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गोधरा अग्निकांड: दो अन्य को उम्रकैद, तीन बरी, आठ आरोपी अब भी फरार
इससे पहले विशेष एसआईटी अदालत ने एक मार्च 2011 को 31 लोगों को दोषी करार दिया था. अदालत ने उनमें से 11 को मौत की सजा सुनाई थी जबकि 20 अन्य को उम्रकैद की सजा दी थी.
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अहमदाबाद: गुजरात में 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड में विशेष एसआईटी अदालत ने आज दो और आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई. मामले में कुल 33 लोगों को दोषी ठहराया जा चुका है. गोधरा में ट्रेन जलाने की घटना 27 फरवरी 2002 को हुई थी जिसमें 59 कारसेवक जिंदा जल गए थे. इसके बाद गुजरात के इतिहास के सबसे भयावह सांप्रदायिक दंगे हुए जिनमें करीब एक हजार लोग मारे गए थे. मारे जाने वालों में अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय के थे.
विशेष न्यायाधीश एच सी वोरा ने मामले में फारूक भाना और इमरान शेरू को उम्र कैद की सजा सुनाई. अभियोजन पक्ष वर्ष 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के दो डिब्बों को जलाने के मामले में दो आरोपियों की साजिशकर्ता के रूप में भूमिका साबित करने में सफल रहा.
अदालत ने तीन अन्य आरोपियों हुसैन सुलेमान मोहन, कसम भामेड़ी और फारुक धानतिया को बरी कर दिया. इन पांच लोगों को वर्ष 2015-16 में गिरफ्तार किया गया था. इन पर साबरमती केंद्रीय जेल में विशेष तौर पर स्थापित की गई अदालत में मुकदमा चलाया गया था.
मोहन को मध्य प्रदेश के झाबुआ से गिरफ्तार किया गया जबकि भामेड़ी को गुजरात के दाहोद रेलवे स्टेशन से पकड़ा गया था. धानतिया और भाना को गुजरात के गोधरा से उनके घरों से पकड़ा गया. भातूक को महाराष्ट्र के मालेगांव से पकड़ा गया था. इस मामले के आठ आरोपी अब भी फरार हैं.
इससे पहले विशेष एसआईटी अदालत ने एक मार्च 2011 को 31 लोगों को दोषी करार दिया था. अदालत ने उनमें से 11 को मौत की सजा सुनाई थी जबकि 20 अन्य को उम्रकैद की सजा दी थी. हालांकि, अक्तूबर 2017 में गुजरात उच्च न्यायलय ने 11 दोषियों की मौत की सजा उम्रकैद में बदल दी थी और बीस अन्य दोषियों की सजा बरकरार रखी थी.
न्यायमूर्ति वोरा ने मामले की सुनवाई के दौरान 37 गवाहों की गवाही और सबूतों पर विचार करने के बाद आज अपना फैसला सुनाया. विशेष लोक अभियोजक जे एम पांचाल ने कहा तीन आरोपियों को बरी किये जाने के खिलाफ अपील पर सरकार विचार करेगी. एक आरोपी सबीर पटालिया का दिल का दौरा पड़ने से इस साल जनवरी में मौत हो गयी थी. वह उस वक्त साबरमती जेल में था.
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