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Karnataka High Court: 'पीएम के खिलाफ टिप्पणी अपमानजनक लेकिन...' कर्नाटक HC ने रद्द किया स्कूल के खिलाफ राजद्रोह का केस
Karnataka Sedition Case: कर्नाटक के बीदर जिले में स्कूली बच्चों ने सीएए के खिलाफ एक नाटक किया था. इसमें प्रधानमंत्री मोदी को लेकर अभद्र टिप्पणी की गई थी.
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Karnataka High Court: कर्नाटक हाई कोर्ट ने राजद्रोह के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए स्कूल मैनेजमेंट को बड़ी राहत दी है. हाई कोर्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ अभद्र टिप्पणी न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदारी भरी भी है लेकिन यह राजद्रोह नहीं है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ राजद्रोह का केस रद्द कर दिया.
बीदर जिले के एक स्कूल में जनवरी, 2020 में नागरिकता संसोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में 9,10 और 11 साल के बच्चों ने नाटक किया था. इस मामले में स्कूल मैनेजमेंट और 11 साल के बच्चे की मां के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था. न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर की सिंगल बेंच ने 14 जून को दिए गए आदेश में बीदर में शाहीन स्कूल के प्रबंधन का हिस्सा रहे चार लोगों के खिलाफ राजद्रोह की कार्यवाही को रद्द कर दिया. 5 जुलाई को कोर्ट का पूरा आदेश उपलब्ध कराया गया.
पीएम के बारे में टिप्पणी अपमानजनक- हाई कोर्ट
कोर्ट ने आदेश में कहा कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए (धार्मिक समूहों के बीच नफरत पैदा करना) लगाने का उचित कारण नहीं है. जस्टिस चंदनगौदर ने आदेश में कहा, प्रधानमंत्री को जूते मारने जैसे अपशब्द कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है. सरकारी नीति की रचनात्मक आलोचना की अनुमति है, लेकिन नीतिगत निर्णय लेने के लिए संवैधानिक पदाधिकारियों का अपमान नहीं किया जा सकता है, जिसके लिए लोगों के कुछ वर्ग को आपत्ति हो सकती है.
शिकायत में आरोप लगाया था कि नाटक में सरकार के विभिन्न अधिनियमों की आलोचना की गई थी. हालांकि, हाई कोर्ट ने कहा कि नाटक स्कूल परिसर के अंदर खेला गया था और बच्चों ने ऐसा कोई शब्द नहीं बोला जिसमें लोगों को हिंसा के लिए उकसाने या सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने वाली बात हो. इसलिए 124-ए (राजद्रोह) के तहत एफआईआर दर्ज करना अस्वीकार्य है.
बच्चों को राजनीति से दूर रखने की सलाह
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्कूलों को सरकारों की आलोचना से बच्चों को दूर रखने की सलाह भी दी है. इसमें कहा गया कि ऐसे विषयों पर नाटक खेले जाने चाहिए जो बच्चों में रचनात्मकता को बढ़ावा देते हुए उनकी अकादमिक रुचि को बढ़ाएं.वर्तमान राजनीतिक मुद्दे उनके युवा दिमाग पर असर डालते हैं. छात्रों को ज्ञान, टेक्नोलॉजी से भरा जाना चाहिए, जिसका लाभ उन्हें पढ़ाई के दौरान पाठ्यक्रम में मिलेगा.
अदालत ने कहा कि स्कूलों को बच्चों को सरकारी नीतियों की आलोचना करना या विशेष नीतिगत निर्णय लेने के लिए संवैधानिक पदाधिकारियों का अपमान करना नहीं सिखाना चाहिए.
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