एक्सप्लोरर

BLOG : यूएसए के बदले माहौल में पीएम मोदी की यात्रा क्या गुल खिलाएगी?

पीएम नरेंद्र मोदी की यूएसए यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत के प्रति बदले हुए रुख के बीच सम्पन्न होने जा रही है. पीएम मोदी का 26 जून को पहली बार ट्रम्प से आमना-सामना होगा. हालांकि नवंबर 2016 में जब डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए जीत हासिल की थी तो पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें औपचारिक बधाई दी थी और ट्रम्प की ताजपोशी के बाद 25 जनवरी, 2017 को पीएम मोदी ने बड़ी गर्मजोशी से ट्वीट करके देश को बताया था कि उनकी फोन पर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति से आत्मीय बातचीत हुई है.

अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी ट्रम्प भारत को लेकर बेहद सकारात्मक नज़र आए थे और भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं को लुभाने में सफल रहे थे. लेकिन राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद से उनका फोकस भारत से लगातार हटता गया और कठिनाई पैदा करने वाले चीन, उत्तर कोरिया, जापान, तुर्की तथा यूरोप के अपने विश्वसनीय सहयोगियों पर केंद्रित होता गया. पीएम मोदी से पहले ट्रम्प ऐसे-ऐसे देशों के नेताओं से मिल चुके हैं, जिनकी दुनिया में कोई गिनती नहीं होती! स्पष्ट है की ट्रम्प की वरीयता सूची में आज भारत कहीं नहीं है.

इतना ही नहीं, ट्रम्प ने एच1-बी वीजा की शर्तों को कड़ा करके भारतीय आईटी प्रोफेशनलों की कठिनाइयां बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते को लेकर तो उन्होंने भारत के खिलाफ ऐसी टिप्पणी कर डाली, जो भारत जैसे महान लोकतांत्रिक देश के लिए बेहद अपमानजनक थी. ट्रंप ने भारत पर छींटाकशी करते हुए कहा था कि पेरिस समझौते का हिस्सा बनने की जरूरत के रूप में भारत ने अरबों रुपए की विदेशी सहायता ऐंठी है. इस सीधे हमले को उनके भारतीय-अमेरिकी समर्थक भी पचा नहीं पा रहे हैं. इस पर सेंट पीटर्सबर्ग इकनॉमिक फोरम में मोदी जी ने वेदों का हवाला देते हुए ट्रम्प को कड़ा जवाब दिया था कि भारत 5 हजार सालों से पर्यावरण की रक्षा कर रहा है.

जाहिर है, ऐसे माहौल में पीएम मोदी की यात्रा उतनी फलदायक तो नहीं ही सिद्ध हो सकती, जैसी बराक ओबामा के कार्यकाल में हुई थी. ओबामा का भारत के प्रति सकारात्मक रुख था और अब ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ की नीति पर अमल करने वाले ट्रम्प का नकारात्मक रुख स्पष्ट है.

modi_obama

इस सबके बावजूद जब पीएम मोदी यूएसए की यात्रा पर जा ही रहे हैं तो उनके मन में कुछ हासिल करने की योजना होगी ही. इस यात्रा के दौरान मोदी जी की राष्ट्रपति ट्रम्प के अलावा अमेरिकी सांसदों, कुछ अमेरिकी कंपनियों के प्रमुखों और भारतीय समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ छोटी-मोटी बैठकें हो सकती है. लेकिन इनका क्या परिणाम निकलेगा, यह ट्रम्प के अस्थिर स्वभाव और दोनों देशों के बीच मौजूदा ठंडे माहौल को देखते हुए आंका नहीं जा सकता.

आतंकवाद का जिक्र छिड़ेगा तो पाकिस्तान और अफगानिस्तान की बात भी जरूर निकलेगी. यह भी होगा कि वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में दोनों देश साथ रहने का संकल्प दोहराएंगे, क्योंकि ये निरापद किस्म के बयान होते हैं. लेकिन जब एच1-बी वीजा की शर्तों पर ढील देने की मांग उठेगी तो निश्चित ही दोनों शीर्ष नेताओं के बीच असहजता बढ़ेगी.

आशाजनक बात यह है कि ट्रम्प प्रशासन भारत के साथ घटते वस्तु व्यापार को लेकर चिंतित है. ओबामा प्रशासन के दौरान दोनों देशों के बीच कुल 93 अरब डॉलर का व्यापार हो रहा था जिसे 2019 तक 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन 2016 के अंत तक यह 115 अरब डॉलर तक ही पहुंच सका. इस लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए यूएसए भारत के सामने अवश्य नरम पड़ेगा. इसी बिंदु पर भारतीय अधिकारियों को अपनी आवाज़ बुलंद करने का मौका मिल सकता है. वे गुणवत्ता नियंत्रण और पेटेंट नियमों को लेकर भारतीय फार्मा और खाद्य पदार्थ कंपनियों को अमेरिकी प्रशासन से होने वाली दिक्कतों को जोरदार ढंग से सामने रख सकते हैं.

परमाणु आपूर्तक समूह (एनएसजी) में प्रवेश को लेकर ओबामा ने चीन की परवाह किए बगैर भारत का खुलकर साथ दिया था. लेकिन ट्रम्प प्रशासन उत्तर कोरिया से निबटने के लिए एकमात्र चीन को अहम मानकर चल रहा है. ऐसे में भारत को एनएसजी में प्रवेश के लिए ट्रम्प का खुला समर्थन मिलने की उम्मीद कम ही है. फिर भी मोदी जी इस मामले में ट्रम्प का रुख उन्हीं के मुंह से अवश्य सुनना चाहेंगे. भारत-अमेरिका के रिश्तों में सुरक्षा समझौते और रक्षा सौदे महत्वपूर्ण कारक रहे हैं.

दोनों देशों के बीच का रक्षा व्यापार 15 अरब डॉलर के करीब है. सामरिक और लाभ की दृष्टि से भी भारत यूएसए का एक बड़ा और महत्वपूर्ण बाज़ार है. मोदी की इस यात्रा के बाद भारत द्वारा हथियार रहित 22 ड्रोन खरीदने के 2 बिलियन डॉलर वाले अहम सौदे पर अमेरिकी मुहर लग सकती है, जो लंबे समय से लटका हुआ है. लेकिन फ्रांस के साथ भारत के रक्षा सौदों को लेकर यूएसए कुपित है.

Modi

मोदी जी की इस यात्रा को निश्चित ही यूएसए भी अपने हक में भुनाना चाहेगा. ट्रंप के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने इशारा किया है कि पीएम मोदी के 'नए भारत' निर्माण की प्रक्रिया में यूएसए को भी रोजगार मिलेगा. स्पाइसर का यह भी कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी अमरीका और भारत के बीच संबंध मजबूत बनाने के उपायों तथा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, आर्थिक विकास एवं सुधारों को बढ़ावा देने और भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग का विस्तार करने जैसी अपनी साझा सामरिक प्राथमिकताओं पर चर्चा करेंगे.

वैसे भी राष्ट्राध्यक्षों की यात्राएं द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने के नाम पर संयोजित की जाती हैं. भारतीय पक्ष की कोशिश यही होगी कि बदले हुए अमेरिकी माहौल के बावजूद मोदी जी इस यात्रा से खाली हाथ न लौटें. अमेरिकी पक्ष के स्पाइसर भी दो देशों के बीच व्यहृत होने वाली कूटनीतिक भाषा का ही इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका अर्थ मोदी जी का यूएसए दौरा सम्पन्न होने के बाद ही खुलेगा.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है)

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/VijayshankarC

और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

'फिल्म मेकर्स को पूरी क्रिएटिव फ्रीडम...', सलमान खान की 'बैटल ऑफ गलवान' पर चीन ने जताई आपत्ति तो भारत ने दिया दो टूक जवाब
'फिल्म मेकर्स को क्रिएटिव फ्रीडम', 'बैटल ऑफ गलवान' पर चीन ने जताई आपत्ति तो भारत ने दिया दो टूक जवाब
जयपुर: नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द, छात्रा के सुसाइड मामले में CBSE का बड़ा एक्शन
जयपुर: नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द, छात्रा के सुसाइड मामले में CBSE का बड़ा एक्शन
पाकिस्तान के CDF आसिम मुनीर ने करवाया बेटी का निकाह, जानें किसे बनाया दामाद? मेहमानों की लिस्ट भी आई सामने
आसिम मुनीर ने करवाया बेटी का निकाह, जानें किसे बनाया दामाद? मेहमानों की लिस्ट भी आई सामने
Tuesday Box Office Collection: 'धुरंधर' के कहर से कांप रहा बॉक्स ऑफिस, पाई-पाई की मोहताज हुईं 'तू मेरी मैं तेरा...' समेत बाकी फिल्में
'धुरंधर' के कहर से कांप रहा बॉक्स ऑफिस, पाई-पाई की मोहताज हुईं बाकी फिल्में
ABP Premium

वीडियोज

Sandeep Chaudhary: बंगाल में सियासत भारी...घुसपैठ रोकना किसकी जिम्मेदारी? | Mamata | Amit Shah
Sandeep Chaudhary: बंगाल में BJP सरकार?, AK Bajpai की ये बात सुनकर डर जाएंगीं Mamata Banerjee!
Sandeep Chaudhary: घुसपैठियों के आकड़ों पर क्यों खामोश है सरकार | Seedha Sawal | PM Modi | ABP News
बंगाल में सियासत भारी...घुसपैठ रोकना किसकी जिम्मेदारी? Sandeep Chaudhary ने पूछ लिया सीधा सवाल
3I ATLAS के निशाने पर है सूरज? | ABPLIVE

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'फिल्म मेकर्स को पूरी क्रिएटिव फ्रीडम...', सलमान खान की 'बैटल ऑफ गलवान' पर चीन ने जताई आपत्ति तो भारत ने दिया दो टूक जवाब
'फिल्म मेकर्स को क्रिएटिव फ्रीडम', 'बैटल ऑफ गलवान' पर चीन ने जताई आपत्ति तो भारत ने दिया दो टूक जवाब
जयपुर: नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द, छात्रा के सुसाइड मामले में CBSE का बड़ा एक्शन
जयपुर: नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द, छात्रा के सुसाइड मामले में CBSE का बड़ा एक्शन
पाकिस्तान के CDF आसिम मुनीर ने करवाया बेटी का निकाह, जानें किसे बनाया दामाद? मेहमानों की लिस्ट भी आई सामने
आसिम मुनीर ने करवाया बेटी का निकाह, जानें किसे बनाया दामाद? मेहमानों की लिस्ट भी आई सामने
Tuesday Box Office Collection: 'धुरंधर' के कहर से कांप रहा बॉक्स ऑफिस, पाई-पाई की मोहताज हुईं 'तू मेरी मैं तेरा...' समेत बाकी फिल्में
'धुरंधर' के कहर से कांप रहा बॉक्स ऑफिस, पाई-पाई की मोहताज हुईं बाकी फिल्में
भारत-इंग्लैंड के बाद इस देश ने भी किया 2026 टी20 वर्ल्ड कप के लिए टीम का एलान, 'भारतीय' बना कप्तान
भारत-इंग्लैंड के बाद इस देश ने भी किया 2026 टी20 वर्ल्ड कप के लिए टीम का एलान, 'भारतीय' बना कप्तान
ताजमहल: मोहब्बत की इमारत पर सियासत की स्याही! 'सफेद कब्रिस्तान' कहने वाले कोई शर्म तुमको न आई
ताजमहल: मोहब्बत की इमारत पर सियासत की स्याही! 'सफेद कब्रिस्तान' कहने वाले कोई शर्म तुमको न आई
न शहबाज शरीफ न आसिम मुनीर और न इशाक डार... खालिदा जिया के जनाजे में पाकिस्तान से कौन जाएगा बांग्लादेश?
न शहबाज, न मुनीर और न इशाक डार... खालिदा जिया के जनाजे में PAK से कौन जाएगा बांग्लादेश?
Foreign Currency Adoption: क्या कोई देश किसी दूसरे मुल्क की करेंसी अपना सकता‌ है, जानें किस स्थिति में लिया जा सकता है यह फैसला
क्या कोई देश किसी दूसरे मुल्क की करेंसी अपना सकता‌ है, जानें किस स्थिति में लिया जा सकता है यह फैसला
Embed widget