Test Review: आजकल दिक्कत ये है कि अच्छा कंटेंट प्रमोट नहीं होता और खराब कंटेंट को इतना प्रमोट कर दिया जाता है कि लोग इसलिए देखते हैं कि वो कितना खराब है. ऐसी नादानियां फिल्म इंडस्ट्री में खूब होती हैं तभी तो कई लोग कहते हैं कि हम खराब कंटेंट के सिकंदर बनते जा रहे हैं. नेटफ्लिक्स पर एक तमिल फिल्म आई है. जो हिंदी में भी देखी जा सकती है, इस फिल्म का नाम है टेस्ट. आपने शायद इस फिल्म के बारे में नहीं सुना होगा लेकिन इस फिल्म को देखिए. ये आपको बिल्कुल टेस्ट मैच वाला मजा देगी, स्लो शुरुआत लेकिन फिर गजब एंटरटेनमेंट और माधवन, नयनतारा और सिद्धार्थ जैसे सितारे, पूरा रिव्यू पढ़िए.
कहानी
इस कहानी में एक क्रिकेटर है जो अपने फॉर्म से जूझ रहा है. एक साइंटिस्ट है जिसका सबसे बड़ा प्रोजेक्ट दांव पर लगा है, और उसे पैसे चाहिए. तीसरा उसकी पत्नी है जो एक टीचर हैं जो मां बनना चाहती है. अब इंडिया और पाकिस्तान के बीच टेस्ट मैच होना है, और कैसे इन तीनों के तार जुड़ते है, कैसे मैच फिक्सिंग माफिया इनकी जिंदगी में आता है. कहानी के बारे में कुछ भी और बताना फिल्म का मजा खराब करना है. तो देखिए और एंटरटेन हो जाइए.
कैसी है फिल्म
ये फिल्म शुरू होती है तो स्लो लगती है बिल्कुल टेस्ट मैच की तरह लेकिन जैसे टेस्ट मैच में तीसरे और चौथे दिन मजा आता है वैसे ही ये फिल्म सेकेंड हॉफ में आपको चौंका देती है. आपको मजा आने लगता है, आप हैरान भी होते हैं, आपको वो देखने को मिलता है जो आप सोचते नहीं, एक्टर सारे अच्छे और बड़े हैं. उन्हें देखने में भी मजा आता है और एंडिंग आपको हिला डालती है. कुल मिलाकर फिल्म में कुछ नया दिखाने की कोशिश की गई है और ये कोशिश कामयाब होती है.
एक्टिंग
आर माधवन मैन ऑफ द मैच निकले. उनका काम कमाल है, जैसे उनका किरदार शेड बदलता है वो आपको फिर से चौंका देतें हैं. एक मजबूर साइंटिस्ट से एक विलेन का सफर वो बखूबी तय करते हैं. माधवन इस फिल्म की जान हैं. नयनतारा ने काफी अच्छा काम किया है, एक बड़ी हीरोइन कैसी एक फिल्म को अपलिफ्ट कर देती है, ये उन्हें देखकर समझ आता है. एक मां न बन पाने का दर्द और बच्चों के लिए एक प्यारी टीचर, हर शेड में वो अच्छी लगी हैं. सिद्धार्थ का काम ठीक है, हालांकि वो एक्सप्रेशन के मामले में थोड़े फ्लैट लगे हैं. फॉर्म में न होने पर थोड़ा गुस्से में रहना समझ आता है लेकिन यही एक्सप्रेशन वो पूरी फिल्म में हर सिचुएशन में कैरी करते हैं जो अच्छा नहीं लगता. मीरा जैस्मीन ने अच्छा काम किया है, सिद्धार्थ के साथ वाले सीन्स में वो उनपर भारी लगती हैं. माधवन के बेटे का किरदार निभाने वाले चाइल्ड एक्टर का काम भी अच्छा है.
डायरेक्शन
एस शशिकांत का डायरेक्शन अच्छा है. उन्होंने कहानी को अच्छे से पिरोया है, शुरुआत स्लो है उसे थोड़ा और फास्ट किया जा सकता था लेकिन शायद वो फिल्म को टेस्ट मैच वाला फील ही देना चाहते थे.
कुल मिलाकर ये फिल्म देखी जा सकती है
रेटिंग - 3.5 stars