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टेरर फंडिंग: निखिल बन कर किराए के मकान में रह रहा था मुशर्रफ, एटीएस ने दबोचा
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इसके एवज में उसे कुछ प्रतिशत रुपए मिलते थे. इससे उसकी ऊपरी आमदनी हो जाती थी. पेट्रोल पंप पर काम करने वाले गिरीश चन्द्र त्रिपाठी बताते हैं कि पुलिसवाले उस दिन सुबह 6 बजे के करीब यहां पर आए थे और दयानंद को पूछने लगे. वो चाय पीने के लिए बगल की दुकान पर गया था. वे आए और उसे अपने साथ लेकर चले गए. उसकी गिरफ्तारी के बाद से पेट्रोलपंप पर काम करने वाले कर्मचारी भी सकते में हैं.
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खोराबार थाना इलाके के सिद्धार्थनगर कालोनी में परिवार के साथ रहने वाले अरुण कुमार श्रीवास्तव ने ढाई साल पहले आजमगढ़ से आए सुशील राय को नीचे के फ्लोर पर किराए पर दो कमरे दिए थे. वह अपनी बहन के साथ यहां रहने आया था. भाई-बहन नीचे के फ्लोर पर बने दो कमरे में रहते रहे. उसने बताया था कि दोनों कम्प्टीशन की तैयारी करते हैं. बाद में उसने बताया कि वो एक कोचिंग सेंटर में पढ़ाने लगा है. उसके कुछ दिन बाद सुशील ने निखिल राय उर्फ डब्बू नाम के युवक का मकान मालिक अरुण कुमार श्रीवास्तुव से बड़े भाई के रूप में परिचय कराया था. सुशील ने बताया था कि बड़े भाई एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर हैं और अब उनका यहां पर ट्रांसफर हो गया है. वे अब यही पर रहेंगे.
Published at : 28 Mar 2018 10:50 AM (IST)
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Source: IOCL






















