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Blog: क्या है चांद पर प्लॉट खरीदने वाले सुशांत सिंह राजपूत की मौत के पीछे का सच?

सुशांत सिंह की आत्महत्या के कई दिन बीतने के बाद भी यह मामला शांत नहीं हो पा रहा है. कैसी थी सुशांत की ज़िंदगी और उनका करियर. फिर सुशांत के इस दुखांत के पीछे का सच क्या है. पढ़िये.. वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक प्रदीप सरदाना का ब्लॉग-

सिने संसार के उभरते सितारे सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या को चाहे अब कई दिन बीत गए हैं. लेकिन इस आत्महत्या को लेकर जहां अभी भी अनेक लोग विचलित हैं, वहाँ उनकी आत्महत्या लगातार कई सवाल भी खड़े कर रही है. हालांकि फिल्म-टीवी की दुनिया में कलाकारों द्वारा आत्महत्या के मामले यूं तो बरसों से होते रहे हैं. जब भी ऐसी घटनाएँ होती हैं तो वे दुख देती हैं, दर्द देती हैं. लेकिन सुशांत की आत्महत्या का मामला इतना तूल पकड़ चुका है कि इसको लेकर नित नयी बातें सामने आ रही हैं. साथ ही मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक यह मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है.

इसमें कोई शक नहीं कि सुशांत की खुदखुशी सभी को दुख, दर्द के साथ एक अलग टीस दे रही है. क्योंकि सुशांत ने फिल्म दुनिया में थोड़े समय में ही सफलता, लोकप्रियता पाकर सभी को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के लिए मजबूर कर दिया था. उससे भी बड़ी बात यह कि सुशांत ने यह अद्धभुत सफलता सिर्फ और सिर्फ अपने बलबूते पर प्राप्त की थी.  फिल्मी दुनिया में उसका कोई भी सगा संबंधी नहीं था. इस सफलता को पाने के लिए सुशांत ने जी तोड़ मेहनत की और बहुत कुछ त्याग भी किया. लेकिन सुशांत का ऐसा दुखांत देखकर मन अशांत हो गया है.

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सिर्फ 34 बरस की उम्र में बहुत कुछ हासिल करने के बाद भी सुशांत का यूं दुनिया से चले जाना दिल को भीतर तक कचोट कर रख देता है. सुशांत की आत्महत्या के पीछे क्या कोई एक कारण है या कई कारण हैं. फिर वे कौन से कारण हैं, इन रहस्यों से पूरा पर्दा उठना अभी बाकी है. अभी तो सिर्फ अटकलें ज्यादा हैं, कुछ संकेत हैं. लेकिन असली हकीकत शायद जल्द सामने आए या फिर हो सकता है कि पूरा सच कभी सामने न भी आए.

छोटी शुरुआत से बड़े सपनों तक

पटना में एक सामान्य परिवार में 21 जनवरी 1986 को जन्मे सुशांत का परिवार जब दिल्ली आया, तब वह सिर्फ 14 साल के थे. दिल्ली में उनके पिता कृष्ण कुमार सिंह ने अशोक विहार स्थित एक मशहूर स्कूल कुलाची हंसराज में सुशांत का दाखिला करा दिया. सन 2003 में इस स्कूल से सीनियर सेकेंड्री करने के बाद इंजीनियरिंग में कुछ बड़ा करने के सपने के तहत, सुशांत ने दिल्ली के ही प्रतिष्ठित दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में, मेकेनिकल इंजीनियरिंग में प्रवेश पाकर दिखा दिया कि उनमें योग्यता और क्षमता की कोई कमी नहीं. सुशांत पढ़ाई में कितने अव्वल थे उस बात का प्रमाण इस बात से भी मिलता है कि तब इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में सुशांत ने ऑलइंडिया लेबल पर सातवाँ स्थान प्राप्त किया था.

कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही सुशांत को डांस का शौक जागा और सुशांत ने जहां श्यामक डावर क्लासिज में डांस सीखा वहाँ डांस शो आदि में भाग लेना भी शुरू कर दिया. यह शौक सुशांत को बहुत पसंद आया. इतना पसंद कि सुशांत ने अपनी इंजिनियरिंग की पढ़ाई को फ़ाइनल से करीब 6 महीने पहले ही छोड़ने का ऐसा बड़ा और कठिन फैसला लिया जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी.

सुशांत का यह नया सपना तब रंग लाया जब 2006 में मेलबोर्न में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स के एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में डांस ग्रुप में हिस्सा लेते हुए सुशांत अपने साथियों के साथ ऐश्वर्या राय को अपने हाथों से उठाकार अपने सिर से ऊपर तक ले गए. इस आकर्षक दृश्य के दौरान दर्शकों की तालियों के बीच सुशांत कुछ ऐसे खो गए कि वह कुछ देर के लिए ऐश्वर्या को नीचे उतारना ही भूल गए. उधर अपने इस एक कारनामे से सुशांत अपने कॉलेज में ही नहीं अपने स्कूल के पुराने साथियों में भी एक दम मशहूर हो गए. सही मायने में सुशांत की ज़िंदगी में यही पहला मौका था जब उन्होंने पहली लोकप्रियता का स्वाद चखा.

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मुंबई पहुंचने पर जब मिले अच्छे मौके

इसके बाद सुशांत सन 2007 में मुंबई जाकर बस गए. जहां उन्हें अपनी डांस की बदौलत फिल्मफेयर जैसे अवार्ड और कुछ अन्य समारोह में बड़े स्टार के साथ ग्रुप में डांस करने के मौके मिलने लगे. दूसरी ओर अपने अभिनय की भूख शांत करने के लिए सुशांत ने रंगकर्मी नादिरा ज़हीर बब्बर के ‘एक जुट’ नाट्य समूह में नाटक करने भी शुरू कर दिये. बेरी जॉन के यहाँ तो वह अभिनय का प्रशिक्षण पहले ही ले चुके थे. यह सब बताता है कि ग्लेमर वर्ल्ड से जुड़ने के बाद सुशांत का मन इंजीनियरिंग से एक्टिंग की ओर पूरी तरह रुख कर चुका था.

सुशांत की ज़िंदगी में एक नया मोड तब आया जब एक दिन एकता कपूर की बालाजी टेलीफ़िल्म्स की टीम ने सुशांत को मुंबई में पृथ्वी थिएटर के एक नाटक में देखा. कुछ दिन बाद ही सुशांत एकता के नए सीरियल ‘किस देश में है मेरा दिल’ में प्रीत जुनेजा की भूमिका के लिए पहली बार कैमरे के सामने खड़े थे.

‘किस देश में मेरा दिल’ का प्रसारण 2008 में हुआ था. इस सीरियल में सुशांत की भूमिका छोटी ही थी लेकिन अपनी पहली भूमिका में ही सुशांत के काम की तारीफ होने लगी. एकता को भी सुशांत का काम काफी पसंद आया. इसके बाद एकता ने ज़ी टीवी के लिए बनाए जा रहे अपने अगले सीरियल ‘पवित्र रिश्ता’ की योजना शुरू की तो उन्होंने सुशांत को मानव के लीड रोल के लिए लेने का फैसला ले लिया.

एकता को पसंद थी सुशांत की मुस्कुराहट

‘पवित्र रिश्ता’ में जब सुशांत को लिया गया तब उनकी उम्र सिर्फ 23 साल थी. एकता ने सुशांत का इस सीरियल के लिए सेलेक्शन इसलिए किया था कि एकता को सुशी (एकता सुशांत को सुशी कहकर ही पुकारती रही हैं) की मुस्कुराहट बहुत पसंद थी. गत 2 जून को ‘पवित्र रिश्ता’ के 11 साल होने पर एकता कपूर ने इन्स्टाग्राम की अपनी एक पोस्ट में लिखा था, सुशांत को देखकर ज़ी टीवी वालों को लगा यह लड़का मानव के लीड रोल के लिए फिट नहीं है. लेकिन मैंने उन्हें कहा सुशांत की मुस्कुराहट बहुत खूबसूरत है, वह मुस्कुराहट लोगों पर अपना जादू चला देगी." तब वह माने और बाद में ऐसे ही हुआ.

‘पवित्र रिश्ता’ इतना लोकप्रिय हुआ कि सुशांत अपने इस दूसरी सीरियल से ही टीवी के बड़े और लोकप्रिय स्टार बन गए. लेकिन सुशांत ने इतनी लोकप्रियता पाने के दो साल बाद ही 2011 में ‘पवित्र रिश्ता’ को छोड़ दिया. तब सुशांत ने कहा एक्टिंग सीख रहा हूँ जिस ‘पवित्र रिश्ता’ सीरियल से सुशांत को इतनी लोकप्रियता मिली उसे यकायक बीच में छोड़ना सभी को चौंकाता था. उस दौरान मैंने सुशांत से पूछा था कि तुमने यह सीरियल क्यों छोड़ दिया?

इस पर सुशांत का जवाब था –‘’मैं अभी एक्टिंग सीखना चाहता हूँ, इसलिए मैंने यह सीरियल छोड़ दिया.“ सुशांत का यह जवाब भी चौंकाने वाला था. क्योंकि वह बेरी जॉन के यहाँ से तो अभिनय पहली सीख ही चुका था. साथ ही एक जुट थिएटर को भी सुश ने इसलिए जॉइन किया था कि वह एक्टिंग सीख सके. फिर अब दो साल से वह ‘पवित्र रिश्ता’ में भी अभिनय करके बतौर अभिनेता अच्छी पहचान बना चुका था. लेकिन बाद में पता लगा सुशांत सच में अभिनय और फिल्म मेकिंग सीखने के लिए विदेश रवाना हो गए.

6 साल के फिल्म करियर में 12 फिल्में 

असल में सीरियल में काम करते हुए ही सुशांत ने फिल्मों में जाने का फैसला ले लिया था. इसलिए वह बिना समय गँवाए फिल्मों में कुछ कर गुजरना चाहता था. सुशांत इस मामले में भाग्यशाली रहा कि इसी दौरान उसे जहां यूटीवी प्रॉडक्शन की अभिषेक कपूर निर्देशित फिल्म ‘काई पो चे’’ मिल गयी, वहाँ यशराज फिल्म्स की ‘शुद्द देसी रोमांस’ भी.

चेतन भगत के उपन्यास ‘3 मिस्टेक इन माइ लाइफ’ पर आधारित फिल्म ‘काई पो चे’ में सुशांत की ईशान भट्ट नाम के उस युवक की भूमिका थी. जो एक अच्छा क्रिकेटर है लेकिन वह क्रिकेट सेलेक्शन कमेटी की राजनीति का शिकार हो जाता है. लेकिन उनकी यह पहली फिल्म व्यावसायिक रूप से भी सफल हुई और सुश के अभिनय की भी तारीफ हुई.

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उधर यशराज फिल्म्स की ‘शुद्द देसी रोमांस’ लिव इन रिलेशन पर थी. मनीष शर्मा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में परिणीती चोपड़ा और वाणी कपूर दो नायिकाएँ थीं. लेकिन यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई. सुशांत सिंह राजपूत के फिल्म करियर पर नज़र डालें तो 2013 से 2019 के अपने 6 बरसों के छोटे से फिल्म करियर में उन्होंने कुल 12 फिल्में कीं. जिनमें एक फिल्म ‘वैल्कम टू न्यूयॉर्क’ में सुशांत मेहमान भूमिका में थे.

जबकि उनकी अंतिम फिल्म 'दिल बेचारा' अभी प्रदर्शित होगी. सुशांत की शेष 10 फिल्मों में सुशांत की सर्वश्रेष्ठ फिल्म की बात की जाये तो वह है-‘एम एस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी’. इसके बाद उनकी फिल्म ‘छिछोरे’, 'काई पो चे' और फिर 'पी के' को रखा जा सकता है. सन 2016 में प्रदर्शित फॉक्स स्टार स्टुडियो की नीरज पांडे की ‘एम एस धोनी’ में सुशांत ने सुप्रसिद्द क्रिकेटर धोनी की भूमिका को इस तरह जीवंत कर दिया था कि स्वयं धोनी भी हैरान रह गए थे. इसी फिल्म से सुशांत का नाम फिल्म इंडस्ट्री में इस कदर चमका कि उनकी तुलना हिन्दी सिनेमा के बड़े सितारों से होने लगी. इसी के बाद सुशांत की लोकप्रियता में भी चार चाँद लग गए.

उम्मीद थी कि इस फिल्म के बाद सुशांत के पास बड़ी फिल्मों का ढेर लग जाएगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. सन 2017 में सुशांत की कृति सेनन के साथ एक फिल्म आई ‘राब्ता’ लेकिन निर्माता भूषण कुमार और निर्देशक दिनेश विजन की यह फिल्म फ्लॉप हो गयी. इसके बाद निर्माता रोनी स्क्रूवाला ने अभिषेक कपूर के निर्देशन में सुशांत को अपनी फिल्म ‘केदारनाथ’ में लिया. सन 2013 की उत्तराखंड की बाढ़ त्रासदी की पृष्ठभूमि में बनी इस प्रेम कथा में सुशांत की एक कश्मीरी युवक मंसूर खान की भूमिका थी. जिसमें सारा आली खान उनकी नायिका थी. सुशांत का अभिनय इस फिल्म में भी दिलकश था. हालांकि बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म को उतनी सफलता नहीं मिल सकी, जितनी इस फिल्म से उम्मीद की जा रही थी.

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हाँ सुशांत की अंतिम फिल्म ‘छिछोरे’ ने अच्छी सफलता पाई. छोटे बजट की इस फिल्म ने 153 करोड़ रुपए एकत्र करके शानदार बिजनेस किया. उधर सुशांत का अनिरुद्द पाठक की भूमिका में अभिनय भी शानदार रहा फ़िल्मकार साजिद नादियाडवाला की फिल्म 'छिछोरे' के निर्देशक ‘दंगल’ फेम नितेश तिवारी थे. श्रद्धा कपूर फिल्म की नायिका थी. खास बात यह है कि यह फिल्म आत्महत्या के विरुद्द संदेश देती है. लेकिन इसके बावजूद सुशांत ने स्वयं आत्महत्या करके मौत को गले लगा लिया. ‘छिछोरे’ का एक बहुत ही अहम संवाद था-‘’हम हारजीत सक्सेस फेलियर में इतना उलझ गए हैं कि ज़िंदगी जीना भूल गए हैं. ज़िंदगी में अगर कुछ सबसे ज्यादा इंपोरटेंट है तो वो है खुद की ज़िंदगी.“ एक और भी अच्छा संवाद था-''तुम्हारा रिजल्ट डिसाइड नहीं करता कि तुम लूजर हो कि नहीं. तुम्हारी कोशिश डिसाइड करती है." अफसोस अपनी ही फिल्म के इन अहम संवादों को सुशांत ने अपनी ज़िंदगी में नहीं अपनाया.

बिंदास ज़िंदगी जी रहे थे सुशांत

सुशांत ने अपने छोटे से फिल्म करियर में ही इतनी दौलत कमा ली थी कि वह शान ओ शौकत के साथ बिंदास ज़िंदगी जी रहे थे. बांद्रा के जिस फ्लैट में सुशांत ने खुदखुशी की उसका किराया ही करीब साढ़े 4 लाख रुपए प्रति माह था. कुछ महीने पहले ही सुशांत ने अपने इस फ्लैट को 33 महीने के अनुबंध पर लिया था. जिसे अपनी पसंद के अनुसार इसे सजाया था. जिसमें सभी सुख सुविधाओं के साथ पुस्तकों की एक छोटी लाइब्रेरी थी तो प्राचीन, दुर्लभ और खूबसूरत वस्तुओं का एक संग्रह भी था. अपने साथ सुशांत इस घर में दो-तीन लोगों के स्टाफ के साथ कुछ अपने दोस्तों को भी अक्सर साथ रखते थे, जिसमें उनकी गर्ल फ्रेंड रिया चक्रवर्ती भी कुछ समय पहले तक उनके साथ रह रही थी. इधर सुशांत को महंगी लग्ज़री कारों का भी शौक था. इसलिए सुशांत के पास इस समय करीब डेढ़ करोड़ रुपए की मसेराटी क्वाटरोपोर्टो कार थी तो करीब 60 लाख की रेंज रोवर कार भी. इसके अलावा सुशांत के पास अपनी एक खूबसूरत बाइक भी थी. बीएम डब्लू 1300 आर की इस बाइक की कीमत भी करीब 25 लाख रुपए बताई जाती है. हाल ही में रिया का एक स्टेटमेंट सामने आया है. जिसमें रिया बताती है कि सुशांत का लगभग 10 लाख रुपए महीने का खर्चा था. उधर जिस तरह सुशांत शिक्षा और गरीबों के कल्याण के लिए भी अक्सर आर्थिक योगदान देते रहते थे. यह सब बताता है कि सुशांत को आर्थिक तंगी नहीं थी. यह बात और है कि लॉक डाउन के चलते उन्हें पिछले तीन महीनों में कहीं से कोई पैसा न मिला हो.

क्या हो सकते हैं आत्महत्या के कारण

यहाँ अब बड़ा सवाल यही है कि इतनी सफलता, लोकप्रियता और धन दौलत पाने के बाद, शान से ज़िंदगी जी रहे सुशांत ने आत्म हत्या क्यों की? इसे सवाल को जानने के लिए मुंबई पुलिस भी लगातार जांच और छानबीन में लगी है. सुशांत से जुड़े और करीबी लोगों से भी बराबर पूछताछ की जा रही है.

उधर सुशांत के कुछ रिश्तेदारों ने कहा है कि वह आत्महत्या कर ही नहीं सकता. उसकी हत्या हुयी है. इधर अभिनेत्री कंगना रानौत ने भी इसे प्लानड मर्डर बताते हुए फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोगों को इसका जिम्मेदार ठहराया है. ज़ाहिर है पुलिस अपने ढंग से सभी पहलुओं पर जांच करेगी. यूं अभी तक जो भी रिपोर्ट्स आ रही हैं उनके अनुसार पहली नज़र में यह मामला हत्या का नहीं लगता. पर किसी भी बात को यूं सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता.

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सुशांत पिछले करीब 6 महीने से अवसाद में थे और उनका इसी को लेकर इलाज भी चल रहा था. कुछ बातों से यह भी सामने आ रहा है कि उनके पास नयी फिल्मों की कमी हो गयी थी. बड़े बैनर उन्हें अपनी नयी फिल्मों में नहीं ले रहे थे. वह आउट साइडर थे इसलिए उनके साथ भेद भाव हो रहा था.हालांकि अपने छोटे करियर में जिस तरह कई बड़े बैनर के साथ सुशांत ने फिल्में कीं,उससे यह नहीं कहा जा सकता कि किसी फिल्म घराने से ताल्लुक न रख पाने के कारण उनके साथ भेद भाव हो रहा था.

यदि ध्यान से देखें तो पिछले कुछ बरसों में ही अक्षय कुमार, जॉन अब्राहम, और आयुष्मान खुराना के साथ सुशांत सिंह राजपूत जैसे उन लोगों ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी मजबूत और अच्छी जगह बनाई, जो फिल्मी दुनिया के बाहर से हैं, आउट साइडर हैं. यह सच है कि फिल्म इंडस्ट्री में गुट बाजी है कुछ खेमे हैं. जो कभी कभी उन कलाकारों का करियर तबाह करने में जुट जाते हैं, जो उनके कहे अनुसार नहीं चलते. या फिर सफलता पाने के बाद नखरे दिखाने लगते हैं, फ़िल्मकारों को परेशान करने लगते हैं. कभी ऐसा भी होता है कि कि कोई वो हीरो जिसके नाम का सिक्का बॉक्स ऑफिस पर चल रहा होता है, वह अपनी पसंद की हीरोइन रखने के साथ अपनी पसंद के गायक और संगीतकार भी रखने लगता है. जिसका शिकार कोई आउट साइडर ही नहीं फिल्म खानदान का भी सदस्य हो जाता है.

यशराज के साथ था तीन फिल्मों का अनुबंध

आज के दौर के चुनिन्दा प्रतिष्ठित फिल्म निर्माताओं में से एक यशराज फिल्म्स की कुछ समय से एक परंपरा चली आ रही है कि वह नए कलाकारों को अपनी फिल्म में लेते हुए तीन फिल्मों का अनुबंध कर लेते हैं. सुशांत के साथ भी ‘शुद्ध देसी रोमांस’ के समय यशराज ने 2013 में ऐसा ही अनुबंध किया था. जिसमें इस फिल्म के बाद यशराज ने सुशांत को अपनी एक और फिल्म ‘डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी’ में भी लिया. तीसरी फिल्म के लिए भी यशराज ने सुशांत को लेकर 16 सितंबर 2013 को ही एक फिल्म ‘पानी’ की घोषणा की थी.

‘पानी’ एक बड़ी फिल्म थी, जिसका निर्देशन यशराज ने शेखर कपूर जैसे सरीखे निर्देशक को सौंपा था. लेकिन यह फिल्म किसी न किसी कारण लटकती रही. बाद में ज्यादा देर होने पर यशराज ने इस फिल्म से अपने हाथ खींच लिए. इस बात से सुशांत काफी निराश हुए. क्योंकि इस फिल्म के लिए सुशांत ने कुछ और फिल्मों के प्रस्ताव मना कर दिये थे. सुशांत की एक और निराशा यह भी थी कि करण जौहर के साथ की गयी उनकी एक फिल्म ‘ड्राइव’ थिएटर की जगह ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज कर दी गयी थी. इस फिल्म में सुशांत के साथ जेकलीन थीं. बताया जाता है इस कारण सुश के करण से रिश्ते खराब हो गए थे.

यूं देखा जाये तो ऐसी घटनाएँ बरसों से लगभग सभी सितारों के साथ होती आ रही हैं. यहाँ तक अमिताभ बच्चन के साथ भी ऐसा हुआ. एक बार तो सुभाष घई अमिताभ के साथ ‘देवा’ नाम से एक फिल्म को बड़े पैमाने पर बनाने का ऐलान कर चुके थे. लेकिन बाद में वह प्रोजेक्ट रुक गया. सुशांत भी जानते थे बॉलीवुड का सच ऐसा नहीं है कि सुशांत बॉलीवुड के इस सच को नहीं जानते थे. वह बहुत ही मेहनती होने के साथ समझदार भी थे. हाँ शायद कहीं कुछ मामलों में वह सीधे भी थे और हो सकता है कुछ लोग उनकी इस सादगी का फायदा उठाते रहे हों. एक बार सुशांत ने कहा था- यदि आगे मेरी फिल्में नहीं चलीं या मुझे अच्छे मौके नहीं मिले तो मैं फिर से टीवी सीरियल करने लगूँगा. यदि सीरियल भी नहीं चले तो कुछ और करने लगूँगा. मैंने अपने करियर की शुरुआत 250 रुपए से की थी. इसलिए मुझे कोई चिंता नहीं.

इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि सुशांत को कुछ प्रोजेक्ट हाथ से जाने का इतना सदमा लगा होगा कि वह आत्म हत्या कर लें. पता लग रहा है कि सुशांत ने पीछे एक वेब सीरीज भी आकर्षक पारिश्रमिक के साथ स्वीकार की थी. लॉक डाउन के बाद उस सीरीज की शूटिंग शुरू होने की बात थी. सुशांत खुद भी निर्माता बनकर कुछ प्रोजेक्ट करने की योजना बना रहे थे, ये भी पता लगता है. उनके घर में कई ऐसी स्क्रिप्ट मिलीं हैं. एक स्क्रिप्ट पर तो वह पिछले काफी समय से काम कर रहे थे. एक फिल्म वह चाँद सितारों और नक्षत्रों की दुनिया पर भी बनाने की तैयारी में थे.

इसलिए यह कहा जा सकता है कि वह अपने काम में पूरी तरह जूटे थे. हाँ वह कुछ मूड़ी जरूर थे. एक काम से जल्द ही उनका मोह भी भंग हो जाता था. जबकि सुशांत ने पीछे अपने 50 सपनों की भी एक सूची जारी की थी. जैसे जैसे उनके सपने पूरे हो रहे थे, वह उन पर टिक का निशान लगाकर सभी को दर्शा रहे थे. यह सब बताता है कि आत्महत्या का फैसला सुशांत ने बहुत दिन पहले नहीं लिया होगा.

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नवंबर में थी शादी करने की योजना

सुशांत ने एक बार एक टीवी शो मे कहा था कि वह दिसंबर 2016 में अंकिता लोखंडे से शादी का लेंगे. अंकिता से सुशांत की दोस्ती 'पवित्र रिश्ता' में साथ काम करते हुए ही हुयी थी. बाद में वह प्रेम में बदल गयी. लेकिन करीब 6 साल प्यार में रहने और शादी की घोषणा करने के बाद भी दोनों का ब्रेकअप हो गया. सुशांत और अंकिता का ब्रेकअप क्यों हुआ इस पर दोनों ने कभी कुछ नहीं कहा. बताया जाता है कि फिल्म 'एम एस धोनी' की बड़ी सफलता के बाद सुशांत की पीआर टीम ने उनसे कहा यदि बड़ी सफलता जारी रखनी है तो टीवी की एक्ट्रेस की जगह किसी फिल्म स्टार से रोमांस करो. हालांकि यह बात पूरी तरह इसलिए गले नहीं उतरती यदि ऐसा होता तो वह किसी फिल्म स्टार से रोमांस करते. जबकि अंकिता के बाद उनकी ज़िंदगी में जिस रिया चक्रवर्ती ने एंट्री ली उससे कहीं ज्यादा लोकप्रिय अंकिता थी.

अंकिता ने सुशांत के निधन से तीन दिन पहले ही अपनी सगाई के संकेत देते हुए अपनी फोटो इन्स्टाग्राम पर शेयर की थीं. यहाँ यह सोचा जा सकता है कि क्या सुशांत कहीं अभी भी अंकिता से दिल ही दिल में प्रेम तो नहीं करते थे. अंकिता ने भी अपने उस फ्लैट से सुशांत की नेमप्लेट अभी तक नहीं हटाई थी, जिस जगह कभी ये दोनों साथ रहते थे. ब्रेकअप के बाद भी एक दूसरे के प्रति किसी ने भी कभी कुछ गलत नहीं बोला. सुशांत की आत्महत्या के बाद अंकिता का जैसा बुरा हाल था, वह भी बताता है कि अंकिता के दिल में अभी भी सुशांत के लिए एक खास जगह थी.

यूं असलियत तो जांच के बाद ही शायद सामने आ पाये. लेकिन दो बातें और हैं जो बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती हैं. एक यह कि वह अपनी माँ उषा सिंह को अभी तक बहुत ज्यादा याद करते थे. जबकि उनका निधन 18 साल पहले हो गया था. अपनी मौत से पहले माँ को लेकर सुशांत ने इन्स्टाग्राम पर भी अपना दर्द साझा किया था. इसे संयोग कहें या कुछ और कि इन्स्टाग्रम पर यही सुशांत की आखिरी पोस्ट थी.

चाँद पर भी खरीदा था अपना प्लॉट

दूसरा सुशांत चाँद सितारों के साथ आध्यात्मिक दुनिया में भी काफी रमे हुए थे. अपने घर पर टेलिस्कोप के माध्यम से वह अक्सर चाँद, तारों और नक्षत्रों को देखते रहते थे. यहाँ तक वह बॉलीवुड के ऐसे सितारे भी थे जिन्होंने चाँद पर अपना प्लॉट भी खरीदा था. फिर सुशांत भगवान शिव के भी परम भक्त थे. अपनी कार पर भी आगे की ओर सुशांत ने एक छोटा त्रिशूल लगवाया हुआ था. फिल्म 'केदारनाथ' की शूटिंग के दौरान उनका शिव प्रेम और भी बढ़ गया था. वह 'केदारनाथ' फिल्म के एक गीत -'जय हो जय हो शंकरा' और 'जय जय शिव शंभू' जैसे महादेव के गीतों को गाते हुए अपना वीडियो भी साझा करते रहते थे.

मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि कभी दूसरी दुनिया के चाँद सितारों और नक्षत्रों का प्रेम भी उनसे मिलने और वहाँ जाने के लिए किसी को इतना प्रेरित कर सकता है कि वहाँ जाने के लिए वह अचानक आत्महत्या कर ले. यूं ये सब आशंकाएं और संभावनाएं ही हैं. हम चाहेंगे सुशांत के इस दुखांत के पीछे का पूरा असली सच जल्द सबके सामने आए. तभी सुशांत के दुखांत से अशांत मन कुछ शांत हो सकेगा.

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(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है)

٭लेखक वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म समीक्षक हैं.

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