यमुनोत्री धाम पहुंचने वाले पहले सीएम बने पुष्कर सिंह धामी, तीर्थपुरोहितों में उत्साह, इतिहास में दर्ज हुआ विशेष पल
Chardham News: चारधाम यात्रा का शुभारंभ पर सीएम धामी ने गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में स्वयं उपस्थित होकर प्रथम पूजा संपन्न करवाई. CM ने यात्रियों की सुरक्षा को लेकर अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए.

Uttarakhand News: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का शुभारंभ इस वर्ष अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर हुआ. मां गंगा और मां यमुना के कपाट विधिविधान से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. खास बात यह रही कि इस ऐतिहासिक अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में स्वयं उपस्थित होकर प्रथम पूजा संपन्न करवाई. इससे भी बड़ी बात यह रही कि वे उत्तराखंड राज्य गठन के बाद यमुनोत्री धाम पहुंचने वाले पहले मुख्यमंत्री बन गए, जिससे तीर्थपुरोहितों और स्थानीय लोगों में भारी उत्साह देखा गया.
मुख्यमंत्री धामी का हेलिकॉप्टर यमुनोत्री में गरुड़गंगा के समीप बने अस्थायी हेलीपैड पर उतरा. वहां से उन्होंने करीब 500 मीटर की पैदल यात्रा कर मां यमुना मंदिर तक पहुंचकर पूजा-अर्चना की. इससे पहले वर्ष 1987 में अविभाजित उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह यमुनोत्री धाम पहुंचे थे. वे विषम परिस्थितियों में 13 किमी पैदल चलकर हनुमान चट्टी से धाम आए थे. उनके साथ भाजपा के संस्थापक सदस्य स्व. राजेंद्र रावत भी थे, जो उस समय क्षेत्र की विभिन्न मांगों को लेकर चल रहे आंदोलन के प्रतिनिधि थे.
यमुनोत्री धाम पहुंचने पर पुरोहितों ने सीएम धामी का किया स्वागत
तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री के आगमन का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक और धाम के लिए सकारात्मक बदलाव का संकेत बताया. पूर्व विधायक केदार सिंह रावत ने कहा कि अब तक यमुनोत्री धाम की दुर्गम भौगोलिक परिस्थिति और सुरक्षा कारणों के चलते कोई भी मुख्यमंत्री वहां नहीं पहुंच सका था. लेकिन मुख्यमंत्री धामी के पहुंचने से यह उम्मीद जगी है कि धाम में आधारभूत ढांचे, सुरक्षा और अन्य सुविधाओं का तेजी से विकास होगा. सीएम ने भी इस दिशा में प्राथमिकता से कार्य करने का आश्वासन दिया.
मुख्यमंत्री के पहुंचने के साथ ही धाम में विशेष पूजा का आयोजन किया गया. धामी ने यमुनोत्री और गंगोत्री दोनों धामों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा की. यमुनोत्री धाम में मां यमुना की डोली खरसाली से सुबह 8.30 बजे धाम के लिए रवाना हुई और पूर्वाह्न 11.55 बजे मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए. गंगोत्री धाम में भी मां गंगा की डोली मंगलवार को रवाना होकर भैरव घाटी में रात्रि विश्राम के बाद बुधवार सुबह धाम पहुंची. पूर्व निर्धारित पंचांग के अनुसार शुभ बेला में सुबह 10.30 बजे मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए.
हेलिकॉप्टर से तीर्थयात्रियों पर पुष्पवर्षा की गई
दोनों धामों में कपाट खुलने के साथ ही जयकारों की गूंज सुनाई दी और श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. पहले दिन हजारों श्रद्धालुओं ने मां गंगा और मां यमुना के दर्शन किए. साथ ही गंगा स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया. इस अवसर पर हेलिकॉप्टर से तीर्थयात्रियों पर पुष्पवर्षा की गई, जिससे श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा गया.
गंगोत्री धाम में स्थानीय ग्रामीणों की ओर से देव डोलियों और पांडव पश्वाओं के साथ पारंपरिक तरीके से मां गंगा की आराधना की गई. वहीं, हर्षिल स्थित सेना की बटालियन की ओर से श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन भी किया गया, जो हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहा.
सीएम धामी ने यात्रियों की सुविधाओं को लेकर दिए निर्देश
मुख्यमंत्री धामी ने अपने दौरे में धामों की व्यवस्थाओं का भी निरीक्षण किया और अधिकारियों को तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं में कोई कोताही न बरतने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा उत्तराखंड की आस्था, संस्कृति और पर्यटन की धुरी है और राज्य सरकार इसके सुरक्षित, सुव्यवस्थित संचालन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. धामों में पहली पूजा प्रधानमंत्री के नाम पर होने से श्रद्धालुओं में यह संदेश गया कि देश की शीर्ष नेतृत्व की आस्था और श्रद्धा भी इन पवित्र स्थलों से जुड़ी हुई है. इससे प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को और गति मिलने की उम्मीद है.
मुख्यमंत्री धामी का यह दौरा केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि विकास और विश्वास का संदेश देने वाला रहा. अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यमुनोत्री धाम के स्थायी विकास को लेकर उनके आश्वासन किस तरह जमीन पर उतरते हैं. लेकिन इतना तय है कि मुख्यमंत्री के इस ऐतिहासिक दौरे ने स्थानीय जनता, तीर्थपुरोहितों और यात्रियों के दिलों में एक नई उम्मीद जगा दी है.
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