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Rajesh Khanna Political Career: पंजाब में जन्में राजेश खन्ना ने इस सीट से लड़ा था चुनाव, जानिए एक्टर के बारे में दिलचस्प बातें

राजेश खन्ना

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Rajesh Khanna Political Career: हिंदी सिनेमा के लीजेंड औऱ सबसे पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना एक्टर होने के साथ-साथ फिल्म निर्माता और राजनीतिज्ञ भी थे.  राजेश खन्ना ने अपने करियर में साल 1969 से 1971 के बीच लगातार 15 सुपरहिट फिल्मों में काम किया है. इसके साथ ही वो 1970 और 1980 के दशक में हिंदी सिनेमा में सबसे अधिक फीस पाने अभिनेता थे. राजेश खन्ना को चार BFJA Awards और पांच Filmfare Awards मिले थे. इसके अलावा मरणोपरांत उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. चलिए बताते हैं आपको उनके राजनीतिक करियर और पर्सनल लाइफ से जुड़ी खास बातें......
Rajesh Khanna Political Career: हिंदी सिनेमा के लीजेंड औऱ सबसे पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना एक्टर होने के साथ-साथ फिल्म निर्माता और राजनीतिज्ञ भी थे. राजेश खन्ना ने अपने करियर में साल 1969 से 1971 के बीच लगातार 15 सुपरहिट फिल्मों में काम किया है. इसके साथ ही वो 1970 और 1980 के दशक में हिंदी सिनेमा में सबसे अधिक फीस पाने अभिनेता थे. राजेश खन्ना को चार BFJA Awards और पांच Filmfare Awards मिले थे. इसके अलावा मरणोपरांत उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. चलिए बताते हैं आपको उनके राजनीतिक करियर और पर्सनल लाइफ से जुड़ी खास बातें......
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राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को पंजाब के अमृतसर शहर में हुआ था. बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्हें  चुन्नीलाल खन्ना और लीलावती खन्ना ने गोद लिया था. जो उनके माता-पिता के रिश्तेदार थे.
राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को पंजाब के अमृतसर शहर में हुआ था. बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्हें चुन्नीलाल खन्ना और लीलावती खन्ना ने गोद लिया था. जो उनके माता-पिता के रिश्तेदार थे.
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बता दें कि राजेश खन्ना ने दोस्त रवि कपूर के साथ सेंट सेबेस्टियन गोअन हाई स्कूल में पढ़ाई की है. रवि कपूर ने फिल्मों में आने के लिए अपना नाम जीतेंद्र रखा था. पढ़ाई के दौरान ही राजेश ने धीरे-धीरे थिएटर में रुचि लेना शुरू कर दिया, अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में कई स्टेज और थिएटर प्ले किए, और इंटर-कॉलेज ड्रामा प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार जीते.
बता दें कि राजेश खन्ना ने दोस्त रवि कपूर के साथ सेंट सेबेस्टियन गोअन हाई स्कूल में पढ़ाई की है. रवि कपूर ने फिल्मों में आने के लिए अपना नाम जीतेंद्र रखा था. पढ़ाई के दौरान ही राजेश ने धीरे-धीरे थिएटर में रुचि लेना शुरू कर दिया, अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में कई स्टेज और थिएटर प्ले किए, और इंटर-कॉलेज ड्रामा प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार जीते.
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फिर साल 1966 में उन्होंने फिल्म आखिरी खत के साथ अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की, जो 1967 में भारत की पहली आधिकारिक ऑस्कर एंट्री थी. इसके बाद उन्होंने खुद को हिंदी सिनेमा में सफलता का वो मुकाम हासिल किया जहां पहुंचना अब शायद ही किसी के बस की बात है. राजेश खन्ना इंडस्ट्री के पहले सुपरस्टार बने, वो सुपरस्टार जिसकी एक झलक पाने के लिए हजारों लोग घंटो उनके घर के बाहर लाइन लगाए रखते थे.
फिर साल 1966 में उन्होंने फिल्म आखिरी खत के साथ अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की, जो 1967 में भारत की पहली आधिकारिक ऑस्कर एंट्री थी. इसके बाद उन्होंने खुद को हिंदी सिनेमा में सफलता का वो मुकाम हासिल किया जहां पहुंचना अब शायद ही किसी के बस की बात है. राजेश खन्ना इंडस्ट्री के पहले सुपरस्टार बने, वो सुपरस्टार जिसकी एक झलक पाने के लिए हजारों लोग घंटो उनके घर के बाहर लाइन लगाए रखते थे.
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बता दें कि राजेश खन्ना नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए संसद सदस्य थे, जहां उन्होंने 1992 का उप-चुनाव जीता, 1996 तक अपनी सीट बरकरार रखी. जब तक वो सांसद रहे उन्होंने किसी भी फिल्म को नहीं किया. फिर संसद छोड़ने के बाद, वो INC के लिए एक राजनीतिक कार्यकर्ता थे और 2012 के पंजाब चुनाव तक पार्टी के लिए प्रचार किया.
बता दें कि राजेश खन्ना नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए संसद सदस्य थे, जहां उन्होंने 1992 का उप-चुनाव जीता, 1996 तक अपनी सीट बरकरार रखी. जब तक वो सांसद रहे उन्होंने किसी भी फिल्म को नहीं किया. फिर संसद छोड़ने के बाद, वो INC के लिए एक राजनीतिक कार्यकर्ता थे और 2012 के पंजाब चुनाव तक पार्टी के लिए प्रचार किया.
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फिर राजीव गांधी के आग्रह पर, उन्होंने 1984 के बाद कांग्रेस के लिए प्रचार करना शुरू किया. 1991 के लोकसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट के चुनाव में, खन्ना एल.के. आडवाणी मतों के मामूली अंतर से हार गए, जिसके बाद खन्ना मतगणना केंद्र पर मैदान पर खड़े होकर उन्होंने जोर देकर कहा था कि उन्हें एक जीत के लिए धोखा दिया गया है. इसके बाद 1992 में, राजेश खन्ना और सांसद एल.के. आडवाणी ने फिर से उसी सीट से चुनाव लड़ा और शत्रुघ्न सिन्हा को 25,000 मतों से हराकर उपचुनाव जीता.
फिर राजीव गांधी के आग्रह पर, उन्होंने 1984 के बाद कांग्रेस के लिए प्रचार करना शुरू किया. 1991 के लोकसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट के चुनाव में, खन्ना एल.के. आडवाणी मतों के मामूली अंतर से हार गए, जिसके बाद खन्ना मतगणना केंद्र पर मैदान पर खड़े होकर उन्होंने जोर देकर कहा था कि उन्हें एक जीत के लिए धोखा दिया गया है. इसके बाद 1992 में, राजेश खन्ना और सांसद एल.के. आडवाणी ने फिर से उसी सीट से चुनाव लड़ा और शत्रुघ्न सिन्हा को 25,000 मतों से हराकर उपचुनाव जीता.
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लंबी बीमारी के बाद 18 जुलाई 2012 को राजेश खन्ना का निधन हो गया. जिसके बाद उन्हें उनकी समानता में एक डाक टिकट और मूर्ति से सम्मानित किया गया है और भारत के प्रधानमंत्री द्वारा उनके नाम पर एक सड़क का नाम बदल दिया गया है. 2014 में, यासर उस्मान द्वारा उनकी जीवनी राजेश खन्ना: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज फर्स्ट सुपरस्टार को पेंगुइन बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया था.
लंबी बीमारी के बाद 18 जुलाई 2012 को राजेश खन्ना का निधन हो गया. जिसके बाद उन्हें उनकी समानता में एक डाक टिकट और मूर्ति से सम्मानित किया गया है और भारत के प्रधानमंत्री द्वारा उनके नाम पर एक सड़क का नाम बदल दिया गया है. 2014 में, यासर उस्मान द्वारा उनकी जीवनी राजेश खन्ना: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज फर्स्ट सुपरस्टार को पेंगुइन बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया था.

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