शरद पवार, अजित पवार और सुप्रिया सुले को HC से बड़ी राहत, जांच की मांग वाली PIL खारिज
Maharashtra News: जनहित याचिका में CBI को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि वह पुणे जिले के लवासा में हिल स्टेशन के निर्माण के लिए कथित तौर पर अवैध रूप से दी गई अनुमतियों के लिए मामला दर्ज करे.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार (22 दिसंबर) को एनसीपी (SP) प्रमुख शरद पवार, सांसद सुप्रिया सुले और डिप्टी सीएम अजित पवार के खिलाफ जांच की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया. ये मामला पुणे में लवासा हिल स्टेशन परियोजना से जुड़ा है. इस प्रोजेक्ट को कथित तौर पर अवैध रूप से दी गई अनुमतियों के लिए सीबीआई जांच की मांग वाली पीआईएल दायर की गई थी.
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अनखड़ की बेंच ने पाया कि याचिकाकर्ता नानासाहेब जाधव (जो एक वकील हैं) कोई ऐसा कानूनी प्रावधान पेश करने में विफल रहे हैं जिसके तहत कोई अदालत, अपने दीवानी क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए, पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दे सकती है.
PIL में CBI को निर्देश देने का किया गया था आग्रह
जाधव की जनहित याचिका में सीबीआई को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि वह पुणे जिले के लवासा में एक हिल स्टेशन के निर्माण के लिए कथित तौर पर अवैध रूप से दी गई अनुमतियों के लिए शरद पवार, सुले और अजित पवार के खिलाफ मामला दर्ज करे. फरवरी 2022 में, जब जाधव ने लवासा को दी गई विशेष अनुमतियों को अवैध घोषित करने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी, तब हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.
हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
हालांकि, हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि ऐसा लगता है कि शरद पवार और उनकी बेटी ने प्रभाव और दबदबे का थोड़ा इस्तेमाल किया है. सीबीआई जांच की मांग करते हुए 2023 में दायर की गई नई जनहित याचिका में, जाधव ने कहा कि उन्होंने दिसंबर 2018 में पुणे पुलिस आयुक्त के पास पवार और अन्य के खिलाफ जांच की मांग करते हुए एक शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.
शरद पवार ने दायर की थी हस्तक्षेप याचिका
इस साल मार्च में शरद पवार ने जनहित याचिका का विरोध करते हुए एक हस्तक्षेप याचिका दायर की, जिसमें दावा किया गया कि जाधव ने बार-बार इसी तरह के या समान आरोप लगाए हैं.
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Source: IOCL























