ब्लॉग: हमारे दीयों में शहीद जवानों का अक्स चमक रहा है!

क्या ही विडंबना है कि जब समूचा भारतवर्ष फुलझड़ियों और पटाखों की रोशनी में नहाया हुआ है, बाज़ार सजे हुए हैं और उत्साही ख़रीदारों से गुलज़ार हैं, बच्चे-बड़े-बूढ़े खील-बताशे बांट रहे हैं, मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान हो रहा है, लोग गणेश-लक्ष्मी-कुबेर की पूजा की तैयारियों में मगन है, भारतीय क्रिकेट टीम धमाकेदार अंदाज़ में जीत का तोहफ़ा दे रही है, ऐसे में पाकिस्तान से भारतवासियों की ख़ुशी देखी नहीं जा रही और उसने हमारे हर्षोल्लास में पलीता लगाने के लिए सीमा पर गोला-बारूद की चिंगारियों का मंजर ओवरलैप कर दिया है. हमारे सैनिकों के साथ बर्बरता की सीमाएं पार कर दी हैं.
नियंत्रण रेखा के पास माछिल सेक्टर में सरहद की सुरक्षा करते हुए अपनी जान न्यौछावर करने वाले बीएसएफ जवान नितीन सुभाष कोली ने दीपावली से दो दिन पहले अपने घरवालों को फोन पर हैप्पी दीवाली कहा था और अपने महाराष्ट्र स्थित गांव जाने की पूरी तैयारी कर चुके थे. गांव में उनकी पत्नी और 2 छोटे-छोटे बेटे ख़ुशियों के पल बिताने के इंतज़ार में आंखें बिछाए बैठे थे. लेकिन नितीन की जगह रविवार को उनका शव गांव पहुंचा. माछिल में ही आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान शुक्रवार रात शहीद हुए मंदीप की पार्थिव देह का रविवार की दोपहर हरियाणा स्थित उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया. एकबारगी तो इस शोकसंतप्त माहौल में लगने लगता है कि काहे के दीपक और कैसी दीपावली!
वैसे भी जिस भी गांव, कस्बे और शहर में किसी वीर सपूत और उस धरती के लाल का तिरंगे में लिपटा शव पहुंचता है, पशु-पक्षियों तक का कलेजा छलनी हो जाता है. दीयों की तो छोड़िए, लोग घरों में चूल्हे नहीं जलाते. शहीदों के परिजनों की चीख़ें हमारे कानों में नेज़े की तरह उतर जाती हैं. इस बार सीमा से बहकर आए शोक में कार्तिक माह की हवाएं रेत हो चुकी हैं. हालांकि जिन रणबांकुरों के दम पर हम घरों में आतिशबाज़ियां कर रहे हैं, उनमें से हज़ारों अब भी सीमा पर फ़ानूस बनकर हमारी हिफ़ाजत में डटे हैं. दीवाली के दिन भी बाज़ न आने वाली पाकिस्तानी सेना की बंदूकों का मुंहतोड़ जवाब देकर वह हमारे दिलों से दुःख और मायूसी की लकीरें साफ करने की कोशिश कर रहे हैं.
महामहिम राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने देशवासियों को हर वर्ष की भांति दीपावली के शुभ अवसर पर बधाई तो दी ही है, भारतीय सेना ने भी अपने हौसले और वीरता का प्रदर्शन करते हुए देशवासियों को इस वर्ष निष्कंटक दीपावली मनाने का संदेश भेजा है. कुछ रात पहले पाक की तरफ से नियंत्रण रेखा के नजदीक माछिल सेक्टर में 17वीं सिख बटालियन के जवान मनदीप सिंह का शव क्षत-विक्षत कर देने जैसी नीच हरकत को अंजाम दिया गया था जिसका बदला हमारे जवानों ने कल की रात केरन सेक्टर की चार पाकिस्तानी सैनिक चौकियों को नेत्स्नाबूद करके ले लिया है. ऊधमपुर स्थित उत्तरी कमान ने दीपावली के दिन देश को संदेश भेजा है कि इस हमले में पाकिस्तान को जानमाल का भारी नुकसान पहुंचा है. सेना ने मनदीप की शहादत का बदला लेने का जो वादा किया था उसे निभा कर दिखा दिया. शहीद की पत्नी और परिवार ने पाकिस्तान को ख़त्म करने की जो इच्छा जताई थी, सेना की इस कार्रवाई से निश्चित ही उनके मन को थोड़ा सुकून और सांत्वना मिली होगी.
भारतीय सैनिकों के बारे में यह वाक्य बहुत प्रसिद्ध और सर्वमान्य है कि जब हम अपने घरों में चैन से सो रहे होते हैं तब हमारे सैनिक सीमा पर हमारी सुरक्षा के लिए जाग रहे होते हैं. इस वाक्य में यह बात यह भी जोड़ी जानी चाहिए कि वे भावनात्मक रूप से भी चट्टान की तरह दृढ़ होते हैं. दीपावली पर सीमा से अपने साथियों के शव उनके गांव पहुंचने और अंतिम संस्कार के दारुण समाचारों के बीच वह कमज़ोरी का परिचय नहीं देना चाहते. केरन, माछिल, आरएसपुरा और कठुआ में पाक की तरफ से रुक-रुक कर हो रही गोलाबारी के बीच भारतीय जवान बेखौफ़ होकर दीवाली मना रहे हैं. बीएसएफ ने तय कर लिया है कि इस बार बाघा बॉर्डर पर पाकिस्तानी रेंजरों को न तो दीवाली की मिठाई दी जाएगी न ली जाएगी. राजस्थान से सटी पाक सीमा पर भी बीएसएफ के जवानों और अधिकारियों ने अपनी चौकियों को रोशनी से जगमग कर दिया और अनुशासन में रहते हुए जमकर आतिशबाज़ी की.
दीपावली के पावन अवसर पर हमारे वीर जवानों ने तो सीमा से हमें यह पैगाम भेज दिया है कि वे देश के काम न आने का इल्ज़ाम अपने सिर नहीं लगने देंगे. अब हम देशवासियों को उन्हें यह संदेश देना है कि भारतवर्ष के हर घर, हर आंगन, हर देहरी और दरोदीवार पर जो दीपक जगमगा रहे हैं उनमें उनका और शहीद जवानों का अक्स चमक रहा है. शुभ दीपावली!
लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/VijayshankarC
और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi




























