बंगाल का यह कड़वाहट भरा शोण्डेश, ममता भाव से भरी पुलिस की करा दी फ़ज़ीहत

सूचना, समाचार, खबर, रिपोर्ट, विचार, मैसेज को प्राय हिंदी भाषी संदेश कहते हैं, जिसकी उत्पत्ति संस्कृत से हुई. हालांकि, बंगाल सहित कुछ राज्यों में संदेश का नाम सुनते ही मुंह में पानी भर आता है,क्योंकि यहां शोन्देश (संदेश) लजीज मिठाई है. जैसे यहां का रोशोगुल्ला, मालपुआ, राजभोग और अनेक मिष्टान्न, यहां आकर हमने सब चखे भी हैं. इससे इतर एक संदेश और भी है जो पश्चिम बंगाल की पुलिस ने 16 फरवरी को बर्धमान जिला में होने वाली आरएसएस प्रमुख की एक सभा को अनुमति ना देकर देश के अन्य राज्यों की पुलिस को दिया. पुलिस का तर्क है कि यहां सभा की अनुमति इसलिए नहीं दी जा सकती, क्योंकि बंगाल में स्कूल स्तर की परीक्षाओं का दौर चल रहा है, सभा स्थल के पास स्कूल और इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी. सच में मन भर आता है, आंखें डबडबा जाती हैं, जब हमारे देश की पुलिस इतना संवेदनशील दिखे. एक सैल्यूट तो बनता है बंगाल पुलिस के बच्चों के प्रति जिम्मेदाराना ममता भाव पर…पर पर यह क्या,जो तर्क सामने आया वो पर लगाकर फुर्र हो गया और फिर रोशो गुल्ला नहीं, रोष फैलता है बंगाल पुलिस के इस संदेश पर.
बंगाल जो कभी था सांस्कृतिक राजधानी
दो विश्व धरोहरों वाला पश्चिम बंगाल 9 करोड़ से ज्यादा आबादी के साथ जनसंख्या के लिहाज से देश में चौथे नंबर पर है. देश की सांस्कृतिक राजधानी का रुतबा रखने वाले पश्चिम बंगाल में 6 फरवरी से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सरसंघचालक मोहन भागवत 10 दिवसीय दौरे पर हैं. इस दौरान वे दक्षिण बंगाल क्षेत्र में संघ पदाधिकारियों के साथ बैठकें, मध्य बंगाल के क्षेत्र का दौरा, जिसमें बांकुरा, पुरुलिया, बीरभूम, पुरबा, पश्चिम बर्धमान और नादिया जिलों का दौरा, विचार-विमर्श के अलग अलग सत्र और संगठन के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से गहन चर्चाएं एवं मध्य बंगाल क्षेत्र में संघ के नए कार्यालय का उद्घाटन करने के बाद 16 फरवरी बर्धमान स्थित एसएआई परिसर में संघ के पदाधिकारियों के सम्मेलन और आगामी योजनाओं पर चर्चा जैसे कार्यक्रम करेंगे. उनके कार्यक्रम नियमित तौर पर जारी हैं, मगर पश्चिम बंगाल की पुलिस ने सरसंघचालक के 16 फरवरी के बर्धमान कार्यक्रम में स्कूल स्तर की परीक्षाओं का हवाला देते हुए पेंच फंसा दिया.
पश्चिम बंगाल पुलिस ने आरएसएस के इस कार्यक्रम को यह कहते हुए अनुमति नहीं दी कि पश्चिम बंगाल में 10 वीं की परीक्षाएं चल रही है. सभा स्थल के पास में ही स्कूल है. ममता भाव में पश्चिम बंगाल पुलिस यह भूल गई कि 16 फरवरी 2025 को शोण्डे (संडे) है. खैर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की बंगाल इकाई ने गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यालय का दरवाजा खटखटाते हुए सभा के लिए पुलिस द्वारा अनुमति नहीं दिए जाने को चुनौती दी. स्कूल के बच्चों के प्रति पश्चिम बंगाल पुलिस का ममता भाव अच्छा है.मगर यही बंगाल पुलिस पिछले वर्षों में स्कूली परीक्षाओं के दौर में जिम्मेदारी का भाव को छोड़ कर बड़ी-बड़ी रैलियों की व्यवस्थाओं में मुस्तैद कैसे हो गई,यह यक्ष प्रश्न है.
बंगाल पुलिस भूल गयी अपना ही इतिहास
बंगाल पुलिस शायद लंबे अर्से में कई बार हुए प्रयोग शायद भूल चुकी हो, मगर पिछले वर्ष की तो याद होगी ही. पश्चिम बंगाल में 2024 में कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं फरवरी में आयोजित की गई थीं. तब यहां कक्षा 10वीं की परीक्षाएं 2 फरवरी से 12 फ़रवरी 2024 के बीच आयोजित की गई थीं और कक्षा 12वीं की परीक्षाएं 16 फरवरी से 29 फरवरी, 2024 तक. मगर लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार ने विधानसभा में बजट पेश कर कुछ राहत देने वाली योजनाओं को मंजूरी दी थी. इसका महिमा मंडन करने के लिए पूरे बंगाल के ब्लॉक और ग्राम पंचायत क्षेत्रों में तृणमूल कांग्रेस सरकार का धन्यवाद करने के लिए हजारों लोगों के साथ पूरे शोरगुल में जुलूस निकाले गए थे. ममतामयी पुलिस प्रदेशभर में परीक्षा के बीच निकाले जा रहे इन जुलूसों पर रोक लगाने से चूक गई थी.
कोरोना-काल में हुए चुनाव और फाइनल परीक्षाओं के दौर में अनगिनत रैलियां तो देश अभी भूला भी नहीं होगा. 28 फरवरी 2021 को कोलकाता के परेड ग्राउंड में रैली के चित्र आज भी आंखों के सामने होंगे. हालांकि तब यहां एक जून से 2 जुलाई तक सभी लिखित परीक्षाएं हुई,जबकि प्रैक्टिकल 10 मार्च से 31 मार्च तक हुए थे.वैसे दो मार्च 2021 तक पश्चिम बंगाल में कोरोना नियंत्रण में था, लेकिन जैसे ही इसके बाद अप्रैल के अंत तक देश के अलग अलग राजनैतिक दलों के दिग्गज नेताओं की करीब पौने 200 रैलियां की गई,यहां कोरोना बेकाबू हो गया था. अगर उस समय बंगाल पुलिस का ममता भाव जागृत होता तो मई 2021 के पहले ही सप्ताह में मरने वालों का आंकड़ा 100 पार नहीं करता और ना ही संक्रमितों की संख्या हजारों में पहुंची थी. तब पुलिस प्रशासन को ना कोरोना संक्रमण का खतरा दिखा और ना ही विद्यार्थियों की पढ़ाई और परीक्षा की चिंता हुई.
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