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Urdu Poetry में गज़ल-नज्म़ में क्या फर्क है, क्या होता है मकता, मतला, शेर, रदीफ-काफिया|
ऊर्दू शायरी का इतिहास बेहद पुराना है. हम गज़लें भी सुनते हैं और नज़्में भी. लेकिन फर्क नहीं कर पाते. हम शेर पढ़ते हैं, सुनते हैं. गज़लें सुनते हैं, पढ़ते हैं. लेकिन वो बनती कैसे हैं, उनका इतिहास क्या...
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Last Updated: Sat 19 July, 2025 at 10:52 am | Data Source: MoHFW/ABP Live Desk
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