अखिलेश यादव ने इसे अपने मुख्यमंत्री रहते ही बनवाया था, इसको भव्य रूप देने और साज सज्जा में दो बार में 42 करोड़ रुपये खर्च किये गए थे. इस खर्च का भुगतान यूपी के राज्य संपत्ति विभाग ने किया, लेकिन थे तो पैसे जनता की गाढ़ी कमाई के ही.
इसके पहले ये बंगला कृषि उत्पादन आयुक्त का हुआ करता था जिसके पीछे लोक निर्माण विभाग के सर्वेंट क्वार्टर हुआ करते थे. बगल के मुलायम सिंह यादव के बंगले से करीब तीन गुना बड़ा इसे बनाया गया था.
इस भव्य और आलीशान बंगले में कई ब्लॉक थे. करीब पचीस कमरे, बड़ी रसोई, जिम के आलावा एक भव्य वेटिंग रूम बनाया गया था. अखिलेश यादव का दफ्तर भी था. सिक्योरिटी गार्ड्स के लिए एक ब्लॉक था. वायरिंग, फॉल्स सीलिंग, एयरकंडीशन और बाथरूम तक कई जगह टाइल्स भी उखड़ी हुई हैं.
अब बीजेपी इसे अखिलेश यादव की मानसिकता और सरकारी पैसे के दुरूपयोग से जोड़कर देख रही है. बीजेपी सवाल पूछ रही है कि जनता की गाढ़ी कमाई के सरकारी पैसे के दुरूपयोग का जिम्मेदार आखिर कौन होगा. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी तो कहते हैं कि टाइल्स तोड़ने का मकसद क्या था? उसके नीचे क्या चीजें दबी थीं?
अखिलेश यादव के परिवार के मुताबिक और उनके राज्यसभा सांसद बिल्डर संजय सेठ की सलाह पर इसे बनाया गया था. इसका काम मुंबई की एक बड़ी कंपनी ने किया था.
4 विक्रमादित्य मार्ग यानी मुलायम सिंह यादव की सरकारी कोठी के बगल का बंगला. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हफ्ते भर पहले अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव ने अपना सरकारी आवास खाली कर दिया.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला खाली करने को कहा था. मुलायम सिंह यादव अपने और अखिलेश के बंगले को बचाने के लिए योगी आदित्यनाथ से मिले भी थे. लेकिन इसके बाद योगी सरकार ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी कर दिया था.
बंगले में एक जिम और स्वीमिंग पूल भी बनाया गया था. विदेशी पौधों से गार्डेन को सजाया गया था. लेकिन अखिलेश यादव ने जिस तरह से इसे खाली किया है ये तस्वीरें इस तरीके पर सवाल जरूर खड़ा कर रही हैं.
कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह ने बंगला खाली करने में देर नहीं लगाई. मायावती के बंगले पर तो तमाम पेंच फंसे ही, मुलायम और अखिलेश ने भी खाली करने के लिए वक्त मांगा. लेकिन आखिरकार सभी को सरकारी बंगले छोड़ने पड़े.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने सरकारी आवास यानि 4 विक्रमादित्य रोड को छोड़ दिया. सवाल ये है कि इस बंगले पर खर्च हुए जनता की गाढ़ी कमाई के 42 करोड़ रुपये का हिसाब कौन देगा और ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि सरकारी आवास को खाली करने से पहले इसको तहस नहस कर दिया गया है.
स्वीमिंग पूल को कंक्रीट और सीमेंट से भर दिया गया है, रसोई में लगे इटालियन मार्बल उखाड़ दिए गए हैं और बाथरूम की फिटिंग्स उखाड़ दी गईं. यहां तक कि इस बंगले में विदेशी टाइल्स, जिम और विदेशी पौधों को सरकारी खर्च पर लगाया गया था उन्हें भी उजाड़ दिया गया.
यह बंगला तीन बंगलों को तोड़ कर बनाया गया था. यह मुलायम सिंह यादव के बंगले से भी बड़ा था. अखिलेश और उनका परिवार इस बंगले को बहुत पसंद करता था.
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