एक्सप्लोरर

टीएन शेषन को याद करके सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग को बता दिया 'कठपुतली'!

वैसे तो चुनाव आयोग के कामकाज और उसकी निष्पक्षता को लेकर पिछले कई सालों से लगातार सवाल उठते रहे हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बेहद ही तल्ख टिप्पणी करके आयोग के साथ ही सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है. देश की शीर्ष अदालत को भी 26 बरस बाद अगर टी. एन. शेषन जैसे शख्स की याद आने लगे तो समझा जा सकता है कि जमीनी स्थिति किस हद तक खतरनाक मुकाम तक जा पहुंची है. 

पांच जजों वाली संविधान पीठ ने इशारों ही इशारों में कह दिया है कि देश को एक ऐसा मुख्य निर्वाचन आयुक्त यानी सीईसी चाहिए, जो सरकार की कठपुतली न बने बल्कि टीएन शेषन की तरह बेखौफ होकर पूरी खुद्दारी के साथ चुनाव सुधारों को लागू करने का माद्दा रखता हो.

विपक्षी दलों ने तो मोदी सरकार बनने के बाद पिछले साढ़े 8 साल से ये आरोप लगाना शुरू किया है कि चुनाव आयोग की आजादी छीन ली गई है लेकिन जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की इस संविधान पीठ ने तो इससे भी आगे जाकर ये कहने की हिम्मत दिखाई है कि 1996 के बाद एक के बाद एक बनी हर सरकार ने भारत के चुनाव आयोग (ECI) की स्वतंत्रता को 'पूरी तरह से नष्ट' कर दिया है. 

कोर्ट ने इस बात का भी जिक्र किया कि 1996 से किसी भी मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) को चुनाव निकाय के प्रमुख के रूप में पूरे छह साल का कार्यकाल नहीं मिला है. वैसे इन ढाई दशक में तो कई सरकारें आईं और चली गईं लेकिन देश की सर्वोच्च न्यायपालिका की तरफ से की गई ये सख्त आलोचना मौजूदा सरकार के लिए भी किसी तमाचे से कम नहीं है. हालांकि ये बहस का एक अलग विषय हो सकता है कि सरकार ऐसी आलोचना की कितनी परवाह करती है और अगर नहीं करती है,तो उसकी वजह क्या है?

दरअसल,चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रणाली में सुधार की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कोई एक नहीं बल्कि अनेक ऐसी तल्ख टिप्पणियां की हैं, जिनसे जाहिर होता है कि निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक व स्वायत्त संस्था का पूर्ववर्ती सरकारों ने अपने सियासी फायदे के लिए कितना बेजा इस्तेमाल किया है, जो आज भी बदस्तूर जारी है. इस हकीकत को देखते हुए ही सुप्रीम कोर्ट को ये कहने पर मजबूर होना पड़ा कि ''जमीनी स्थिति खतरनाक है'' और वह दिवंगत टी एन शेषन जैसा सीईसी चाहती है, जिन्हें 1990 से 1996 तक चुनाव आयोग के प्रमुख के रूप में महत्वपूर्ण चुनावी सुधार लाने के लिए आज भी याद किया जाता है.

दरअसल, जब टी एन शेषन को सीईसी बनाया गया था, तब उस वक्त की सरकार को भी ये अहसास नहीं था कि वे इतने मजबूत चरित्र वाले ऐसे खुद्दार नौकरशाह हैं, जो सरकार की मर्जी को ठुकराते हुए ऐसे स्वतंत्र फैसले लेंगे, जो आगे चलकर देश के चुनावी इतिहास में एक नजीर बनेगा. छह साल के अपने कार्यकाल में शेषन ने तत्कालीन सरकारों के हर नाजायज अनुरोध को अपनी टेबल के नीचे रखे डस्टबिन में फेंकने की आदत-सी डाल ली थी.

अगले ही दिन वे चुनाव सुधारों को लेकर किसी कड़े फैसले का ऐलान करने के लिए खासतौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते थे. वे सुनिश्चित करते थे कि सरकार की छत्रछाया में चलने वाले दूरदर्शन के अलावा अंग्रेजी और हिंदी की प्रमुख समाचार एजेंसियों के संवाददाता उसमें अवश्य मौजूद रहें, ताकि चुनाव आयोग के उस फैसले का संदेश हर आम आदमी तक भी पहुंचे. 

उस जमाने में केंद्रीय मंत्रियों तक के फोन को नजरअंदाज करने वाले शेषन की खासियत ये भी थी कि वे निर्वाचन आयोग की बीट कवर करने वाले संवाददाता को खुद फोन करके प्रेस कॉन्फ्रेंस में आने का न्योता देते थे. मकसद होता था कि एजेंसी आयोग के फैसले को विस्तार से कवर करेगी तो अगले दिन के अखबारों में वो खबर प्रमुखता से छपेगी, जिसे दूरदराज के गांव -कस्बों के लोगों को अहसास होगा कि उनके वोट की क्या कद्र है और चुनाव आयोग ने एक आम नागरिक को क्या नया अधिकार दे दिया है.
शायद इसीलिए सुप्रीम कोर्ट को ये कहना पड़ा, "अब तक कई सीईसी रहे हैं. मगर टीएन शेषन जैसा कोई कभी-कभार ही होता है. हम नहीं चाहते कि कोई उन्हें ध्वस्त करे. तीन लोगों (सीईसी और दो चुनाव आयुक्तों) के नाजुक कंधों पर बड़ी शक्ति निहित है. हमें सीईसी के पद के लिए "मजबूत चरित्र वाले व्यक्ति" को खोजना होगा."

केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि सरकार योग्य व्यक्ति की नियुक्ति का विरोध नहीं करने जा रही है, लेकिन सवाल यह है कि यह कैसे हो सकता है. उन्होंने कहा, "संविधान में कोई रिक्तता नहीं है. वर्तमान में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर की जाती है."

पीठ ने इसका जवाब देते हुए उन्हें समझाया कि 1990 के बाद से भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित कई आवाजों ने चुनाव आयोग सहित संवैधानिक निकायों में नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग की है.

अदालत ने कहा, लोकतंत्र संविधान का एक बुनियादी ढांचा है. इस पर कोई बहस नहीं है. हम संसद को भी कुछ करने के लिए नहीं कह सकते हैं और हम ऐसा नहीं करेंगे. हम सिर्फ उस मुद्दे के लिए कुछ करना चाहते हैं, जो 1990 से लगातार उठाया जा रहा है. जमीनी स्थिति चिंताजनक है. हम जानते हैं कि सत्ता पक्ष की ओर से विरोध होगा और हमें मौजूदा व्यवस्था से आगे नहीं जाने दिया जाएगा. अदालत ने साथ ही कहा कि वह यह नहीं कह सकती कि वह असहाय है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि सीईसी को नियुक्त करने की प्रक्रिया भी पूरी तरह से पारदर्शी होनी चाहिए और इसमें भी अन्य निकायों के प्रमुखों को नियुक्त करने वाली समिति में मुख्य न्यायाधीश की भी भागीदारी होनी चाहिए.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

BJP President: योगी को CM बनाना हो या शिवराज-वसुंधरा को हटाना... नितिन नबीन के ऐलान से पहले BJP ने कब-कब अपने फैसलों से चौंकाया?
योगी को CM बनाना हो या शिवराज-वसुंधरा को हटाना... नितिन नबीन से पहले BJP ने कब-कब चौंकाया?
नोएडा में 5वीं तक के स्कलों को बंद रखने का आदेश, 'जहरीली हवा' को देखते हुए लिया फैसला
नोएडा में 5वीं तक के स्कलों को बंद रखने का आदेश, 'जहरीली हवा' को देखते हुए लिया फैसला
Sydney Shooting: 'यहूदी-विरोधी भावना की आग में घी...', सिडनी आतंकी हमले को लेकर ऑस्ट्रेलिया पर फूटा नेतन्याहू का गुस्सा
'यहूदी-विरोधी भावना की आग में घी...', सिडनी आतंकी हमले को लेकर ऑस्ट्रेलिया पर फूटा नेतन्याहू का गुस्सा
Year Ender: सूर्यकुमार का इस साल नहीं चला बल्ला, टी20 इंटरनेशनल में 2025 में कई बड़े खिलाड़ी नहीं कर सके कमाल
सूर्यकुमार का इस साल नहीं चला बल्ला, टी20 इंटरनेशनल में 2025 में कई बड़े खिलाड़ी नहीं कर सके कमाल
ABP Premium

वीडियोज

Bihar News: बिहार के नवादा में पुलिस को चकमा देकर कैदी फरार | ABP News
सिडनी में 'पहलगाम'? आतंकियों ने चुन-चुन कर मारा!
Janhit: PM मोदी ने फिर चौंकाया! | National Executive President | Nitin Nabin | BJP | PM Modi
UP Politics: यूपी BJP को मिला नया प्रदेश अध्यक्ष...27 का शुरू अभियान | CM Yogi
Sandeep Chaudhary: BJP के कार्यकारी अध्यक्ष बने  नितिन नबीन, विपक्ष में हलचल | Nitin Nabin |PM Modi

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
BJP President: योगी को CM बनाना हो या शिवराज-वसुंधरा को हटाना... नितिन नबीन के ऐलान से पहले BJP ने कब-कब अपने फैसलों से चौंकाया?
योगी को CM बनाना हो या शिवराज-वसुंधरा को हटाना... नितिन नबीन से पहले BJP ने कब-कब चौंकाया?
नोएडा में 5वीं तक के स्कलों को बंद रखने का आदेश, 'जहरीली हवा' को देखते हुए लिया फैसला
नोएडा में 5वीं तक के स्कलों को बंद रखने का आदेश, 'जहरीली हवा' को देखते हुए लिया फैसला
Sydney Shooting: 'यहूदी-विरोधी भावना की आग में घी...', सिडनी आतंकी हमले को लेकर ऑस्ट्रेलिया पर फूटा नेतन्याहू का गुस्सा
'यहूदी-विरोधी भावना की आग में घी...', सिडनी आतंकी हमले को लेकर ऑस्ट्रेलिया पर फूटा नेतन्याहू का गुस्सा
Year Ender: सूर्यकुमार का इस साल नहीं चला बल्ला, टी20 इंटरनेशनल में 2025 में कई बड़े खिलाड़ी नहीं कर सके कमाल
सूर्यकुमार का इस साल नहीं चला बल्ला, टी20 इंटरनेशनल में 2025 में कई बड़े खिलाड़ी नहीं कर सके कमाल
Sunday Box Office Collection: 'धुरंधर' के तूफान में डटी हैं 'अखंडा 2' समेत ये 3 बड़ी फिल्में, देखें संडे किसने कितना कमाया
'धुरंधर' के तूफान में डटी हैं 'अखंडा 2' समेत ये 3 बड़ी फिल्में, देखें संडे कलेक्शन
New BJP President: अटल बिहारी वाजपेयी से जेपी नड्डा तक... BJP की स्थापना के बाद पैदा होने वाले पहले अध्यक्ष होंगे नितिन नबीन
अटल बिहारी वाजपेयी से जेपी नड्डा तक... BJP की स्थापना के बाद पैदा होने वाले पहले अध्यक्ष होंगे नितिन नबीन
Black Box Warning: कोविड वैक्सीन पर जल्द लगेगी ब्लैक बॉक्स वॉर्निंग? समझें कितना बड़ा खतरा माना जाता है ये संकेत
कोविड वैक्सीन पर जल्द लगेगी ब्लैक बॉक्स वॉर्निंग? समझें कितना बड़ा खतरा माना जाता है ये संकेत
NCERT ने साल 2025 में सिलेबस में किए ये बड़े बदलाव, आपके लिए भी जानना बेहद जरूरी
NCERT ने साल 2025 में सिलेबस में किए ये बड़े बदलाव, आपके लिए भी जानना बेहद जरूरी
Embed widget