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BLOG: विराट और रवि शास्त्री के पास अपने दावे को सच साबित करने का आखिरी मौका

6 दिसंबर से एडीलेड में टीम इंडिया कंगारुओं के खिलाफ टेस्ट सीरीज का पहला मैच खेलकर सीरीज़ का आगाज़ करेगी.

साल 2018 की एक और मुश्किल टेस्ट सीरीज शुरू होने वाली है. ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई टीम इंडिया टी-20 सीरीज के बाद एक प्रैक्टिस मैच खेलेगी. इसके बाद 6 दिसंबर से एडीलेड में टीम इंडिया कंगारुओं के खिलाफ टेस्ट सीरीज का पहला मैच खेलने मेदान में उतरेगी. सीरीज के बाकि तीन टेस्ट मैच पर्थ, मेलबर्न और सिडनी में खेले जाने हैं. ऑस्ट्रेलिया का दौरा हमेशा से टीम इंडिया के लिए कड़ी चुनौती रहा है. इस बार ये कड़ी चुनौती इसलिए भी है क्योंकि इस सीरीज में हार या जीत का फैसला बतौर कोच रवि शास्त्री और बतौर कप्तान विराट कोहली के दावे की सच्चाई को उजागर करेगा. आपको याद दिला दें कि रवि शास्त्री ने इसी साल एक बड़े बयान में ये बात कही थी कि मौजूदा टीम इंडिया पिछले डेढ़ दशक की सबसे अच्छी ‘टूरिंग साइड’ है यानी पिछले डेढ़ दशक में विदेशों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली टीम है. उनके इस दावे की पोल पहले दक्षिण अफ्रीका में और फिर इंग्लैंड में खुल चुकी है. जहां टीम इंडिया को मैच में जीत के करीब पहुंचकर भी हार का सामना करना पड़ा था. ऑस्ट्रेलिया रवाना होने से पहले विराट कोहली ने ये बात मानी कि दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में उनके खिलाड़ियों ने प्रदर्शन तो अच्छा किया लेकिन जब गलती की तो वो बड़ी गलती थी. जिसका खामियाजा सीधे हार से उठाना पड़ा. इस बात से किसी को इंकार नहीं है कि टीम इंडिया ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन उतना ही बड़ा सच ये भी है कि क्रिकेट की रिकॉर्ड बुक में उनके नाम के साथ हार ही लिखी है. अच्छे प्रदर्शन की दुहाई कब तक देंगे टीम इंडिया के लिए साल की शुरूआत ही अच्छी नहीं थी. खास तौर पर उस दावे की कसौटी पर जो रवि शास्त्री ने किया था. 5 जनवरी से केपटाउन में शुरू हुए टेस्ट मैच में टीम इंडिया को सिर्फ 72 रनों से हार का सामना करना पड़ा था. ये हार रवि शास्त्री के दावे की पोल तब खोलती है जब आपको पता चले कि टीम इंडिया को जीत के लिए सिर्फ 208 रनों की जरूरत थी. दूसरे टेस्ट मैच में भी जीत हार का अंतर सिर्फ 135 रन था. तीसरे टेस्ट मैच में 63 रनों से मिली जीत के बाद भी टीम इंडिया 2-1 से टेस्ट सीरीज गंवा कर लौटी. इसके बाद अगस्त में इंग्लैंड में खेली गई टेस्ट सीरीज का पहला मैच टीम इंडिया सिर्फ 31 रनों के मामूली अंतर से हारी. रवि शास्त्री की ‘बेस्ट टूरिंग’ टीम के बल्लेबाज सिर्फ 194 रनों का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए. अगले मैच में हार का अंतर पहाड़ जितना बड़ा हो गया था. इंग्लैंड ने दूसरे टेस्ट मैच में भारत को पारी और 159 रनों से हराया. तीसरा टेस्ट मैच भारत ने 203 रनों से जीता. चौथे टेस्ट मैच में टीम इंडिया फिर जीत के करीब पहुंची लेकिन इस बार फिर ‘बेस्ट टूरिंग’ साइड के बल्लेबाज गलती कर बैठे. 245 रनों के लक्ष्य का पीछा करती हुई टीम इंडिया 60 रन से वो मैच हार गई. आखिरी टेस्ट में 118 रनों से मिली हार के साथ सीरीज 4-1 की स्कोरलाइन पर खत्म हुई. अब आप तय कर लें कि क्या ये स्कोरलाइन पिछले 15 साल की सबसे बेहतरीन टूरिंग टीम की होनी चाहिए. कहां रह जा रही हैं कमी सवाल यही है कि इतने करीब पहुंचकर भी टीम इंडिया जीत हासिल क्यों नहीं कर पा रही है? दरअसल टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया की बड़ी परेशानी अब बल्लेबाजी है. गेंदबाज लगातार अपना काम शानदार तरीके से कर रहे हैं. बल्लेबाजों में विराट कोहली को छोड़कर कोई भी खिलाड़ी ‘कंसिसटेंट’ नहीं है. पहले चार बल्लेबाज में से एक बल्लेबाज भी अगर थोड़ी ‘कंसिसटेंसी’ दिखाए तो बात बन जाएगी. इसके अलावा एक बड़ी परेशानी गेंदबाजों की बल्लेबाजी से है. गेंदबाजों से बड़े बड़े स्कोर बनाने की उम्मीद करना गलत है लेकिन विदेशों में जीत हार का फर्क ये भी है. ज्यादातर मौकों पर भारतीय टीम के गेंदबाज विदेशी पिचों पर टिककर 15-20 रन भी बनाने में नाकाम रहे हैं. भारतीय टीम ने जब भी विदेशी जमीन पर कमाल किया है उसके गेंदबाजों ने निचले क्रम में थोड़े रन जरूर बनाए हैं. रवि शास्त्री अगर बतौर कोच इन दो पहलुओं को सुधार लें तो इस दावे के साथ क्रिकेट फैंस भी खड़े होंगे वरना क्या फर्क पड़ता है रवि शास्त्री अपने मुंह मियां मिट्ठू बनते रहें.
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