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Pegasus Spyware Case: पेगासस मामले में कई बड़े खुलासे, मुख्य सर्वर तक भी जानकारियां पहुंचने की बात आई सामने

Pegasus Spyware Case: पेगासस जासूसी कांड को लेकर दुनिया के अनेक देशों मे हंगामा बरपा हुआ है. हंगामा इस कदर है कि इस जासूसी कांड की लपेट मे राष्ट्रपति स्तर तक की हस्तियां बताई जा रही हैं.

Pegasus Spyware Case: पेगासस मामले में कई बड़े खुलासे हो रहे हैं. खुलासा ये है कि जिन लोगों के फोनों की जासूसी की जा रही है वो जानकारी केवल उनके क्लाइंट तक नहीं बल्कि पेगासस के सर्वर में भी जाती है यानी जिन देशों को ये बेचा गया उनके राज भी अब इस कंपनी के सर्वर मे मौजूद होंगे. दूसरा खुलासा यह कि एनएसओ का पूरा कंमाड इजरायली डिफेंस फोर्सेज से जुडे लोगों के पास रहा है और आज भी है. तीसरा अहम खुलासा यह कि पेगासस को इजरायल ने ऑपरेशन फिलिस्तीन चलाने के लिए बेचा गया?

पेगासस जासूसी कांड को लेकर दुनिया के अनेक देशों मे हंगामा बरपा हुआ है. हंगामा इस कदर है कि इस जासूसी कांड की लपेट मे राष्ट्रपति स्तर तक की हस्तियां बताई जा रही हैं और अनेक देशों मे तो खुद इजरायल को सफाई देनी पड़ रही है. इस मामले को लेकर कई देश अधिकारिक तौर पर कोई जानकारी साझा नहीं करना चाहते और खुद इजरायल भी अधिकारिक तौर पर अनेक जानकारियां मुहैया कराने से कन्नी काट रहा है. सूत्रों की मानें तो इजरायल और पेगासस इस मामले में इसलिए जानकारी साझा करने से कन्नी काट रहे हैं क्योंकि उन्हें जो बात पेगासस खरीदने वाले लोगों से छुपाई थी वो धीरे-धीरे बाहर आती जा रही है और वह खुलासा यह है कि जो देश इन डिवाइस को खरीद चुके हैं, उनकी अहम जानकारियां केवल उनके पास ही नहीं बल्कि पेगासस के सर्वर में भी जा रही है.

मुख्य सर्वर तक जानकारियां जानी तय

साइबर से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी कंपनी का जो मुख्य सर्वर होगा वहां तक जानकारियां जानी तय होती है और यदि वह कंपनी चाहे तो अपनी कंमाड से अपने डिवाइस में कोई भी फेरबदल कर सकती है. भले ही उसने उसके एक्सटेंशन कहीं भी दे रखे हों. विशेषज्ञों के मुताबिक इस बात की पुष्टि इस बात से भी हो जाती है कि अब पेगासस और इजरायल यह दावा भी कर रहे हैं कि जिन देशों को यह डिवाइस बेचा गया है, उनमें कुछ की सेवाएं खुद इजरायल और पेगासस ने समाप्त कर दी है और इजरायल का यह दावा खुद इस बात को साबित करने के लिए काफी है कि पेगासस का असल सर्वर कुछ भी कर सकता है.

इजरायल भले ही यह दावा कर रहा हो कि उसका इस कंपनी से कोई लेनादेना नहीं है लेकिन खुद पेगासस के दस्तावेजों पर मौजूद सच्चाई यह बयां कर रही है कि इसकी कंपनी एनएसओ का पूरा कंमाड शुरू से ही इजरायल डिफेंस फोर्स से जुडे लोगों के हाथ मे रहा है और आज भी है. पेगासस बनाने वाली कंपनी के मुख्य दो वरिष्ठ सलाहकारों में से एक है बकी कार्मेली, अब जरा इनके बारे में जान भी लीजिए. ये इजरायली प्रधानमंत्री के अधीन काम करने वाली नेशनल साइबर सिक्योरिटी अथॉरिटी के पूर्व महानिदेशक और फाउंडर मेंबर रह चुके है.

साथ ही इजरायल के रक्षा मंत्रालय के अंर्तगत आने वाली साइबर डिफेंस डिवीजन के पूर्व प्रमुख भी रह चुके है. वहीं इस कंपनी के सीईओ शालेव हुलियो भी इजरायल डिफेंस सर्विस मे रह चुके हैं. इजरायल के मशहूर जनरल एविगइडोर बेन गाल, ये वो जनरल हैं जिस पर पूरे इजरायल को फख्र है क्योंकि इन्होंने सीरिया इजरायल युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन दस्तावेजों के मुताबिक ये जनरल भी पेगासस बनाने वाली एनएसओ के मुख्य लोगों मे शामिल रहे थे और इनकी मौत साल 2016 में हो गई थी. इसके अलावा भी अनेक ऐसे नाम हैं जो एनएसओ में काम कर रहे हैं और वास्तव में इजरायल डिफेंस फोर्स से जुडे अहम हिस्से रह चुके है.

सूत्रों की मानें तो इतने बड़े जासूसी डिवाइस का काम बिना डिफेंस की मदद के हो ही नहीं सकता क्योंकि डिफेंस ही किसी देश में वो जगह होती है जहां होने वाले खर्च पर ज्यादा हो हल्ला नहीं मचता. इस मामले में भी बताया जाता है कि पेगासस का निर्माण इजरायल की सिग्नल और साइबर यूनिट के साथ मिलकर किया गया. जिसे यूनिट 8200 कहा जाता है. अब आप यह भी जान लीजिए कि यदि आप पेगासस के टारगेट में आ गए है तो आपका सब कुछ खुलता चला जाएगा और खुद पेगासस द्वारा जारी एड भी यह बताता है कि यदि आप टारगेट में है तो फिर आपका कुछ भी सुरक्षित नहीं है. यहां तक कि यदि पेगासस चाह ले तो आपके मोबाइल से ऐसे दस्तावेज भी बरामद हो सकते हैं जो आपको महीनों के लिए या सालों के लिए सलाखों के पीछे भेज सकते हैं.

इस मामले से जुड़े जानकारों की मानें तो इजरायल ने इस सिस्टम को बनाकर अनेक देशों को इसलिए बेचा, जिससे उनके ऑपरेशन फिलिस्तीन में कोई समस्या ना आ सके. वास्तव मे इजरायल की पूर्व सरकार फिलिस्तीन में और मिलिट्री ऑपरेशन करना चाहती थी और इसके लिए यदि वह वहां की संसद से एक्स्ट्रा बजट मांगती तो बहस होती और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हंगामा भी होता. इसीलिए यह तय किया गया कि पेगासस को बेचकर उससे आए बजट के जरिए ऑपरेशन फिलिस्तीन को आगे बढाया जाए. पेगासस इस नाम पर बेचा गया कि इससे आतंकवादी गतिविधियों को रोकने मे सहायता मिलेगी लेकिन इसे अनेक ऐसे देशों को बेचा गया जहां इसका इस्तेमाल व्यक्तिगत जासूसी के लिए गया और इससे देश के राष्ट्रपति भी अछूते नहीं रहे.

इजरायल का यह भी दावा है कि इसे केवल देश की सरकारों को बेचा गया. इसका मतलब साफ है कि दूसरे देशों की सरकार को बेचने की हरी झंड़ी इजरायल का सरकारी विभाग ही देता रहा होगा. ऐसे मे इजरायल केवल एनएसओ पर इसे बेचने की जिम्मेदारी डाल कर खुद की जिम्मेदारी से नहीं बच सकता और इस मामले मे दूसरे देशो को इसलिए भी ध्यान देना जरूरी हो गया है कि उनके अनेकों राज अब इजरायल की इस कंपनी के सर्वर में है और देर सबेर उनका भी गलत इस्तेमाल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

यह भी पढ़ें: कांग्रेस का निशाना, कहा- सरकार पेगासस पर जवाब दे, संसद अगले मिनट चलेगी

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