Haryana Election Result 2024: हरियाणा की जीत से कांग्रेस के लिए खुलेगा हिंदी पट्टी का द्वार! लेकिन और बढ़ेगी पुरानी मुसीबत
Haryana Assembly Election Result: हरियाणा में कांग्रेस (Congress) के लिए जीत तय मानी जा रही है लेकिन यह जीत पार्टी के लिए एक और चुनौती को खड़ा करने वाली नजर आती है.
Haryana Assembly Election Result 2024: हरियाणा में विधानसभा चुनाव में वोटिंग के बाद अब मंगलवार की सुबह आठ बजे से वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी. एग्जिट पोल के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही है. लेकिन अगर ऐसा होता है कि हिंदी पट्टी का द्वार कांग्रेस के लिए खुल जाएगा.
दरअसल, बीते कई सालों से हिंदी पट्टी के किसी राज्य में कांग्रेस ने जीत दर्ज नहीं की है. बीते साल राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार चली गई थी. इसके बाद फिर से कांग्रेस अपने लिए हिंदी पट्टी का द्वार तलाश रही थी. लेकिन अब यह हरियाणा के जरिए संभव होते हुए नजर आ रहा है. अगर एग्जिट पोल के आंकड़े सही होते हैं तो करीब 10 साल बात यहां कांग्रेस सत्ता में आएगी.
प्रचार अभियान से दूरी
लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि इस राज्य में जीत के बाद भी हरियाणा कांग्रेस के बड़े नेताओं के बीच आपसी मनमुटाव ही पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी. यह बीते विधानसभा चुनाव के दौरान भी नजर आता रहा है. तब कुमारी शैलजा की नाराजगी किसी से छीपी नहीं है. बात इतनी बढ़ गई थी कि उन्होंने प्रचार अभियान से ही दूरी बना ली थी.
हालांकि बाद में विरोधी दलों ने उनकी नाराजगी को दलित समाज की अनदेखी से जोड़ दिया. बीजेपी समेत तमाम दलों ने इसे चुनावी मुद्दा बना लिया तो कांग्रेस हाईकमान ने खुद इस विवाद में एंट्री की और मामले को सुलझाया गया. इसके बाद अशोक तंवर के कांग्रेस में आने पर भी कुमारी शैलजा ने हाईकमान से मुलाकात की थी.
दावेदारों की लंबी लिस्ट
इसके अलावा मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की लंबी लिस्ट है जो पार्टी के अंदर ही मनमुटाव का कारण बन सकती है. बीते सालों के दौरान कांग्रेस हाईकमान के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती रही है. यह चुनौती मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में खास तौर पर दिखी है. जहां जीत दर्ज करने के बाद भी पार्टी ने युवा चेहरों की जगह पुराने और अनुभवी चेहरों को तरजीह दी.
ऐसे में अब कांग्रेस के सामने एक बार फिर से वही पुरानी चुनौती होगी. बता दें कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा बार-बार यह कह रहे हैं कि वह ना टायर्ड हूं और न रिटायर हूं. यानी उन्होंने इशारों ही इशारों में हाईकमान के सामने अपनी दावेदारी पेश कर दी है. जबकि चुनाव प्रचार के दौरान कई और बड़े नेता सीएम बनने की इच्छा जता चुके हैं.