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“अगर अब भी ये मैच इंडिया नहीं जीती तो ड्रेसिंग रूम में नहीं लौटना चाहिए”

ये बयान सौरव गांगुली का है. निश्चित तौर पर अब आपको ये लग रहा होगा कि अचानक सौरव गांगुली की बात कहां से आ गई. आपकी ये जिज्ञासा सौ फीसदी सही है. सौरव गांगुली को क्रिकेट छोड़े अरसा हो गया है.

ये बयान सौरव गांगुली का है. निश्चित तौर पर अब आपको ये लग रहा होगा कि अचानक सौरव गांगुली की बात कहां से आ गई. आपकी ये जिज्ञासा सौ फीसदी सही है. सौरव गांगुली को क्रिकेट छोड़े अरसा हो गया है. अब वो कॉमेंट्री करते दिखाई देते हैं. दरअसल, नॉटिंघम टेस्ट में भारतीय टीम जिस मजबूत स्थिति में है उसे देखकर सौरव गांगुली का ये बयान प्रासंगिक है. चूंकि ये कहानी एक दशक से भी ज्यादा पुरानी है इसलिए लगा कि क्यों ना नॉटिंघम टेस्ट के बहाने सौरव गांगुली के उस बयान को याद किया जाए. बात 2006 की है. भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर थी. राहुल द्रविड़ टीम के कप्तान हुआ करते थे. ग्रेग चैपल से हुए विवाद की वजह से टीम से बाहर चल रहे सौरव गांगुली का ये ‘कमबैक’ दौरा था. जोहांसबर्ग टेस्ट मैच में भारतीय टीम ने चौथी पारी में दक्षिण अफ्रीका को 402 रनों का लक्ष्य दिया था. तीसरे दिन का खेल खत्म होने पर सौरव गांगुली प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए आए थे. टेस्ट मैच में हर दिन का खेल खत्म होने के बाद एक खिलाड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए आया करता है. सौरव जब आए तो उनसे पूछे जाने वाले सवालों की भरमार थी. उसी दौरान एक पत्रकार ने जब पूछा कि क्या भारतीय टीम ये टेस्ट मैच जीत जाएगी? दादा का जवाब था- अगर अब भी ये मैच टीम इंडिया नहीं जीतती तो हमें ड्रेसिंग रूम में नहीं लौटना चाहिए. इस बयान के पीछे सौरव का दर्द सौरव गांगुली के इस बयान के पीछे उनका दर्द था. एक समय टीम के कप्तान रहे सौरव गांगुली बड़े संघर्ष के बाद टीम में वापस लौटे थे. ये वही दौर था जब उन्हें ‘अपने दादा को भूले तो नहीं’ वाला विज्ञापन करना पड़ा था. जोहांसबर्ग टेस्ट में उन्होंने खुद को साबित करने के लिए जी-जान लगा दिया था. जिस पिच पर वसीम जाफर, सहवाग और कप्तान द्रविड़ जैसे बल्लेबाज नहीं चल पाए थे उस पर वो नॉट आउट लौटे थे. उन्होंने बेशकीमती हाफसेंचुरी जड़ी थी. “अगर अब भी ये मैच इंडिया नहीं जीती तो ड्रेसिंग रूम में नहीं लौटना चाहिए” दूसरी पारी में भी उनके 25 रनों का योगदान अहम था. हुआ यूं था कि पहली पारी में भारत के 249 रनों के जवाब में दक्षिण अफ्रीका 84 रन ही बना पाई थी. दूसरी पारी में भारत ने 236 रन बनाए थे. इस तरह दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 402 रन चाहिए थी. पिच मुश्किल थी, सौरव गांगुली ने कई बार गेंद को अपने शरीर पर झेला था. उसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनका बयान था कि “आउट होने से अच्छा है कि गेंद से चोट खा ली जाए”. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही दादा ने कहा था कि ‘लाइफ इज नॉट ओनली एबाउट क्रिकेट’ यानी जिंदगी का मतलब सिर्फ क्रिकेट ही नहीं है. खैर, दादा की वो प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म हुई. अगले दिन उनका एक एक बयान मीडिया में सुर्खियों का विषय था. भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका को दूसरी पारी में 278 रनों पर समेट दिया था और 123 रनों से शानदार जीत हासिल की थी. उस मैच में श्रीशांत मैन ऑफ द मैच बने थे. नॉटिंघम टेस्ट के हालात भी जान लीजिए नॉटिंघम टेस्ट में भी भारतीय टीम जबरदस्त स्थिति में है. इंग्लैंड को चौथी पारी में जीत के लिए 521 रन चाहिए. भारतीय टीम ने दूसरी पारी में 7 विकेट पर 352 रन बनाकर पारी समाप्ति का ऐलान कर दिया था. पहली पारी के आधार पर भी उसे डेढ सौ रनों से ज्यादा की बढ़त हासिल थी. इंग्लिश टीम पहली पारी में 161 रनों पर आउट हो गई थी. टेस्ट मैच में अभी पूरे दो दिन का खेल बाकी है. मौसम के भी साफ सुथरे रहने की उम्मीद है. ऐसे में जसप्रीत बुमराह, ईशांत शर्मा, हार्दिक पांड्या और मोहम्मद शमी इंग्लिश बल्लेबाजों का कड़ा इम्तिहान लेंगे. पहली पारी में आर अश्विन ने सिर्फ एक ओवर गेंदबाजी की थी. वो बीच में मैदान से बाहर भी गए थे. ऐसा लग रहा था कि उन्हें कोई तकलीफ है. लेकिन अब उन्हें एक दिन का पूरा आराम मिला है. वो ‘फाइटर’ किस्म के खिलाड़ी हैं, इंग्लिश टीम को भारतीय गेंदबाजों की कड़ी परीक्षा देनी होगी.
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