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अजित से उद्धव तक... शरद पवार के इस्तीफे के बाद इन 5 नेताओं का क्या होगा?

तमाम अटकलें, कयासों और शरद पवार के बनाए सस्पेंस के बीच महाराष्ट्र के 5 बड़े नेताओं का राजनीतिक भविष्य इस इस्तीफे से दांव पर हैं. इनमें अजित और सुप्रिया का नाम भी शामिल हैं.

महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक शरद पवार के इस्तीफे पर सियासी हलचल जारी है. हर बार अपने फैसले से चौंकाने वाले सीनियर पवार 48 घंटे बाद भी कोई पत्ता नहीं खोल रहे हैं, जिसके बाद मीडिया में एनसीपी अध्यक्ष को लेकर 2 तरह की अटकलें चल रही है.

पहला, शरद पवार कार्यकर्ताओं और नेताओं की बात मानकर अपना इस्तीफा वापस ले लें. साथ ही पार्टी के कामकाज के लिए एक कार्यकारी अध्यक्ष का चुनाव करे. कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले या अजित पवार में से कोई एक हो सकता है.

दूसरा, पवार अपना इस्तीफा वापस न लेकर सर्वसम्मति से किसी नेता को अध्यक्ष बना दे. दावा किया जा रहा है कि एनसीपी का नया अध्यक्ष फिलहाल पवार के परिवार से बाहर का होगा. 

इसी बीच एबीपी से बात करते हुए शरद कहा है कि 5 मई को एनसीपी नेताओं की बैठक है. अध्यक्ष को लेकर इसी मीटिंग में फैसला किया जाएगा. मैंने इस्तीफा देते वक्त कार्यकर्ताओं और नेताओं को विश्वास में नहीं लिया. 

तमाम अटकलें, कयासों और शरद पवार के बनाए सस्पेंस के बीच महाराष्ट्र के 5 बड़े नेताओं का राजनीतिक भविष्य इस इस्तीफे से दांव पर हैं. आइए इसे विस्तार से जानते हैं...

1. उद्धव ठाकरे-  2019 में कांग्रेस और शिवसेना को साथ लाने में शरद पवार ने ही बड़ी भूमिका निभाई थी. महाविकास अघाड़ी के बनने के बाद उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन 3 साल बाद शिवसेना में टूट हो गई. 

पवार और कांग्रेस के साथ जाने की वजह से उद्धव पार्टी और सत्ता गंवा बैठे हैं. हालांकि, सत्ता जाने के बाद भी उद्धव मजबूती से काम कर रहे थे और महाविकास अघाड़ी की रैलियों में शामिल हो रहे थे.

उद्धव कोर्ट के साथ ही एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर जमीन पर भी न्याय की लड़ाई अब तक लड़ रहे थे, लेकिन पवार के इस्तीफे के बाद महाविकास अघाड़ी का भविष्य संकट में हैं. एनसीपी में जारी संकट की वजह से 3 रैलियों को स्थगित करना पड़ा है.

उद्धव को एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ने से बड़े बदलाव की उम्मीद थी. कई चुनावी सर्वे ने भी इस उम्मीद को बल दिया था, लेकिन अब पवार के जाने से उद्धव का भविष्य दांव पर लग गया है.

पवार अगर अपना इस्तीफा वापस नहीं लेते हैं, तो एनसीपी का नया नेतृत्व गठबंधन तोड़ सकता है. शिवसेना (ठाकरे) के मुखपत्र सामना ने अपने संपादकीय में कहा है कि अजित के मुख्यमंत्री बनने की चाहत को देखते हुए शरद पवार ने इस्तीफा दिया है.

उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी वर्तमान में बहुत ही कमजोर है. अगर शरद पवार का भी साथ छूटता है तो नासिक, कोकण और मुंबई के इलाके में ठाकरे को बड़ा झटका लग सकता है. 

इसका असर आगामी बृहन्मुंबई महानगर पालिका चुनाव में भी इसका असर देखने को मिल सकता है. शिवसेना में टूट के बाद उद्धव ठाकरे मुंबई और ठाणे के इलाके में पूरा फोकस कर रहे थे.

2. एकनाथ शिंदे- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का सियासी भविष्य भी शरद पवार के इस्तीफे की वजह से दांव पर है. इसे 2 प्वॉइंट्स से समझते हैं.

  • शरद पवार का इस्तीफा होने के बाद एनसीपी में अजित पवार पावरफुल जाएंगे, जिसके बाद बीजेपी-एनसीपी के बीच गठबंधन का रास्ता खुल सकता है. पिछले एक पखवाड़े से महाराष्ट्र की सियासत में इस बात की चर्चा भी चल रही है. चर्चा को इसलिए भी बल मिला क्योंकि अजित शिवसेना और कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं.
  • एकनाथ शिंदे के 17 समर्थक विधायकों की सदस्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर टिका है. अगर इन सभी की सदस्यता रद्द होती है तो महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार अल्पमत में आ जाएगी. चर्चा है कि सरकार बचाने के लिए बीजेपी एनसीपी को मुख्यमंत्री की कुर्सी दे सकती है और शिंदे का इस्तीफा हो सकता है.

इन सब चर्चाओं पर अभी तक शिंदे गुट की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि शरद पवार भतीजे का रास्ता बनाने के लिए ही इस्तीफा दिया है.

2022 में महाविकास अघाड़ी सरकार में शिवसेना कोटा से मंत्री एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ पहले गुजरात और फिर असम चले गए. शिंदे के इस कदम से राज्य में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार गिर गई. 

इसके बाद एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बना लिया. सरकार में शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया गया, जबकि देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने. 

3. जयंत पाटील- एनसीपी के संगठन में जयंत पाटील की गिनती नंबर-2 नेता की है. पाटील अभी महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हैं. 2019 में जब अजित पवार ने एनसीपी से बगावत किया था तो उस वक्त शरद पवार ने जयंत को ही विधायक दल का नेता बनाया था. 

जयंत पाटील को राजनीति अपने पिता से विरासत में मिली है. पाटील 1990 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक बने. 1995-1999 के शिवसेना-बीजेपी सरकार में पाटील खूब सुर्खियों में रहे. 

उस वक्त विधानसभा में दिलीप वल्से पाटील, जयंत पाटील और आर पाटील की तिकड़ी ने सरकार की नाक में दम कर रखा था. 1999 में जब शरद पवार ने कांग्रेस छोड़ एनसीपी का गठन किया तो पाटील उनके साथ आ गए.

महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी की सरकार में जयंत पाटील के हिस्से में वित्त, ग्रामीण और गृह जैसे महत्वपूर्ण विभाग रहे. उद्धव सरकार में पाटील को जल-संसाधन जैसे महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री बनाया गया था.

2018 में शरद पवार ने सुनील टटकाड़े की जगह जयंत पाटील को एनसीपी महाराष्ट्र इकाई का अध्यक्ष बनाया था. पाटील को एनसीपी के भीतर शरद पवार का सबसे विश्वसत नेता माना जाता है.

शरद पवार अपना इस्तीफा वापस नहीं लेते हैं और उनके परिवार से कोई अध्यक्ष नहीं बनता है तो जयंत पाटील का नाम रेस में सबसे आगे है. हालांकि, जयंत की राह में अजित पवार सबसे बड़ा रोड़ा भी हैं. 

4. सुप्रिया सुले- शरद पवार की बेटी और बारामती से सांसद सुप्रिया सुले का राजनीतिक भविष्य भी इस्तीफे की वजह से दांव पर लगा है. बेटी होने की वजह से सुप्रिया को शरद पवार का राजनीतिक उत्तराधिकारी भी माना जाता रहा है. 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अजित को लेकर चल रही खबरों के बीच शरद पवार ने अचानक इस्तीफा देकर सुप्रिया का पक्ष मजबूत कर दिया है. शरद पवार का इस्तीफा अगर स्वीकार होता है, तो सुप्रिया की भूमिका और शक्ति भी तय की जाएगी. 

वरिष्ठ नेताओं ने शरद पवार को सलाह दिया है कि सुप्रिया को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया जाए और महाराष्ट्र की कमान अजित पवार को सौंपी जाए. छगन भुजबल ने यह बयान सार्वजनिक रूप से भी दिया है.

शरद पवार के सियासी वनवास में जाने के बाद संगठन में खुद को साबित करना सुप्रिया की सबसे बड़ी मुश्किलें हो सकती है. उत्तराधिकारी की जंग में अजित पवार अभी बहुत आगे हैं.

एनसीपी का बड़ा जनाधार महाराष्ट्र में ही है. ऐसे में दिल्ली की राजनीति करना भी सुप्रिया के लिए आसान नहीं होगा. हालांकि, सुप्रिया के साथ प्लस प्वॉइंट्स कार्यकर्ताओं का सपोर्ट है.  शरद पवार के इस्तीफा देने के बाद कार्यकर्ताओं का भावनात्मक पक्ष सुप्रिया के साथ ही माना जा रहा है. 

5. अजित पवार- शरद पवार का इस्तीफा अगर होता है तो सीधे तौर पर सबसे अधिक नफा-नुकसान अजित को ही होगा. सहकारिता के जरिए मुख्य धारा की राजनीति में आने वाले अजित महाराष्ट्र के 4 बार उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 

बारामती से अजित पवार लोकसभा का सांसद भी रह चुके हैं. साथ ही वर्तमान में विधायक दल के नेता हैं. महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स में एनसीपी में चाचा शरद के बाद भतीजे अजित ही सबसे अधिक पॉपुलर हैं.

शिवसेना (ठाकरे) ने एनसीपी में शरद पवार के इस्तीफे के लिए अजित को ही जिम्मेदार ठहराया है. संजय राउत ने कहा है कि अजित मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, इसलिए पवार ने इस्तीफा दे दिया है. 

शरद पवार का इस्तीफा अगर एनसीपी में स्वीकार होता है तो सबकी नजर अजित की आगामी भूमिका पर ही रहेगी. कार्यकर्ताओं में अभी अजित पवार को लेकर नाराजगी भी देखी जा रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि उन्हें शायद ही कमान मिले.

अजित के पास विधायकों का समर्थन है, लेकिन शरद पवार अध्यक्ष पद छोड़ते हैं, तो उनका कद पार्टी से भी बड़ी हो जाएगी. ऐसे में उनके सहमति के बिना अजित कोई फैसला शायद ही ले पाएं. कुल मिलाकर शरद पवार के इस्तीफे ने महाराष्ट्र की सियासत में काफी कुछ उलझा दिया है.

अध्यक्ष चुनने के लिए 15 सदस्यों की कमेटी
शरद पवार ने नए एनसीपी चीफ का चुनाव करने के लिए 15 सदस्यों की एक कमेटी बनाई है. इस कमेटी में अजित पवार, सुप्रिया सुले, सुनील टटकाड़े, राजेश टोपे, अनिल देशमुख, जयंत पाटील, प्रफुल पटेल, हसन मुश्रिफ, छगन भुजबल, जितेंद्र आह्वाद, धनंजय मुंडे, पीसी चाको आदि को शामिल किया गया है.

शरद पवार 2022 में 4 साल के लिए एनसीपी के अध्यक्ष बने थे. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि वर्तमान में जिस नाम पर सहमति बनेगी, वो अंतरिम तौर पर काम करेंगे. इसके बाद संविधान के मुताबिक कार्यकारिणी बुलाकर अध्यक्ष पद पर मुहर लगाया जा सकता है. एनसीपी से हाल ही में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा चुनाव आयोग ने छीन लिया है.

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