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Opinion: वादों की गारंटी पर वोट, लेकिन पूरा करने के लिए अनुभवी चेहरा रेखा गुप्ता पर लगी मुहर

दिल्ली में बीजेपी की तरफ से महिला मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे कई करण हैं. पहला कारण है तो ये है कि इस चुनाव में महिलाओं ने भाजपा को अच्छी खासी संख्या में वोट किया. वो वोट जो कभी आम आदमी पार्टी को मिला करते थे, वो बीजेपी के खाते में चले गए. इस तरह लगभग 10% आम आदमी पार्टी के वोट भाजपा को गए. 

यह एक संकेत था कि महिलाएं भाजपा को पसंद कर रही हैं, क्योंकि इस चुनाव के शुरू में ही आम आदमी पार्टी ने हिलाओं को 2100 रुपए हर महीने देने की घोषणा की थी. लोगों ने ये देखा कि इस तरह की घोषणा पंजाब में भी की गई थी और पंजाब में वो वादे पूरे नहीं किए गए. 

भाजपा ने भी इसी तरह घोषणा की कि 2500 रुपए हर महीने दिए जाएंगे. पीएम मोदी ने प्रचार के दौरान ये कहा था की ये मोदी की गारंटी है और मैं जो वादा करता हूं उसे पूरा करता हूं. महिलाओं को लगा की अगर बीजेपी ऐसा वादा कर रही है तो पूरा करेगी. एक फैक्टर ये भी था कि जब सुषमा स्वराज या फिर शीला दीक्षित के दौरान दिल्ली में वो समस्याएं नहीं थी, जो आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान लोगों के सामने आयी.

एक संदेश ये भी गया कि महिलाएं दिल्ली की व्यवस्था बेहतर कर सकती हैं. साथ ही भाजपा को ये भी संदेश देना था की हम महिलाओं के साथ हैं और महिलाओं के हित, सुरक्षा, सुविधा देने के लिए जो भी वादे कर रहे हैं उसको पूरा करेंगे. बीजेपी की चार महिला विधायक इस बार के चुनाव में चुनीं गई थीं. लेकिन इनके पास रेखा गुप्ता से बेहतर कोई उम्मीदवार नहीं था.

अनुभवी और महिला चेहरा

इसके अलावा, भाजपा चाहती थी की कोई ऐसे मुख्यमंत्री हों जो उसके साथ चले, उसकी नीतियों को लागू करवाएं. कहीं से किसी तरह की कोई एरोगेंसी न हो. और केन्द्र व एलजी के साथ मिलकर काम करे.रेखा गुप्ता जी भले ही विधायक पहली बार बनीं हों, लेकिन उनके पास अनुभव भी है. और अदब भी.

रेखा गुप्ता तो छात्र राजनीति में बहुत पहले रहीं, उसके बाद निगम पार्षद बनीं और फिर दक्षिणी नगर निगम की मेयर बनीं. इस बीच उनके कार्य, पार्टी के प्रति उनकी वफादारी व लगाव और डेडिकेशन को काफी नजदीक से परखा गया. ये देखा गया कि रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाने से जनता के प्रति किए गए बीजेपी के वादों को पूरा करने में ज्यादा आसानी होगी.

आम आदमी पार्टी ने महिलाओं को शुरु में कुछ सुविधाएं दी, जैसे- बसों की यात्रा मुफ्त कर दिया. लेकिन बाद में दिल्ली का स्वरूप नहीं सुधर पाया. बीजेपी के सामने चुनौती थी. उसने दिल्ली को ही एक सुन्दर, आकर्षक, भव्य राजधानी बनाने का एलान किया था. जो बीजेपी ने वादे किए उसे पूरा भी करना पड़ेगा. आप खुद देखिए की सरकार ने शपथ भी नहीं ली थी कि यमुना की सफाई का काम शुरू हो गया था.

वादों को पूरा करना चुनौती

जिस तरह से शपथ ग्रहण समारोह के दौरान रामलीला मैदान में भीड़ दिखी, उससे ये साफ जाहिर है कि नई सरकार में लोगों की कितना आस्था है. रेखा गुप्ता को सीएम बनाने के पीछे एक ये भी कारण था कि युवा, सक्रिय और ऊर्जावान हैं. बतौर विधायक काम करने का उनका पहला अनुभव होगा लेकिन बीजेपी की बीजेपी को उम्मीद है कि पार्टी की नीतियों को अच्छे तरीके से लागू कराने में कामयाब हो पाएंगी.

हालांकि, दिल्ली बीजेपी के पुरुषों में भी बहुत से ऊर्जावान लोग हैं. रेखा गुप्ता कैबिनेट में जिन मंत्रियों को शपथ दिलाई गई, वे सभी मुख्यमंत्री बनने के काबिल हैं. लेकिन, चूंकि महिलाएं बहुत परंपरागत होती हैं और केन्द्र सरकार यह भी चाहती थी की जो सरकार बने वो ओरिएंटेड हो काम कर के दिखाएं सिर्फ वादे ना हो. क्योंकि अनेक वादे किए गए हैं दिल्ली की जनता से. बीजेपी को लगा होगा कि रेखा गुप्ता के माध्यम से काम कर पाएंगे और रिज़ल्ट दे पाएंगे. महिलाओं के प्रति आम लोगों की भी धरना अच्छी होती है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.] 

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