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Lockdown Effect: फूलों की खेती पर संकट के बादल, ब्रज के मंदिरों में पूजा के काम आने वाले फूल खेतों में रहे सूख
Lockdown Effect: लॉकडाउन की वजह से आगरा के फतेहाबाद रोड पर बेला के फूलों की खेती पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इन फूलों का इस्तेमाल ब्रज के मंदिरों में पूजा के लिए किया जाता है, लेकिन इस बार ये लॉकडाउन की वजह से खेतों में ही सूख गए हैं।

Tora village Bela flowers cultivation
आगरा, नितिन उपाध्याय। कोरोना वायरस के खतरे की वजह से लागू लॉकडाउन ने हर छोटे-बड़े कारोबार को चौपट कर दिया है। कारोबारी से लेकर किसान हर कोई परेशान हैं। ऐसी ही परेशानी से जूझ रहे हैं फूलों की खेती करने वाले किसान। आगरा के फतेहाबाद रोड पर बेला के फूलों की खेती के लिए मशहूर तोरा गांव के किसान लॉकडाउन की वजह से बहुत परेशान हैं।

लॉकडाउन ने उनके फूलों को खेतों में ही सूखने के लिए मजबूर कर दिया है। तोरा गांव के किसान लक्ष्मीकांत दीक्षित बताते हैं कि वो हर साल 6 से 7 लाख रुपए इस खेती से कमा लेते थे, लेकिन इस बार बाजार बंद हैं, जिसने पूरी तरह से उन्हें बर्बाद कर दिया है। उनका कहना है कि उनका फूलों की खेती का कारोबार 4 महीने रहता है, जो अप्रैल से शुरू होकर जुलाई तक रहता है। बेला के फूलों की सप्लाई एक तरफ मथुरा और ब्रज के मन्दिरों में होती है, तो वहीं कन्नौज में उसी फूल से इत्र बनता है। ऐसे लॉकडाउन ने सब कुछ चौपट कर दिया है।

वहीं, गांव के ही दूसरे किसान आशीष पाराशर बताते हैं कि उनके गांव में बेला फूल की करीब 50 बीघा खेती होती है, जिसमें गांव के लोगों को बड़े स्तर पर फूल तोड़ के बाजार जाने की वजह से मजदूरी मिल जाती थीं, लेकिन अब किसान भी परेशान है और लोगों को मजदूरी भी नहीं मिल रही है।
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