार समेत 40 नेताओं के नाम शामिल
हिमाचल में कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची जारी, गांधी परिवार समेत 40 नेताओं के नाम शामिल
शिमरी ड्रेस में छाईं मलाइका अरोड़ा, बो-डिजाइन आउटफिट में मीरा राजपुत ने लूटी महफिल, देखें तस्वीरें
शिमरी ड्रेस में छाईं मलाइका अरोड़ा, बो-डिजाइन आउटफिट में मीरा राजपुत ने लूटी महफिल
for smartphones
and tablets

वीडियोज

टीम इंडिया को T20 World Cup के बाद मिलेगा नया हेड कोच, BCCI ने मांगे आवेदन | BCCI | Sports LIVEसीमा-सचिन और 'जिहादी' वो ! | सनसनीLok Sabha Election 2024: काशी का वोट कैलकुलेटर, मोदी को बनाएगा विनर? PM Modi | INDIA AlliancePakistan News: दुश्मन का कलेजा चीर..Loc पार..ऐसी तस्वीर | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
S Jaishankar: 'देश की सुरक्षा की नहीं कर सकते अनदेखी', भारत-चीन सीमा विवाद पर क्या बोले एस जयशंकर
'देश की सुरक्षा की नहीं कर सकते अनदेखी', भारत-चीन सीमा विवाद पर क्या बोले एस जयशंकर
अक्षय कुमार से लेकर टाइगर श्रॉफ तक.... मार्शल आर्ट्स में भी माहिर हैं ये बॉलीवुड स्टार्स
अक्षय कुमार से लेकर टाइगर श्रॉफ तक....मार्शल आर्ट्स में भी माहिर हैं ये बॉलीवुड स्टार्स
हिमाचल में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने जारी की स्टार प्रचारकों की सूची, गांधी परिवार समेत 40 नेताओं के नाम शामिल
हिमाचल में कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची जारी, गांधी परिवार समेत 40 नेताओं के नाम शामिल
शिमरी ड्रेस में छाईं मलाइका अरोड़ा, बो-डिजाइन आउटफिट में मीरा राजपुत ने लूटी महफिल, देखें तस्वीरें
शिमरी ड्रेस में छाईं मलाइका अरोड़ा, बो-डिजाइन आउटफिट में मीरा राजपुत ने लूटी महफिल
Lok Sabha Elections 2024: चुनाव आयोग ने भेजा सियासी दलों के अध्यक्षों को नोटिस, TMC बोली- 'ये है मोदी आचार संहिता'
चुनाव आयोग ने भेजा सियासी दलों के अध्यक्षों को नोटिस, TMC बोली- 'ये है मोदी आचार संहिता'
​Sarkari Naukri: 6000 से ज्यादा पदों के लिए फटाफट कर लें अप्लाई, 16 मई है लास्ट डेट
6000 से ज्यादा पदों के लिए फटाफट कर लें अप्लाई, 16 मई है लास्ट डेट
भारतीय सेना की बढ़ेगी और ताकत, दुश्मनों के छक्के छुड़ाने आ रहा दृष्टि-10 ड्रोन, बठिंडा बेस पर होगी तैनाती
भारतीय सेना की बढ़ेगी और ताकत, दुश्मनों के छक्के छुड़ाने आ रहा दृष्टि-10 ड्रोन, बठिंडा बेस पर होगी तैनाती
Pakistan Violence: पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी बनी PoK में भड़की हिंसा, जानें क्या हैं प्रदर्शनकारियों की मांग
पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी बनी PoK में भड़की हिंसा, जानें क्या हैं प्रदर्शनकारियों की मांग
Embed widget