एक्सप्लोरर

चंडीगढ़: सिर्फ अपनी राजधानी के दावे वाली इस लड़ाई का आखिर क्या होगा अंजाम?

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनते ही केंद्र की मोदी सरकार के साथ उसकी तकरार शुरू हो गई है. पंजाब की भगवंत मान सरकार ने चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोकते हुए विधानसभा में प्रस्ताव भी पारित कर दिया है कि चंडीगढ़ सिर्फ पंजाब की ही राजधानी होनी चाहिए और इस पर हरियाणा या केंद्र का कोई हक नहीं है. लिहाज़ा, चंडीगढ़ पंजाब को हस्तांतरित किया जाए. अभी चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की राजधानी होने के साथ ही केंद्र शासित क्षेत्र भी है.

एक अप्रैल को केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके चंडीगढ़ में कार्यरत 22 हजार सरकारी कर्मचारियों पर केंद्र सरकार के सर्विस रूल लागू कर दिए हैं. यानी उन पर अब पंजाब व हरियाणा सरकार के नहीं बल्कि केंद्र के नियम लागू होंगे. जैसी कि आशंका थी कि ऐसा होते ही पंजाब की आप सरकार इस मुद्दे पर सियासी बवाल काटेगी. वही हुआ भी. उसने विधानसभा में प्रस्ताव पास करके मोदी सरकार से सीधे टकराव का रास्ता खोल लिया है.

हालांकि चंडीगढ़ का विवाद दशकों पुराना है और जानकार मानते हैं कि इसका समाधान उतना आसान भी नहीं है. पंजाब का हमेशा से दावा रहा है कि चंडीगढ़ उसका हिस्सा है और इसके लिए 1985 में हुए राजीव-लोंगोवाल समझौते का हवाला भी दिया जाता है. अगस्त 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के प्रमुख नेता संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच एक समझौता हुआ था. उस समझौते के अनुसार, चंडीगढ़ को 1986 में पंजाब को सौंपना तय हुआ था. समझौते के मुताबिक चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी रहेगी और हरियाणा की अलग राजधानी बनाई जाएगी. लेकिन उसमें ये भी तय हुआ था कि जब तक हरियाणा की अलग राजधानी नहीं बन जाती, तब तक चंडीगढ़ दोनों ही प्रदेशों की राजधानी रहेगी. हालांकि कुछ प्रशासनिक कारणों के चलते इस हस्तांतरण में देरी हुई और यह मामला अधर में लटकता चला गया. बाद में आई सरकारों ने चंडीगढ़, पंजाब को देने और हरियाणा की अलग राजधानी बनाने की कोई सिरदर्दी नहीं पाली.

लेकिन पंजाब की मान सरकार ने भानुमति का पिटारा खोलकर अब केंद्र समेत हरियाणा की खट्टर सरकार की भी सिरदर्दी बढ़ा दी है. जानकार मानते हैं कि ये सिर्फ सियासी मसला नहीं है बल्कि कानूनी विषय भी है क्योंकि अगर पंजाब सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाती है, तो वहां उसका पलड़ा भारी साबित हो सकता है. इसीलिये कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कानूनी सलाह-मशविरे के बाद ही इस मसले को दोबारा जिंदा किया है. लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या मोदी सरकार केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ को इतनी आसानी से पंजाब को सौंप देगी? बिल्कुल नहीं. इसलिये राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक पंजाब और केन्द्र के बीच आने वाले दिनों में ये एक बड़ी कानूनी लड़ाई बनने वाली है.

हालांकि ये पहली बार नहीं है जब पंजाब सरकार ने चंडीगढ़ उसे सौंपने को लेकर विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है. साल 1967 से लेकर 2014 तक इस तरह के छह प्रस्ताव पहले भी पंजाब विधानसभा में पारित हो चुके हैं. आखिरी बार 23 दिसंबर 2014 को तत्कालीन सीएम प्रकाश सिंह बादल सरकार के दौरान चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने संबंधी प्रस्ताव लाया गया था. अब सातवीं बार खुद सीएम भगवंत मान ही ऐसा प्रस्ताव लेकर आए हैं. लेकिन पूर्ववर्ती प्रदेश सरकारों ने अपने इस दावे को लेकर केंद्र से कानूनी टकराव की कोई पहल नहीं की थी. लेकिन मान सरकार इसे कानूनी लड़ाई की शक्ल देने की तैयारी में दिखती है.

चंडीगढ़ को एक आधुनिक व सुनियोजित तरीके से शहर के रूप में बसाने और फिर उसे पंजाब प्रांत जी राजधानी बनाने की कहानी भी अनूठी है. साल 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो पंजाब का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के हिस्से में चला गया. विभाजन से पहले तक तब पंजाब की राजधानी लाहौर हुआ करती थी. लेकिन बंटवारे में लाहौर पाकिस्तान के हिस्से चला गया. इस स्थिति में पंजाब को नई राजधानी चाहिए थी.

विभाजन के बाद करीब छह साल तक शिमला को ही भारतीय पंजाब की अस्थायी राजधानी बनाया गया था. लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि एक ऐसा आधुनिक शहर बसाया जाये, जो लाहौर को पंजाब की राजधानी के रूप में रिप्लेस करे. मार्च 1948 में चंडीगढ़ की योजना बनाई गई. पांच साल बाद 21 सितंबर 1953 को चंडीगढ़ को आधिकारिक रूप से पंजाब की राजधानी बना दिया गया. तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 7 अक्टूबर 1953 को इसका औपचारिक उद्घाटन किया था.

तब से लेकर 1966 तक चंडीगढ़ सिर्फ पंजाब की ही राजधानी रही. लेकिन केंद्र सरकार ने 1 नवंबर 1966 को पंजाब के हिंदी भाषी वाले पूर्वी हिस्से को काट कर एक नए राज्य का गठन किया, जिसका नाम हरियाणा रखा गया. उसी समय ही चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी घोषित कर दिया गया और साथ ही इसे केंद्र शासित प्रदेश भी बनाया गया. 

चंडीगढ़ के 60 फीसदी कर्मचारी पंजाब सरकार के नियमों के तहत आते हैं, वहीं 40 फीसदी हरियाणा सरकार के अधीन हैं. लेकिन अब केंद्र ने नियमों में बदलाव करके सबको अपने अधीन ले लिया है. यानी चंडीगढ़ में पंजाब सरकार की ब्यूरोक्रेसी का जो 60 फीसदी हिस्सा तैनात है, उस पर अब मान सरकार का कोई वश नहीं है. चाहते हुए भी राज्य सरकार न उनका ट्रांसफर कर पायेगी और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की हकदार होगी. यही मान सरकार का सबसे बड़ा दर्द है.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'मुस्लिम-ईसाई भी आ सकते हैं, लेकिन...', RSS में कौन हो सकता है शामिल? सवाल पर मोहन भागवत ने दिया ये जवाब
'मुस्लिम भी आ सकते हैं, लेकिन...', RSS में कौन हो सकता है शामिल? मोहन भागवत ने दिया ये जवाब
बिहार: गोपालगंज में उग्र भीड़ ने फूंकी पुलिस की गाड़ी, सड़क हादसे के बाद भड़की हिंसा
बिहार: गोपालगंज में उग्र भीड़ ने फूंकी पुलिस की गाड़ी, सड़क हादसे के बाद भड़की हिंसा
BB19 Weekend Ka Vaar: 'बिग बॉस 19' से कटा इन दो कंटेस्टेंट का पत्ता, फूट-फूटकर रोईं अशनूर कौर
'बिग बॉस 19' से कटा इन दो कंटेस्टेंट का पत्ता, फूट-फूटकर रोईं अशनूर कौर
IND vs SA: गिल और गंभीर के सामने बड़ी चुनौती, पहले टेस्ट की प्लेइंग इलेवन ने बढ़ाया सिर दर्द, दिग्गज ने दी अहम सलाह
गिल और गंभीर के सामने बड़ी चुनौती, पहले टेस्ट की प्लेइंग इलेवन ने बढ़ाया सिर दर्द
ABP Premium

वीडियोज

पुराना टुकड़ा... सोनम की गिरफ्तारी वाला
VVPAT पर्ची मामले को लेकर पक्ष विपक्ष आमने-सामने
प्रचार युद्ध थमा.. किसका रंग जमा?
Bihar Election: प्रचार में आखिरी चोट...मुस्लिम किसे देंगे वोट?
थमा प्रचार का घमासान...आरक्षण Vs हिंदू-मुसलमान?

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'मुस्लिम-ईसाई भी आ सकते हैं, लेकिन...', RSS में कौन हो सकता है शामिल? सवाल पर मोहन भागवत ने दिया ये जवाब
'मुस्लिम भी आ सकते हैं, लेकिन...', RSS में कौन हो सकता है शामिल? मोहन भागवत ने दिया ये जवाब
बिहार: गोपालगंज में उग्र भीड़ ने फूंकी पुलिस की गाड़ी, सड़क हादसे के बाद भड़की हिंसा
बिहार: गोपालगंज में उग्र भीड़ ने फूंकी पुलिस की गाड़ी, सड़क हादसे के बाद भड़की हिंसा
BB19 Weekend Ka Vaar: 'बिग बॉस 19' से कटा इन दो कंटेस्टेंट का पत्ता, फूट-फूटकर रोईं अशनूर कौर
'बिग बॉस 19' से कटा इन दो कंटेस्टेंट का पत्ता, फूट-फूटकर रोईं अशनूर कौर
IND vs SA: गिल और गंभीर के सामने बड़ी चुनौती, पहले टेस्ट की प्लेइंग इलेवन ने बढ़ाया सिर दर्द, दिग्गज ने दी अहम सलाह
गिल और गंभीर के सामने बड़ी चुनौती, पहले टेस्ट की प्लेइंग इलेवन ने बढ़ाया सिर दर्द
कांग्रेस के ट्रेनिंग कैंप में 2 मिनट लेट पहुंचे राहुल गांधी तो मिली सजा! लगाने पड़े 10 पुशअप
कांग्रेस के ट्रेनिंग कैंप में 2 मिनट लेट पहुंचे राहुल गांधी तो मिली सजा! लगाने पड़े 10 पुशअप
CDS अनिल चौहान की तरह आसिम मुनीर बनेंगे पाकिस्तान के CDF, जानें कितनी बढ़ जाएगी उनकी सैलरी?
CDS अनिल चौहान की तरह आसिम मुनीर बनेंगे पाकिस्तान के CDF, जानें कितनी बढ़ जाएगी उनकी सैलरी?
दिल्ली: MCD उपचुनाव के लिए BJP ने जारी की उम्मीदवारों की लिस्ट, इन नेताओं को दिया टिकट
दिल्ली: MCD उपचुनाव के लिए BJP ने जारी की उम्मीदवारों की लिस्ट, इन नेताओं को दिया टिकट
गोवा में ऑटो वालों ने की विदेशी कपल से बदतमीजी! फिर पुलिस ने भी काट दिया चालान- वीडियो देख भड़के यूजर्स
गोवा में ऑटो वालों ने की विदेशी कपल से बदतमीजी! फिर पुलिस ने भी काट दिया चालान- वीडियो देख भड़के यूजर्स
Embed widget