9 महीने तक गर्भ में रहने से शिशु के अंगों का पूर्ण विकास सुनिश्चित होता है। समय से पहले जन्म लेने पर अंगों का विकास अधूरा रह सकता है, जिससे शिशु की सेहत प्रभावित होती है।
मनुष्य का जन्म 9 महीने बाद ही क्यों होता है? जानिए प्राचीन ग्रंथों में छिपा गर्भकाल का रहस्य
मनुष्य का गर्भकाल न महीने का ही होता है. लेकिन कभी सोचा है कि, इससे कम और ज्यादा क्यों नहीं? भारतीय धार्मिक साहित्य के हिसाब से जानिए इसका महत्वपूर्ण जबाव, जिसका संबंध ग्रहों से भी जुड़ा है.

कभी सोचा है कि, मनुष्य 9 महीने बाद ही क्यों जन्म लेता है? जीव विज्ञान के द्वारा भ्रूण विकास की व्याख्या करने से पहले,धार्मिक साहित्य से समझते हैं इसके पीछे का पहलू. 9 महीने की लंबी यात्रा केवल शरीर निर्माण की यात्रा ही नहीं, बल्कि आत्मा की विस्मृति, अवरोहण और पुनर्जन्म के लिए तैयार करने के बारे में भी.
कई भारतीय ग्रंथों में जीवन चक्र जन्म से शुरू नहीं होता है. जन्म को एक प्रवेश बिंदु माना जाता है, न कि उत्पत्ति के लिहाज से.
प्राचीन ग्रंथों से जानिए 9 महीनों का रहस्य
प्राचीन भारतीय ग्रंथ के अनुसार, गर्भ केवल आश्रय स्थल ही नहीं, बल्कि एक दहलीज के रूप में भी दर्ज है. गर्भ उपनिषद के अनुसार, आत्मा गर्भ में प्रवेश करती है, जिस पर पहले से ही पूर्व जन्म के कर्मों का भार होता है. इनमें मानव स्मृतियों का कोई अंश नहीं होता.
पुराणों में गर्भ को एक ऐसा स्थान बताया गया है, जहां आत्मा धीरे-धीरे अपनी ब्रह्मांडीय चेतना खो देती है. माना जाता है कि, हर महीना आत्मा को स्मृतियों से मुक्त करने के साथ उसी सीमाओं, समय, शरीर, भूख और भावनाओं के लिए तैयार करता है.
धार्मिक साहित्य में अंक 9 का विशेष महत्व है, यह अंक पूर्णता को परिभाषित करता है. भारतीय ब्रह्मांड विज्ञान 9 चक्रों से भरा हुआ है, जो भाग्य को नियंत्रित करते हैं.
गर्भ के 9 महीने ग्रहों का प्रभाव
गर्भ से 1 महीने तक शुक्र का प्रभाव अधिक रहता है. गर्भावस्था के दौरान शुक्र कमजोर हो तो इसे प्रबल करने पर ध्यान देना चाहिए. शुक्र मजबूत होने से बच्चा सुंदर होता है.
दूसरे महीने मंगल ग्रह का प्रभाव अधिक रहता है. इस दौरान महिलाओं को मीठा खाकर मंगल को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए.
तीसरे महीने में गुरु का प्रभाव रहता है. इस दौरान पीले वस्त्र दान करने के साथ मिठाई का सेवन करना चाहिए.
चौथे महीने सूर्य, पांचवें महीने चंद्र, छठे महीने शनि, सातवें महीने बुध, आठवें महीने फिर चंद्र और नौवें महीने सूर्य का प्रभाव रहता है.
शिशु 9 महीने तक पेट में क्यों रहता है?
किसी बच्चे का जन्म समय से पहले हो जाए तो अंगों का विकास अधूरा रह जाता है, जिससे बच्चे की सेहत प्रभावित होती है. इसलिए बच्चे का 9 महीने तक गर्भ में रहना बेहद जरूरी है.
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Frequently Asked Questions
गर्भ में 9 महीने रहना शिशु के विकास के लिए क्यों आवश्यक है?
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