मुसलमान बनाते हैं हिन्दुओं के लिये कांवड़, हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल बना यह मेला
हरिद्वार में कांवड़ मेला शुरू हो चुका है। इस मेले में तरह तरह कांवड़ देखने को मिल रहे हैं। हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश भी यहां देखने को मिल रहा है। मुसलमान यहां हिन्दुओं के लिये कांवड़ तैयार कर रहे हैं।

हरिद्वार, एबीपी गंगा। हरिद्वार में कांवड़ मेला शुरू हो गया है। यह मेला एकता और भाईचारे का भी संदेश देता नजर आया। मेले के दौरान शिवभक्त कांवडियों की कांवड़ को मेले से पहले भारी संख्या में मुस्लिम समाज तैयार कर रहा है। मुस्लिम परिवार के बच्चों को बचपन से ही विरासत में कांवड़ बनाने का काम मिला है। परिवार में ये बुज़ुर्ग से लेकर महिलाएं और बच्चे भी दिन रात शामिल रहते हैं। वहीं इन कारीगरों में एक महिला बबली राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता हैं। डूबते बच्चों को बचाने के लिए बबली को 2004 में राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा था। धर्मनगरी से आपसी भाईचारे की मिसाल का संदेश देती यह खास रिपोर्ट।
धर्म के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकने के किस्से तो आपने बहुत सुने होंगे लेकिन हरिद्वार में शुरू हो चुके कांवड मेले में आपसी भाईचारे की बडी मिसाल देखने को मिली। कांवडियों के कंधों पर आप जिन सजी कांवडों को देखते हैं उनको बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग बनाकर बेचते हैं।

पिछले कई दशकों से 25 से जयादा मुस्लिम परिवार हरिद्वार में कांवड़ बना रहे हैं। इन कारीगरों का कहना है कि कांवड़ भाईचारे का काम है और इनको कांवड़ियों की सेवा का मौका मिलता है। मुस्लिम समाज के इन कारीगरों के अनुसार इससे न केवल उनका रोजगार चलता है बल्कि कांवड़ बनाना उनके लिए बड़े शबाब का काम है।
कांवड़ बनाने का काम पुरुष ही नहीं महिलाए भी बड़ी शौक और सहयोग से करती हैं। कांवड़ बनाने वाली महिलाओं का कहना है कि यह सब रोजे से रहकर भी कावड़ बनाते हैं। भोले के लिए कांवड़ बनाने से इनके मन को शांति मिलती है इन बच्चों को विरासत में मिले इस काम को करने से ख़ुशी मिलती है। ये अपने घरवालों के साथ कांवड़ बनाने का काम करते हैं। कार्य पूरा होने पर कांवड़ को ज्वालापुर से हरिद्वार हर की पौड़ी बेचने जाते हैं। ये बच्चे स्कूल भी जाते हैं, कांवड़ भी बनाते हैं और 5 वक़्त की नमाज़ भी पढ़ते हैं।
दूसरी तरफ कांवड़ियों का कहना है कि मुस्लिम भाई हमें कांवड़ बनाकर समय पर दे देते हैं और हम लोगों को रास्ते में रहने, खाने की व्यवस्था करते हैं। उनका परिवार यह एक हिंदू मुस्लिम एकता की बात है।
शिवभक्त कांवड़िये जिस कांवड़ में गंगा जल लेकर अपने गंतव्य को वापस जाते हैं। उस कांवड़ को मुस्लिम समाज के लोग महीनों पहले से बनाना शुरू कर देते हैं। मुस्लिम समाज की ये पहल एकता, भाईचारे की जहां अनूठी मिसाल पेश कर रही है तो वहीं यह मिसाल ऐसे लोगों के लिए सबक भी है जो निजी स्वार्थ के चलते हिन्दू- मुस्लिम को आपस में लड़ाने का काम करते हैं।
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