पीएम मोदी का कांग्रेस पर निशाना, कहा- कुछ लोग संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा पर चोट करने की कोशिश में रहते हैं
पीएम मोदी ने कहा कि इस तरह की प्रवृति देश को काफी नुकसान पहुंचाती है. उन्होंने कहा कि संतोष की बात ये है कि ऐसा करने वाले लोग देश की मुख्यधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भगवत् गीता के श्लोकों पर 21 विद्वानों की व्याख्याओं के साथ पांडुलिपि के 11 खंडों का विमोचन किया. इस दौरान पीएम मोदी ने बिना कांग्रेस का नाम लिए कहा कि आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो इसी कोशिश में रहते हैं कि कैसे संवैधानिक संस्थाओं की गरीमा पर और विश्वसनीयता पर चोट की जाए.
पीएम मोदी ने कहा कि हमारी संसद हो, न्यायपालिका हो या सेना, अपने राजनीति स्वार्थ के लिए हमले करने की कोशिश होती रहती है. यह प्रवृत्ति देश को बहुत नुकसान पहुंचाती है. पीएम मोदी ने कहा कि संतोष की बात यह है कि ऐसे लोग देश की मुख्यधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.
बता दें कि कुछ दिनों पहले राहुल गांधी ने कहा था कि आपातकाल एक गलती थी लेकिन मौजूदा समय से बिलकुल अलग था क्योंकि कांग्रेस ने कभी भी देश के संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने का प्रयास नहीं किया. अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु के साथ बातचीत में उन्होंने ये बात कही थी.
पीएम मोदी ने कहा कि हमारा लोकतन्त्र हमें हमारे विचारों की और काम की आज़ादी देता है. अपने जीवन के हर क्षेत्र में समान अधिकार देता है. हमें ये आज़ादी उन लोकतान्त्रिक संस्थाओं से मिलती है, जो हमारे संविधान की संरक्षक हैं. इसलिए, जब भी हम अपने अधिकारों की बात करते हैं तो हमें अपने लोकतान्त्रिक कर्तव्यों को भी याद रखना चाहिए.
प्रधानमंत्री आवास पर हुआ कार्यक्रम
प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित विमोचन समारोह में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और वरिष्ठ नेता डॉ करण सिंह भी मौजूद थे. पीएम मोदी ने कहा कि ये गीता ही है जिसने दुनिया को निश्वार्थ सेवा जैसे भारत के आदर्शों से परिचित कराया. नहीं तो भारत की निश्वार्थ सेवा, विश्व बंधुत्व की हमारी भावना बहुतों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं होती. गीता के विश्वरूप ने महाभारत से लेकर आज़ादी की लड़ाई तक हर कालखंड में हमारे राष्ट्र का पदप्रदर्शन किया है.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाले आदि शंकराचार्य ने गीता को आध्यात्मिक चेतना के रूप में देखा. गीता को रामानुजाचार्य ने आध्यात्मिक ज्ञान की अभिव्यक्ति के रूप में देखा. आज जब देश आज़ादी के 75 साल मनाने जा रहा है तो हम सभी को गीता के इस पक्ष को देश के सामने रखने का प्रयास करना चाहिए. कैसे गीता ने आज़ादी की लड़ाई को ऊर्जा दी. कैसे गीता ने देश को एकता के आध्यात्मिक सूत्र में बांधकर रखा. इन सब पर हम शोध करें, अपनी युवा पीढ़ी को इससे परिचित कराएं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता नेताजी सुभाषचंद्र बोस की राष्ट्रभक्ति और पराक्रम की प्रेरणा रही है. ये गीता ही है जिसकी व्याख्या बाल गंगाधर तिलक ने की और आज़ादी की लड़ाई को नई ताकत दी. गीता श्री अरबिंदो के लिए तो ज्ञान और मानवता की साक्षात अवतार थी. गीता महात्मा गांधी की कठिन से कठिन समय में पथप्रदर्शक रही है.
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