असम NRC ड्राफ्ट: लोगों में भारी असुरक्षा, जिनके साथ अन्याय हुआ है कांग्रेस नेता उनकी मदद करें- राहुल गांधी
राहुल गांधी ने फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा कि बीजेपी सरकार की ओर से जारी किये गये एनआरसी ड्राफ्ट से लोगों में असुरक्षा का माहौल है. उन्होंने पार्टी नेताओं से अपील करते हुए कहा कि जिनके साथ अन्याय हुआ है उन्हें मदद करें. कांग्रेस पार्टी के लिए धर्म, जाति और लिंग मायने नहीं रखते हैं.

नई दिल्ली: असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर सरकार और विपक्षी दल आमने-सामने आ चुकी है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आरजेडी, लेफ्ट, एआईएमआईएम और एआईयूडीएफ ने सरकार के इरादे पर सवाल उठाए हैं. वहीं सरकार ने वादा किया है कि अभी लोगों को नागरिकता साबित करने के लिए और भी मौके दिये जाएंगे. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस विवादित मसले पर पहली प्रतिक्रिया दी है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा कि बीजेपी सरकार की ओर से जारी किये गये एनआरसी ड्राफ्ट से लोगों में असुरक्षा का माहौल है. उन्होंने पार्टी नेताओं से अपील करते हुए कहा कि जिनके साथ अन्याय हुआ है उन्हें मदद करें. कांग्रेस पार्टी के लिए धर्म, जाति और लिंग मायने नहीं रखते हैं.
राहुल ने कहा, ''यूपीए ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 1985 असम समझौते के तहत राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की शुरूआत की थी.'' उन्होंने लिखा कि 1,200 करोड़ खर्च करने के बाद भी इतने संवेदनशील मामले में लापरवाही बरती गई है.
राहुल ने आगे कहा, ''असम के कोने-कोने से खबर आ रही है कि भारतीय नागरिक एनआरसी ड्राफ्ट में अपना नाम खोज रहे हैं. जिससे राज्यभार में असुरक्षा का माहौल है. सरकार को इस संकट से सावधानी से निपटना चाहिए.''
उन्होंने कहा, ''मैं कांग्रेस पार्टी के सभी सदस्यों से अपील करता हूं कि शांति बनाए रखने में मदद करें. जिनके साथ एनआरसी ड्राफ्ट में अन्याय किया गया है उनकी भी मदद करें. धर्म, जाति, लिंग, भाषायी अंतर और राजनीतिक संबंध मायने नहीं रखते हैं.''
क्या है विवाद? असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) का दूसरा ड्राफ्ट जारी किया गया है. जिसमें 40 लाख लाख लोगों को नागरिकता नहीं मिली है. एनआरसी के मुताबिक कुल 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 668 लोग भारत के नागरिक हैं, असम की कुल जनसंख्या 3 करोड़ 29 लाख है. एनआरसी की पहली लिस्ट 31 दिसंबर 2017 को जारी हुई थी. पहली लिस्ट में असम की 3.29 करोड़ आबादी में से 1.90 करोड लोगों को शामिल किया गया था.
असम एनआरसी ड्राफ्ट को लेकर आज लोकसभा और राज्यसभा में भी हंगामा हुआ. वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि लिस्ट से कई बंगालियों का नाम बाहर होने से हम चिंतित हैं. इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं हैं जिससे हम किसी से भी संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. 40 लाख लोगों के नाम ड्राफ्ट में ना होना बहुत ही भयावह है. इसकी वजह से कई बंगालियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.
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'नहीं होगी नाइंसाफी' गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ''आज असम में अनआरसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट सामने आई है. सभी लोग जानते हैं कि यह फाइनल एनआरसी नहीं है, हर किसी को शिकायत और दावा करने का मौका दिया जाएगा. कानून में इस बात का जिक्र है, हर किसी को सुनवाई का पूरा मौका मिलेगा. इसके बाद ही फाइनल एनआरसी का प्रकाशन होगा. कुछ लोग इसके जरिए भय का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे है. मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि किसी भी प्रकार के डर या आशंका की जरूरत नहीं है.''
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