Ahmedabad Bomb Blast 2008: शाहिद को फेब्रिकेशन वर्क कराने को बोलकर ले गई थी पुलिस, 9 साल बाद अब हुई रिहाई, जानें पूरा मामला
अहमदाबाद बम ब्लास्ट में बरी शाहिद के पिता ने कहा कि उनके बेटे को यह कहकर पुलिस ले गई कि कुछ फेब्रिकेशन का काम कराना है जिसके बाद वो नौ साल तक घर नहीं लौटा. बता दें कि मंगलवार को उसकी रिहाई हुई है.
Ahmedabad Bomb Blast 2008: मध्य प्रदेश के उज्जैन के नागोरी मोहल्ले के रहने वाले 62 साल के अब्दुल हमीद को आज भी 3 मई 2013 की वो दोपहर याद है, जब पुलिस ने गुजरात एंटी टेररिज्म स्क्वायड (एटीएस) की सूचना पर उनके बेटे शाहिद को ले गई जो कि एक फेब्रिकेशन वर्कर था. पुलिस ने शाहिद से कहा कि उन्हें पुलिस कर्मियों के लिए कुछ फेब्रिकेशन करने के लिए उसकी आवश्यकता है और उसके काम से संबधित सामानों को लाने को कहा. जिसके बाद वो नौ साल से घर नहीं लौटा.
27 अन्य के साथ शाहिद को भी बरी किया गया
शाहिद 2008 के सीरियल ब्लास्ट के 77 आरोपियों में से एक था जिसमें 26 बम विस्फोट हुए थे, जिसमें 56 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हो गए थे. मंगलवार को विशेष अदालत ने 27 अन्य आरोपियों के साथ शाहिद को भी सभी आरोपों से बरी कर दिया. शाहिद का परिवार मंगलवार सुबह उज्जैन से अहमदाबाद पहुंचा, जब उनके वकील ने उन्हें सूचित किया कि फैसला सुनाया जाना है.
पिता नौ सालों तक बेटे की रिहाई के लिए दर-दर भटके
पेशे से दर्जी हामिद ने दावा किया कि पिछले नौ वर्षों में, वह दर-दर भटकता रहे, अपने बेटे को बरी कराने के लिए एमपी उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ राजनेताओं से भी संपर्क किया. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस मेरे बेटे को ले गई और उसे नीलगंगा पुलिस स्टेशन में पेश नहीं किया, इसके बजाय उन्होंने माधव नगर पुलिस स्टेशन में उसकी गिरफ्तारी दिखाई. हमें उसकी गिरफ्तारी के बारे में एक दिन बाद बताया गया जब हमने कलेक्टर से संपर्क किया. उनकी 13 और 11 साल की दो बेटियां हैं, जिन्होंने आठ साल से अपने पिता को नहीं देखा है.
'शाहिद का सिर्फ यह दोष था कि उसका नाम 'शाहिद' था'
शाहिद के चाचा अब्दुल वाहिद ने कहा, "पुलिस ने शाहिद पर केरल के वागामोन में आतंकी प्रशिक्षण शिविरों में भाग लेने का आरोप लगाया. वह कभी केरल नहीं गया और हम मलयालम भी नहीं समझते. फिर वह वहां प्रशिक्षण शिविर में कैसे भाग ले सकता है? उसकी एक किराए की फैब्रिकेशन की दुकान थी जहां वह दिन भर काम करता था. उसका दोष सिर्फ इतना है कि उसका नाम शाहिद था और धमाकों के मामले में एक ही नाम के कई आरोपी थे.
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