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लोकसभा चुनाव परिणाम 2024

UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
00
BJP+
00
NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)

राजनीति के इस शोरगुल में क्यों भुला दी जाती है ऐसी भयानक मानवीय त्रासदी?

महाराष्ट्र में आये सियासी तूफान के बीच तमाम खबरी चैनलों ने हमें अपने एक पड़ोसी देश में आई बहुत बड़ी व भयानक त्रासदी से रुबरु कराने की कोई ज़हमत नहीं उठाई.जिस अफगानिस्तान का विकास करने और उसे हर तरह की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने में भारत कभी पीछे नहीं रहा,उसी मुल्क में बुधवार की तड़के जो भूकंप आया है,उसकी तबाही का अंदाज़ा तो हम लगा ही नहीं सकते.

पिछले दो दशकों में इसे वहां आई  सबसे बड़ी व  भयानक मानवीय त्रासदी माना जा रहा है क्योंकि इसमें मरने वालों की संख्या एक हजार से भी ज्यादा बढ़ती जा रही है और घायलों की संख्या का तो अंदाज़ा ही नहीं लगा सकते.कई बच्चे अनाथ हो चुके हैं. वहां के हालात बेहद बदतर हैं. लेकिन आप मोदी सरकार को पसंद करें या फ़िर उससे नफ़रत करते हों लेकिन इस हक़ीक़त को भला कैसे झुठला सकते हैं कि वहां भारत ने ही सबसे पहले अपनी टेक्निकल टीम भेजी है.

अपने देश में बैठे हम लोग ये सोच भी नहीं सकते कि वहां तबाही का क्या मंज़र है.ये तो दो दशक पहले यानी 26 जनवरी 2001 को गुजरात के भुज में आये भूकंप में अपनों को गवां चुके लोग ही समझ सकते है.उसके बाद ही इस देशकी राजनीति में एक ऐसे नए अध्याय की शुरुआत हुई थी, जिसके बारे में कभी कोई सोच भी नही सकता था.उस त्रासदी के बाद ही अटल-आडवाणी के नेतृत्व वाली बीजेपी ने केशुभाई पटेल को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटाकर उस वक्त पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री नरेंद्र मोदी को वहां का मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया था. कहते हैं कि हर आपदा इंसान के लिए कोई मुसीबत ही लाती है लेकिन भुज की उस आपदा ने मोदी के लिए राज दरबार के ऐसे रास्ते खोल दिये कि उसके बाद उन्होंने आज तक पीछे मुड़कर नहीं देखा.शायद इसीलिए ज्योतिष के जानकार कहते हैं कि एक प्राकृतिक आपदा सैंकड़ों-हजारों लोगों को अपना शिकार तो बनाती है लेकिन उसी वक़्त पर वो कोई ऐसा शख्स भी तलाश लेती है,जो जिंदा बचे लोगों की मिज़ाज़पुर्सी करते हुए अपनी राजशाही का फर्ज अदा करते हुए अपने राजयोग को और मजबूत करता चला जाता है और लोगों को उसका गुमान भी नहीं होता.

दरअसल, भूकंप से प्रभावित अफ़ग़ानिस्तान में लोगों को बचाने के लिए चलाए जा रहे राहत और बचाव अभियान में भारी बारिश, संसाधनों की कमी और मुश्किल इलाकों में मदद पहुंचाने के चलते इतनी दिक़्क़तें पेश आ रही हैं कि कई बच्चे दूध-खाना न मिलने से ही अपना दम तोड़ रहे हैं.तालिबान का शासन आने के बाद से ही अफ़ग़ानिस्तान की स्वास्थ्य व्यवस्था तो और भी ज्यादा चरमरा गई थी लेकिन इस भूकंप ने उन समस्याओं को और ज्यादा भी गंभीर बना दिया है. इस भूकंप के बाद पूरे मुल्क की संचार व्यवस्था इतनी बुरी तरह से प्रभावित हुई है कि लोग अपने ही करीबियों से फोन पर बात करने के मोहताज बन चुके हैं.

मुल्क के बदतर हो रहे मुश्किल हालात के बीच तालिबान प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों से मदद की गुहार लगाई है. संयुक्त राष्ट्र संघ उन संस्थाओं में शामिल है, जो आपदा से सबसे ज़्यादा प्रभावित पक्तीका प्रांत के सुदूर इलाक़ों में लोगों को रहने के लिए ठिकाने और भोजन मुहैया करा रहा है.लेकिन भारत ने काबुल दूतावास में अपनी टेक्निकल टीम को तैनात कर दिया है,जो वहां की तालिबानी सरकार को हर तरह से मदद उपलब्ध कराएगी.

बता दें कि अगस्त 2021 में तालिबानी निजाम (Talibani Rule) के आने के बाद भारत ने अपने काबुल दूतावास से सभी भारतीय अधिकारियों को वापस बुला लिया था. ऐसे में क़रीब 11 महीने बाद भारतीय अधिकारियों की टीम की काबुल में यह दोबारा वापसी है. भारत ने वहां पर मानवीय सहायता और अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार के साथ बेहतरीन तालमेल बनाने के लिए इस टेक्निकल टीम को भेजा है,जो गुरुवार को काबुल पहुंच गई है.काबुल में तालिबान की सत्ता आने के बाद से वहां काफी उथल-पुथल है और उसके बाद वहां के लोगों की मानवीय सहायता के लिए पहुंची ये पहली तकनीकी टीम है.

भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक त्रासदी है,जो न देश की सीमा देखती है,न आपका मज़हब या जाति पूछती है.इसी भूकंप की त्रासदी को एक लेखिका सविता व्यास ने अपनी कलम से कुछ ये शब्द दिये हैं,जिसे आपको भी थोड़ा गौर से पढ़ना चाहिए---

 

"धरती की हल्की सी अंगड़ाई ने 

कितने घरों को जमींदोज कर दिया है

कितने बेगुनाहों को जिंदा दफन कर दिया है

पर क्या सिर्फ घर टूटे हैं यहां?

क्या सिर्फ शरीर दफन हुए हैं यहां?

नहीं ...

 

टूटे हैं सपने उस पिता के

जिन्हें संजोया था उसने

अपने बच्चों के भविष्य संवारने के लिए

टूटे हैं सपने उस मां के

जिसने बच्चों को अच्छा इंसान बनाने का सोचा था

टूटे हैं सपने उन नन्हों के

जिन्होंने खुले आकाश में उड़ान भरने का सोचा था

टूटे हैं सपने दादा-दादी के

जिन्होंने नाती-पोतों को दुलारने की ख्वाहिश की थी

टूटे हैं विश्वास और आस्था के तार

जो हमने जोड़ रखे थे उससे

 

सौंप दी थी जिस पर हमने अपनी रक्षा की बागडोर

शर्मिंदा हैं हमारे

प्रार्थना के वह शब्द

जो  हम अपनों की सलामती के लिए कहते थे

नम है हमारी श्रद्धा की आंखें

सपने, आस्था और विश्वास की कब्र देखकर... "

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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