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एस जयशंकर की खरी-खरी के बाद बांग्लादेश को आएगी सद्बुद्धि, भारत के लिए पानी अब सिर के ऊपर

डॉ. जयशंकर ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि भारत बांग्लादेश के साथ अच्छे रिश्ते रखना चाहता है, लेकिन इसके लिए बांग्लादेश को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी.

बांग्लादेश और भारत के संबंधों में पिछले कुछ समय से उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं. पिछले साल अगस्त में वहां हुई तथाकथित क्रांति के बाद अब तक चुनाव नहीं हो सके हैं. मोहम्मद युनुस अब तक अंतरिम सरकार के सलाहकार और कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं, लेकिन स्थिरता और लोकतंत्र अभी भी वहां के लिए दूर की कौड़ी नजर आ रही है. शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद से ही भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव देखा जा सकता है. हिंदुओं के नरसंहार का मसला हो, या बांग्लादेश के कुछेक नेताओं की दोनों देशों के संबंधों में तनाव लाने वाली शर्मनाक टिप्पणियां हों या फिर बांग्लादेशी घुसपैठ का मसला, भारत अब तक संयम के साथ ही काम लेता रहा है. हालांकि, संयम का यह बांध अब शायद टूट भी सकता है, जैसा हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान से देखने को मिला. 

एस जयशंकर की खरी-खरी

भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने हाल ही में दिल्ली यूनिवर्सिटी के लिटरेचर फेस्टिवल में बांग्लादेश के साथ संबंधों को लेकर एक स्पष्ट संदेश दिया. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश को यह तय करना होगा कि वह भारत के साथ किस तरह के रिश्ते रखना चाहता है.

डॉ. जयशंकर ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार और कार्यवाहक प्रमुख मोहम्मद यूनुस की ओर इशारा करते हुए कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सदस्य लगातार भारत पर दोषारोपण करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि यह स्थिति अब और बर्दाश्त नहीं की जा सकती है. जयशंकर का यह बयान उस समय आया है जब दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में विभिन्न मुद्दों को लेकर कई समस्याएं सामने आ रही हैं. कभी वहां का कोई नेता भारत के उत्तर-पूर्व को लेकर बेहद आपत्तिजनक बयान और मानचित्र सोशल मीडिया पर साझा कर देता है, तो कभी उनका कोई नेता कुछ और ही बहाने से भारत पर प्रहार करने के बहाने खोजता है, तो कभी बांग्लादेश का सैन्य प्रमुख भारत को गीदड़ भभकी देता है. 

विदेश मंत्री एस जयशंकर डिप्लोमैसी के माहिर खिलाड़ी हैं. वह बिल्कुल निचले स्तर के आइएफएस पद से होते हुए आज विदेश मंत्री तक पहुंचे हैं. उनको इस पेशे और भू-राजनय की बारीकियां बेहतर पता हैं. इसलिए, उन्होंने बांग्लादेश को लंबे समय तक ढील दी, लेकिन पानी जब नाक के पास आने लगा, तो उसको बढ़िया से समझाइश भी दी है. 

भारत-बांग्लादेश संबंध

भारत और बांग्लादेश के संबंध हमेशा से ही बेहद महत्वपूर्ण रहे हैं. 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद से ही दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध बने रहे हैं. लेकिन हाल के वर्षों में कुछ मुद्दों के कारण इन संबंधों में कमी आई है.

डॉ. जयशंकर ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि भारत बांग्लादेश के साथ अच्छे रिश्ते रखना चाहता है, लेकिन इसके लिए बांग्लादेश को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी. बांग्लादेश में लगातार हो रहे अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले और वहां की राजनीति की जटिलताएं दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित कर रही हैं. जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश को यह तय करना होगा कि वह किस तरह के रिश्ते चाहता है.

डॉ. एस जयशंकर ने अपने बयान में कहा, "आप यह नहीं कर सकते कि एक तरफ कहें कि अब मैं आपके साथ संबंध अच्छे करना चाहता हूं और दूसरी तरफ अगली सुबह हर चीज लिए आपको दोषी ठहराऊंगा. इसके लिए उन्हें एक फैसला लेना होगा कि वह क्या चाहते हैं." सीधा सा इसका अनुवाद यह है कि विदेश मंत्री ने बांग्लादेश को अपने पायजामे में रहने की सलाह दी है और कहा है कि वह अपने यहां के हालात काबू में करे और प्रगति के रास्ते पर भारत के साथ चलना सुनिश्चित करे. वैसे भी चौतरफा भारत से घिरे बांग्लादेश के पास भारत को छोड़ कोई विकल्प भी नहीं है. 

उन्होंने कहा कि भारत ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं कि वह बांग्लादेश के साथ अच्छे रिश्ते रखना चाहता है. लेकिन इसके लिए बांग्लादेश को भी अपने रवैये में बदलाव लाना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सदस्य लगातार भारत पर दोषारोपण करते रहते हैं, जो कि सही नहीं है.

बांग्लादेश में डॉ. जयशंकर के इस बयान पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आई हैं. वहां के राजनीतिक दल और जनता का एक धड़ा इस बयान को सकारात्मक मानता है और मानता है कि यह दोनों देशों के संबंधों को सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. वहीं, कुछ लोग इसे बांग्लादेश की स्वतंत्रता और उसकी संप्रभुता के खिलाफ मानते हैं. बांग्लादेश जिस तरह से इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथ में जाता जा रहा है, जिस तरह से वहां के सबसे बड़े नेता शेख मुजीबुर्रहमान के घर को ढाहा गया, उनकी मूर्तियां तोड़ी गयीं, उससे यह तो साफ है कि युनुस के नियंत्रण से चीजें बाहर हैं. बांग्लादेश का आम नागरिक भी इससे परेशान है और वह चाहता है कि हालात जल्द से जल्द सुधरें.

भारत-बांग्लादेश संबंधों का भविष्य

भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को सुधारने के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करना होगा. दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों को सुलझाने के लिए संवाद और सहयोग की आवश्यकता है. डॉ. एस जयशंकर का यह बयान एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध रखना चाहता है, लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों को एक दूसरे के प्रति ईमानदारी और सहयोग दिखाना होगा.

भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को सुधारने के लिए दोनों देशों के नेतृत्व को मिलकर काम करना होगा. डॉ. एस जयशंकर का बयान इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. बांग्लादेश को यह तय करना होगा कि वह किस तरह के रिश्ते रखना चाहता है और इसके लिए उसे अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी. 

इस बयान के बाद उम्मीद की जा सकती है कि दोनों देश मिलकर अपने संबंधों को सुधारने की दिशा में आगे बढ़ेंगे और क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापित करेंगे.

व्यालोक जेएनयू और आइआइएमसी से पढ़े हैं. विभिन्न मीडिया संस्थानों जैसे ईटीवी, दैनिक भास्कर, बीबीसी आदि में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव. फिलहाल स्वतंत्र पत्रकारिता और अनुवाद करते हैं.
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