एक्सप्लोरर
पिता पुत्र की चुनावी चाल

यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने ताबड़तोड़ दो कैबिनेट मंत्रियों विकेट गिरा दिए. दोनों मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप थे सो सीएम साहब ने हटा दिया. ये और बात है कि आरोप पिछले कुछ सालों से लग रहे थे लेकिन कार्रवाई अभी की गई. जाहिर है चुनाव करीब है और अखिलेश को अंदाज़ा भी है कि दागियों के साथ चुनावी सफर में अपनी कमीज़ को दूसरे से साफ़ दिखने के लिए ये करना ज़रूरी है. मंत्रियों के साथ साथ यूपी के सबसे बड़े नौकरशाह दीपक सिंघल को भी अखिलेश ने निपटा दिया. दीपक सिंघल मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव के बेहद करीबी थे. यहां तक कि हटाए जाने के तुरंत बाद वो मुलायम सिंह यादव से मिलने भी पहुंचे थे.
यहां तक सब ठीक था लेकिन पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव सामने आये और ये कह कर सबको चौंका दिया की मेरे से सलाह लिए बगैर अखिलेश इन मंत्रियों को हटाया है, सीएम का अधिकार है वो ले सकते हैं एक्शन. यूपी में पिता मुलायम और बेटे अखिलेश की जोड़ी कब कौन सा पैंतरा चल कर सबको भौंचक्का कर दे ये विरोधियों के लिए भी समझना मुश्किल है. अभी कुछ दिन पीछे ही मुड़कर देखें तो क्या पार्टी का मंच और क्या सरकारी कार्यक्रम नेता जी जब बोलते थे तो अखिलेश की बखिया उधेड़ देते थे.
अगर हमारे पिता जी ऐसा कुछ बोल देते तो मुंह से विरोध का स्वर निकल ही जाता. अखिलेश तो फिर भी देश की सबसे बड़े रियासत के सीएम हैं लेकिन क्या मजाल कि बाप की डांट का मंच से विरोध भी कर पाते. हां मुस्कुराते हुए ये दिखा ज़रूर देते थे की पिता की डांट अच्छे के लिए है और उसे वो सर माथे पर रखते हैं.
प्रदेश की जनता शायद ही समझ पायी हो की सियासत करने का ये भी एक अंदाज़ है. देश की जनता को ये दिखाना है कि पद भले मिल गया हो लेकिन पिता से बड़ा नहीं है. मंच पर ये तब की सियासत के लिए सूट करता था दोनों को इसलिए मुलायम की क्लास लेने अंदाज़ भी जारी रहा. जनता में अखिलेश की ये इमेज गई की सीएम बन जाने के बाद भी बेअंदाज़ नहीं हुए है अखिलेश, पिता इतना कुछ कह जाते हैं लेकिन संस्कारी सीएम पिता की डांट का उल्टा जवाब तक नहीं देते. हमारे समाज में आज भी पिता की डांट को सर झुका के सुन लेने से बेटे की ही तारीफ होती है और बेटा जब बड़े पद पर हो इमेज में चार चांद लग जाते हैं.
अब हालात बदल गए है चुनाव करीब हैं और समाजवादी पार्टी की इमेज बेहद ख़राब हो गई है. जो कुछ है अखिलेश यादव की छवि है जिसके सहारे 2017 के चुनाव में पार्टी को उम्मीद है. ये बात एबीपी न्यूज़ के सर्वे में भी साफ़ हो गई थी की बसपा की नेता मायावती की लोकप्रियता की बराबरी पर अखिलेश ही है और वो भी तब जब समाजवादी पार्टी के नेताओ और कार्यकर्ताओं से जनता त्रस्त है.
ये बात पिता मुलायम को भी समझ में आ गई है कि बेटे की इमेज के सहारे ही चुनावी वैतरणी पार की जा सकती है. इसलिए ही अब ये दिखाने की कोशिश की जा रही है कि बेटा अपना फैसला खुद कर रहा है और सही काम के लिए पिता से पूछने की ज़रूरत नहीं है.
दो मंत्रियो और मुख्य सचिव की क़ुर्बानी देकर ये जताया गया है कि सरकार पर अखिलेश की पकड़ है और वो अपने फैसले ले रहे हैं. हर ओर ये सन्देश भी जा रहा है कि अगर अगली बार सत्ता हाथ में आई तो साढ़े चार सीएम नहीं सिर्फ एक सीएम होगा.
पिता और पुत्र की इस जोड़ी के बीच कई बार ये बात सामने निकल कर आई की दोनों के बीच कुछ गड़बड़ है और एक दूसरे से नाराज़ है लेकिन ये तो साफ़ है कि दोनों के खेल को न पार्टी के अंदर कोई समझ पाया न बाहर.
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, Blog और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
View More



























