कोरोना को लेकर किस हद तक अलर्ट है भारत सरकार?
पुरानी कहावत है कि अपने पहले और सबसे कड़वे अनुभव से कोई भी इंसान एक बड़ा सबक लेता है. यही सबक दुनिया के हर देश की सरकारें भी लेती हैं और उसी लिहाज़ से ये तय करती हैं कि अब अपने देश के लोगों को कितनी औऱ किस हद तक क्या जानकारी देनी है. चीन ने अपने यहां से दिसंबर 2019 से निकले कोविड वायरस से अपने लोगों को पर हुए कहर को पूरी तरह से बचाये रखा और वो इसमें कामयाब भी हुआ. हालांकि, अब उसी चीन में मची तबाही का सरकारी आंकड़ा लीक हो जाने के बाद सिर्फ शी जिनपिंग की सरकार के लिए जी नहीं बल्कि अमेरिका, जापान समेत दुनिया के बहुत सारे देशों की धड़कनें भी बड़ा दी हैं.
भारत में आधिकारिक तौर पर बीएफ.7 से संक्रमित लोगों की संख्या बहुत कम बताई गई है और ये वो लोग हैं जो विदेश से ही ये संक्रमण लाए हैं और इनकी संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है. सोचने वाली बात ये भी है कि अगर ये खतरा इतना बड़ा न होता तो केंद्र सरकार को एक साथ राजधानी दिल्ली समेत देश के तमाम अस्पतालों में मॉक ड्रिल करने के लिए मजबूर न होना पड़ता. आप इसे एक सामान्य अभ्यास मान सकते हैं लेकिन पहले-कड़वे अनुभव का स्वाद चखने के बाद सरकार ये रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है कि हालात फिर साल 2020 जैसे ही बन जाएं.
फिलहाल तो कोई खतरा नहीं दिख रहा है लेकिन कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर हमारे स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है. लिहाजा, कोई भी ये अंदाजा नहीं लगा सकता कि किसका आकलन ज्यादा सही व सटीक है. कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत पर कोरोना का खतरा बढ़ता जा रहा है औऱ अगले 40 दिन देश के लिए बेहद जरूरी होने जा रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो पहले भी यह पाया गया था कि पूर्वी एशिया के कोरोना की चपेट में आने के 30-35 दिन बाद भारत में महामारी की एक नई लहर आई थी जो एक प्रवृत्ति रही है. हालांकि, यह भी कहा गया कि संक्रमण की गंभीरता कम है. अगर कोरोना की लहर आती भी है तो इससे होने वाली मौतें और संक्रमितों के अस्पताल में भर्ती होने की दर बहुत कम रहेगी.
दरअसल, कोरोना के सब वेरिएंट बीएफ.7 के फैलने की दर बहुत अधिक है और एक संक्रमित व्यक्ति 16 लोगों को संक्रमित कर सकता है. शायद इसीलिए सरकारी सूत्रों ने महामारी के फैलने की पिछली मेथेडोलॉजी का हवाला देते हुए दावा किया है कि जनवरी के मध्य में इसमें उछाल आ सकता है. लेकिन देश में कोरोना की बड़ी लहरों के कहर का सामना कर चुके दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक ऐसी नौबत नहीं आने वाली है कि बहुत सारे मरीजों को अस्पताल में भर्ती होना पड़े. इसकी बड़ी वजह ये है कि हमारे देश में लोगों की इम्युनिटी मजबूत हो चुकी है यानी उनमें 'हाईब्रीड प्रतिरक्षा ' विकसित हो चुकी है. इसीलिये उन्होंने कहा है कि भारत को फिलहाल अंतररष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगाने या लॉकडाउन लगाने की कोई जरूरत नहीं है.
हालांकि केंद्र सरकार ने पुराने अनुभव से सबक लेते हुए तमाम आकलनों को दरकिनार कर के अपनी तैयारियों को मजबूत करने की तरफ ही ध्यान दिया है लेकिन सच ये भी है कि कोई भी वायरस अपना शिकार तलाशने से पहले अलार्म बजाकर नहीं आता. लेकिन चिंता की बात ये है कि चीन पर कहर बरपाने वाले इस वायरस ने और भी कई मुल्कों में तबाही मचानी शुरू कर दी है. साथ ही इसमें सबसे अव्वल है, जापान. पिछले डेढ़ हफ्ते में जापान में करीब 15 लाख से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आए हैं. पिछले हफ्ते वहां कोरोना मामलों में 33 फीसदी का उछाल देखने को मिला. वर्ल्डोमीटर वेबसाइट के अनुसार जापान में हफ्तेभर में 21% की वृद्धि के साथ 1,650 से ज्यादा मौतें हुई हैं. इसके अलावा साउथ कोरिया में भी पिछले 10 दिनों में पांच लाख से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए जो पिछले सात दिनों के मुकाबले 15 फीसदी से ज्यादा है.
पिछले दो हफ्तों में एक लाख से अधिक नए कोविड केस दर्ज करने वाले देशों में ब्राजील, जर्मनी, हांगकांग और ताइवान शामिल हैं. वहीं फ्रांस में 4 लाख से भी ज्यादा और अमेरिका में करीब पौने तीन लाख केस दर्ज किए गए हैं. हालांकि फिलहाल वहां कोविड मामलों में गिरावट हो रही है. वैसे हमारे देश में तीनों कोरोना लहरों की भविष्यवाणी करने वाले मनिंद्र अग्रवाल ने एक इंटरव्यू में बताया है कि भारत और चीन के हालात बिल्कुल अलग हैं. चीन ने कभी भारत में आई दूसरी कोविड-19 के लहर को नहीं फेस किया है.
इसकी वजह से वहां नेचुरल इम्यूनिटी नहीं बन पाई जबकि भारत में लगभग 98 फीसदी नेचुरल इम्युनिटी बन गई है. यहीं नहीं भारत में कोविड-19 को लेकर 3 स्तरीय सुरक्षा है. पहला नेचुरल या हर्ड इम्युनिटी, दूसरा भारत की ताकतवर और दमदार वैक्सीन और तीसरा है वैक्सीन का बूस्टर डोज. उनके मुताबिक चीन इन तीनों में पिछड़ चुका है. कठोर लॉकडाउन के चलते चीन को यह स्थिति फेस करनी पड़ रही है और जब तक लोगों में नेचुरल इम्यूनिटी नहीं बनेगी तब तक कोरोना का सामना नहीं किया जा सकता.
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.
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