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ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी से शुरू हो सकता है टैरिफ वॉर, हो सकते हैं मंदी जैसे हालात, जानें भारत पर होगा क्या असर

संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि शेयर मार्केट पर इसका नकारात्मक असर हुआ है. अमेरिकी संसद को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर भी टैरिफ लगाने की बात कही है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से भारत समेत अपने व्यापारिक साझादीर देशों के खिलाफ रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का एलान किया है. ट्रंप का कहना है कि अगर कोई अमेरिका पर ज्यादा टैक्स लगता है तो वे जवाबी कदम के तौर पर उस देश के खिलाफ भी उसी तरह का टैक्स लगाएंगे. ट्रंप की तरफ से रेसिप्रोकल टैरिफ की बात अमेरिकी सरकार की तरफ से कनाडा और मैक्सिकों पर 25% टैरिफ शुल्क लगाने और चीन पर सीमा शुल्क दोगुने यानी 20% किए जाने के बाद कही गई है.    

ट्रंप ने अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि अन्य देश दशकों तक हमारे खिलाफ टैरिफ लगाते आ रहे हैं. अब हमारी बारी है कि हम उनके खिलाफ इसकी शुरुआत करें. अमेरिकी राष्ट्रपति ने आगे कहा कि यूरोपीय संघ, चीन, ब्राजील, भारत और कई अन्य देश अमेरिका के मुकाबले काफी ज्यादा चार्ज करते हैं. ये अनुचित है.

राष्ट्रपति ट्रंप ने आगे कहा कि भारत हमारे ऊपर 100% से ज्यादा टैरिफ लगाता है. चीन की तरफ से टैरिफ अमेरिका के मुकाबले करीब चार गुणा ज्यादा है, जबकि दक्षिण कोरिया का टैरिफ औसत चार गुणा ज्यादा है. ऐसा अमेरिका के दोस्तों की तरफ से ही किया जा रहा है. ये व्यवस्था निष्पक्ष नहीं है.  

क्या होगा असर?

रेसिप्रोकल टैक्स के बारे में दिल्ली यूनिवर्सिटी के आर्यभट्ट कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ इकॉनोमिक्स में एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर आस्था अहूजा का कहना है कि भारत में पहले से ही लोगों की खरीदने की शक्ति कम है. ऐसे में ट्रंप की इस पॉलिसी के लाने के बाद निर्यात गिरेगा. ऐसे में रुपया तो गिर ही रहा है. जब निर्यात गिरेगा तो उत्पादन भी गिरेगा. इसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.

आस्था अहूजा ने आगे कहा कि इससे देश में निवेश प्रभावित होगा और सीधा असर जीडीपी पर पड़ेगा. यानी, टैरिफ के इफैक्ट्स अलग-अलग तरह से पड़ेंगे.  उन्होंने कहा कि ट्रंप ने कहा था कि चीन पर 60% टैरिफ लगाएंगे, अगर ऐसा हुआ तो पूरी दुनिया में एक तरह से टैरिफ वॉर शुरु हो जाएगी.

ट्रंप के इस एलान के बारे में एबीपी लाइव ने जब विदेश मामलों के जनकार संजीव श्रीवास्तव से बात की तो उन्होंने इसके व्यापक असर को लेकर आगाह किया. संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका के नए डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की तरफ से एक नए रेसिप्रोकल पॉलिसी का एलान किया गया. इसकी वजह से पूरी दुनिया में एक अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है. शेयर मार्केट पर नकारात्मक असर हुआ है. अमेरिकी संसद को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर भी टैरिफ लगाने की बात कही है. भारत की टैरिफ पॉलिसी की ट्रंप ने आलोचना की है. 

ऐसे में राष्ट्रपति ट्रंप का फैसला अमेरिकी फर्स्ट एप्रोज, ट्रांजेक्शनल और बिजनेस माइंडेड एप्रोच को दर्शाता है. लेकिन जहां तक भारत का सवाल है, वे अमेरिकी की इस बदलती हुई टैक्स रिजीम को रिव्यू करेगा और भारत अपने रणनीतिक स्वायत्ता और राष्ट्रहितों को सर्वोपरि रखते हुए अमेरिका की बदली हुई टैरिफ पॉलिसी के संदर्भ में अपनी नीतियों का भी आगे एलान करेगा. भारत, अमेरिका का रक्षा साझीदार है. ऐसे में भारत रणनीतिक स्वायत्ता के आधार पर कोई फैसला लेता आ रहा है. ऐसी स्थिति में भी अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी के जवाब में भारत अपने अधिकार को सुरक्षित रखता है.

संजीव श्रीवास्तव ने आगे कहा कि भारत अपनी टैरिफ पॉलिसी में यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका की बदली हुई पॉलिसी के रिव्यू करने के बाद एक संतुलित और विवेकपूर्ण तरीके से इन सारे विषयों पर विचार करते हुए अपनी पॉलिसी का आने वाले समय में एलान करेगा.

भारत-अमेरिका व्यापार प्रभावित

जाहिर है कि भारत और अमेरिका के इकॉनोमिक पार्टनरशिप में संभावना बहुत है. लेकिन टैरिफ पॉलिसी लागू किए जाने से भारत और अमेरिका के बीच व्यापार के संबंधों में 500 बिलियन डॉलर तक लेकर जाने का जो लक्ष्य है, उसे हासिल करने में अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ेगा. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो मेक अमेरिका ग्रेट एगेन की बात करते हैं, जाहिर है कि उस लक्ष्य को हासिल करने में यदि वो भारत जैसे राष्ट्र के साथ अपने संबंधों को तनावग्रस्त करते हैं तो उनके अपने लक्ष्यों को हासिल करने में बाधाएं आएंगी. 

संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि भारत का लक्ष्य भी विकसित बनाने का है. ऐसे में भारत ये अवश्य चाहेगा कि अमेरिका के साथ एक बेहतर इकॉनोमिक पार्टनरशिप भी बनें. इसके लिए भारत एक संतुलित और विवेकपूर्ण तरके से प्रयास अवश्य करेगा. लेकिन यदि भारत के आर्थिक हित अमेरिका के किसी पॉलिसी की वजह से प्रभावित हुए तो भारत अपनी जवाब नीति को निर्धारित करने का अधिकार रिजर्व रखता है और आने वाले समय में भारत भी अपनी पॉलिसी में अपने राष्ट्र हितों को अनुसार बदलाव लाएगा.

जवाबी कदम उठाने की मजबूरी

लेकिन जहां तक ओवर ऑल अमेरिका के इस रेसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी का सवाल है तो इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय जगत में काफी अनिश्चितता की स्थिति है. ये अमेरिका का जो ट्रांजैक्शनल एप्रोच है, वो जाहिर है कि पूरी दुनिया की इकॉनोमी के लिए नकारात्मक साबित हो सकता है.

इससे पूरे दुनिया की इकॉनोमी में एक मंदी जैसी स्थिति पैदा हो सकती है. अमेरिका के द्वारा इस तरीके की नीतियों की वजह से अनेक राष्ट्रों ने जवाब टैक्स लगाने का एलान शुरू कर दिया है. कनाडा-चीन ने इस तरह की घोषणाएं की हैं. टैरिफ वॉर की स्थिति पैदा हो सकती है. ऐसे में अमेरिका का जो ये टैरिफ को लेकर एप्रोच है, जितना एग्रेसिव अमेरिका दिखा रहा है, वो पूरी दुनिया की इकॉनोमी के लिए नकारात्मक डेवलपमेंट है और इस अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी की वजह से अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में काफी अनिश्चितता की स्थिति व्याप्त हो गई है.

राजेश कुमार पत्रकारिता जगत में पिछले करीब 14 सालों से ज्यादा वक्त से अपना योगदान दे रहे हैं. राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों से लेकर अपराध जगत तक, हर मुद्दे पर वह स्टोरी लिखते आए हैं. इसके साथ ही, किसी खबरों पर किस तरह अलग-अलग आइडियाज के साथ स्टोरी की जाए, इसके लिए वह अपने सहयोगियों का लगातार मार्गदर्शन करते रहे हैं. इनकी अंतर्राष्ट्रीय जगत की खबरों पर खास नज़र रहती है, जबकि भारत की राजनीति में ये गहरी रुचि रखते हैं. इन्हें क्रिकेट खेलना काफी पसंद और खाली वक्त में पसंद की फिल्में भी खूब देखते हैं. पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखने से पहले उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मास्टर ऑफ ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म किया है. राजनीति, चुनाव, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों पर राजेश कुमार लगातार लिखते आ रहे हैं.
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