केरल: आखिर कौन हैं ये 'मोरल पोलिसिंग' करने वाले और क्या है इनका मकसद?

केरल ऐसा राज्य है, जहां देश में सबसे अधिक साक्षरता दर है, इसलिये वहां के समाज को बेहद प्रगतिशील यानी आधुनिक सोच वाला माना जाता है. लेकिन दकियानुसी मानसिकता रखने वाले कुछ लोगों को लड़के-लड़कियों के साथ बैठने या साथ घूमने-फिरने वाला ये खुला समाज अब रास नहीं आ रहा है, लिहाज़ा ऐसे लोगों ने "मोरल पोलिसिंग" शुरु कर दी. इस अजीबोगरीब विवाद को Sit On Lap Controversy का नाम दिया गया है.
लेकिन कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने भी स्थानीय लोगों की इस मोरल पोलिसिंग का कुछ इस अंदाज में जवाब दिया कि प्रशासन को भी हरकत में आकर उनके ही पक्ष में फैसला लेना पड़ा.लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आख़िर ये लोग कौन हैं, जो अपनी संकीर्ण मानसिकता को आधुनकि समाज पर जबर्दस्ती थोपना चाहते हैं? और, ये भी कि अचानक से उठे इस विवाद के पीछे किसी खास धर्म या राजनीतिक दल का कोई छुपा हुआ एजेंडा है, जिसका प्रयोग करने के लिए एक बस स्टैंड को ही चुना गया?
दरअसल, केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में एक बस स्टैंड पर कॉलेज के लड़के-लड़कियों के साथ बैठने का वहां के स्थानीय लोगों ने लगाता विरोध किया.ये बस स्टैंड त्रिवेंद्रम-इंजीनियरिंग कॉलेज के पास स्थित था, जहां सरकारी कॉलेज के स्टूडेंट अक्सर बस का इंतजार किया करते थे. उन्होंने इसे लेकर संबंधित विभाग को भी लिखा कि छात्र-छात्राओं को साथ बैठने से रोका जाये. लेकिन ऐसा तो कोई कानून है नहीं, जिसके तहत कोई कार्रवाई की जाती. जब कुछ नहीं हुआ, तो गुस्साये लोगों ने बीती 2 जुलाई को उस बस स्टैंड पर लगी स्टील की बेंच को ही तीन हिस्सों में काट दिया.
स्थानीय लोगों के विरोध का जवाब छात्र-छात्राओं ने भी कुछ ऐसे अनोखे अंदाज में दिया कि उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर इस कदर वायरल हुईं कि आम जनता से भी उन्हें भरपूर समर्थन मिला. दरअसल, छात्र-छात्राओं ने इसी बस स्टैंड पर तीन हिस्सों में कटी बेंच पर बैठकर एक तस्वीर खिंचवाई थी. इस तस्वीर में लड़कियां लड़कों की गोद में और साथ बैठीं नजर आईं थीं. ये एक तरह का प्रदर्शन था, जिससे समाज को एक मैसेज दिया जा सके कि केरल जैसे प्रगतिशील राज्य में ऐसा भेदभाव करना पूरी तरह से गलत है जिसे युवा पीढ़ी बर्दाश्त नहीं करने वाली है. छात्र-छात्राओं द्वारा एक दूसरे की गोद में बैठकर किया गया ये प्रदर्शन काफी सुर्खियों में रहा था.
ऐसी तस्वीरें वायरल होने के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने शुक्रवार को इस बस स्टैंड पर एक्शन लिया और बस स्टैंड के वेटिंग एरिया को तुड़वा दिया.हालांकि छात्रों के विरोध के दौरान ही शहर के मेयर आर्य एस राजेंद्रन ने इस बस स्टैंड का मुआयना किया था और उसके नजदीक ही दूसरा जेंडर-न्यूट्रल बस स्टैंड बनाने का वादा भी किया था. इसके दो महीने के बाद अधिकारियों ने इस बस स्टैंड को ध्वस्त कर दिया.मेयर के मुताबिक बस स्टैंड को सुरक्षा के नजरिए से तोड़ा गया है लेकिन दूसरा बस स्टैंड जल्द ही तैयार होगा.
बता दें कि मेयर ने भी सोशल मीडिया पर की गई अपनी एक पोस्ट में कहा था कि जिस तरह से बेंच को तीन हिस्सों में काटा गया वह न सिर्फ गलत था, बल्कि केरल जैसे मॉर्डन सोसाइटी के लिए नामुनासिब भी था. उन्होंने कहा कि राज्य में लड़के-लड़कियों के साथ बैठने पर कोई रोक नहीं है और जो अभी भी ‘मोरल पुलिसिंग’ में यकीन रखते हें, वे पुराने समय में जी रहे हैं. सत्तारूढ़ CPI(M) के युवा मोर्चा डीवाईएफआई ने भी कहा कि बस स्टैंड पर बेंच काटा जाना अस्वीकार्य है.
केरल में वामपंथी दलों की सरकार है लेकिन पिछले कुछ चुनाव से बीजेपी वहां बेहद तेजी से अपनी जमीन तलाशने में जुटी है.दिल्ली मेट्रो के चेयरमैन रह चुके और "मेट्रो मैन' के नाम से मशहूर ई.श्रीधरन पिछले चुनाव में बीजेपी की तरफ से बड़ा चेहरा थे. हालांकि वे चुनाव हार गए थे.ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों का सबसे बड़ा केंद्र भी केरल है और उनके द्वारा किये जाने वाले कथित धर्मांतरण को रोकने के लिए वहां हिंदू धार्मिक संगठन भी बेहद सक्रिय हैं.इसलिये विश्लेषक मानते हैं कि इस विवाद को एक टेस्ट-केस के रुप में प्रयोग किया गया,ये पता लगाने के लिए इसकी क्या प्रतिक्रिया होती है.हो सकता है कि आने वाले दिनों में इसी तरह के कुछ और विवाद पैदा करके केरल को भी धर्म की प्रयोगशाला बनाया जा सके?
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