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Haryana Politics: अनिल विज का था लिस्ट में नाम फिर भी नहीं बने मंत्री, क्यों हैं नाराज? समझें मायने

Haryana News: हरियाणा में मंगलवार को बड़ा फेरबदल हुआ. मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी सीएम बने. इन सबके बीच अनिल विज नाराज दिखाई दिए.

Haryana: बीजेपी नेता अनिल विज मंगलवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए. पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के अनुसार, उन्हें भी कैबिनेट में शामिल किया जाना था. वहीं अनिल विज उस बैठक से भी नाराज होकर चले गए थे, जिसमें नायब सिंह सैनी को बीजेपी विधायक दल नेता चुना गया था.

इस मामले पर जब पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर से पूछा गया कि क्या विज का नाम उपमुख्यमंत्री पद की दौड़ में है, तो उन्होंने कहा कि जिन मंत्रियों को शपथ लेनी थी, उसमें उनका नाम शामिल था. लेकिन, वे नहीं आ सके. यह पूछे जाने पर कि क्या अनिल विज नाराज हैं तो उन्होंने कहा कि वे हमारे वरिष्ठ सहयोगी हैं. कभी-कभी नाराज हो जाते हैं, लेकिन बाद में मान जाते हैं.

पूर्व सीएम ने कहा, पहले भी ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जब अनिल विज किसी बात पर नाराज हो गए, लेकिन बाद में चीजें सामान्य हो गईं. मैंने उसके साथ बात की. उन्होंने कहा कि उनका (शपथ ग्रहण समारोह में) आने का मन नहीं है. हम उनसे बात करेंगे. सीएम नायब सैनी भी उनसे बात करेंगे.

बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री के रूप में एक नया चेहरा लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले आया है. मुख्यमंत्री के रूप में मनोहर लाल खट्टर का दूसरा कार्यकाल अक्टूबर में समाप्त होना था, जब विधानसभा चुनाव होने थे. समझा जाता है कि अनिल विज इस बात से नाराज थे कि पार्टी ने अंबाला कैंट विधायक को नजरअंदाज कर नायाब सिंह सैनी को आगे बढ़ाने का फैसला किया. अनिल विज बीजेपी विधायक दल की बैठक के बाद अपने निजी गाड़ी से सीधे अंबाला रवाना हो गए. बाद में उन्हें अंबाला कैंट स्थित आवास की तस्वीरों में एक बच्चे के साथ खेलते हुए दिखाया गया.

बैठक के बाद हड़बड़ाहट में निकले विज

नायब सिंह सैनी के शपथ ग्रहण से पहले अनिल विज जब बीजेपी विधायक दल की बैठक से बाहर निकले तो उनसे पूछा गया कि बैठक में क्या हुआ. इस दौरान उन्होंने सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा कि बताने वाले बताएंगे, जो लोग दिल्ली से आए हैं वे बताएंगे, फिर उन्हें हड़बड़ाहट में जाते हुए देखा गया.

इससे पहले साल 2014 में जब हरियाणा में बीजेपी अपने दम पर सत्ता पर आई तो विज ही मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे थे, लेकिन मनोहर लाल खट्टर को विधायक दल का नेता चुना गया. वहीं अब कुछ महीने पर उनके स्वास्थ्य विभाग में मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों की ओर से हस्तक्षेप करने पर भी विज ने नाराजगी जताई थी और एक महीने तक फाइलों को मंजूरी देना बंद कर दिया था.

कई मौकों पर दिखी अनिल विज की नाराजगी

नूंह हिंसा के समय भी अनिल विज अपने पास कोई खुफिया इनपुट होने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा था कि मनोहर लाल खट्टर इस मुद्दे पर अपडेट दे सकते हैं, क्योंकि उनके पास सारी जानकारी है. लगभग तीन साल पहले, सीआईडी के नियंत्रण को लेकर मनोहर लाल के साथ रस्साकशी के बाद, अनिल विज से विभाग का प्रभार छीन लिया गया था, जो बाद में मुख्यमंत्री को आवंटित किया गया था.

छह बार के विधायक अनिल विज ने तब कहा था कि मुख्यमंत्री सर्वोच्च है और वह किसी भी विभाग को छीन या बांट सकता है. डेढ़ साल पहले, जब खट्टर ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया तो विज से शहरी स्थानीय निकाय विभाग छीन लिया गया जो बीजेपी के हिसार विधायक कमल गुप्ता को दे दिया गया.

2014 में हरियाणा में पहली बार अपने दम पर बीजेपी के सत्ता में आने के तीन महीने से भी कम समय तक उनके पास स्वास्थ्य और खेल विभाग थे. तब उन्होंने एक्स पर खट्टर पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए पोस्ट किया था, धन्यवाद मेरे विभागों में गहरी रुचि लेने के लिए. मैं आराम से हूं. विज तब जाहिर तौर पर खट्टर से नाराज थे जिन्होंने उनके द्वारा संभाले जाने वाले विभागों से संबंधित कई कार्यक्रम और योजनाएं शुरू की थीं. 

यह भी पढ़ें: Haryana: हरियाणा में कौन-कौन नेता बने मंत्री? निर्दलीय विधायक को भी मौका, पढ़ें पूरी डिटेल

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