रेल की पटरी पर क्यों नहीं लगती जंग? लोहा नहीं... इस चीज से बने होते हैं रेलवे ट्रैक
Indian Railway: बहुत से लोग ऐसा मानते हैं कि रेल की पटरियां लोहे से बनी होती हैं. लोहा अगर खुले में हो तो उसपर जंग लग जाता है, लेकिन इनपर तो जंग नहीं लगता है. फिर ये किस चीज से बनीं होती हैं?

Railway Tracks: ट्रेन से सफर करते समय आपने पटरियों को जरूर देखा होगा. इसी पर ट्रेन दौड़ती है. भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. देश भर में ये पटरियां लगभग 67,000 किलोमीटर तक बिछी हुई हैं. ये हमेशा खुले में रहती हैं. ये सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम को झेलती हैं. आपने गौर किया होगा कि इनपर कभी जंग नहीं लगता है. पटरी के इर्द-गिर्द तो भले ही जंग लगा हो लेकिन ऊपरी हिस्सा हमेशा चमचमाता नजर आता है. पटरी के इस हिस्से पर कभी जंग नहीं लगता है. क्या कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं कि आखिर ये किस चीज से बनीं होती हैं जो इनपर जंग नहीं लगता है...
लोहे में लगता है जंग
लोहे से बनीं चीजों में जंग तब लगता है, जब ये हवा में ऑक्सीजन से रिएक्शन कर लेती हैं. हवा से रिएक्शन के बाद उस वस्तु पर एक भूरे रंग की पर्त जम जाती है. यह आयरन ऑक्साइड की परत होती है. किसी भी वस्तु पर जंग पर्तों के रूप में जमता है. परत के बढ़ने के साथ ही जंग का दायरा भी बढ़ता जाता है. बहुत से लोग ऐसा मानते हैं कि रेल की पटरियां लोहे से बनी होती हैं. लोहा अगर खुले में हो तो उसपर जंग लग जाता है, लेकिन इनपर तो जंग नहीं लगता है. फिर ये किस चीज से बनीं होती हैं?
पटरी पर जंग क्यों नहीं लगता?
रेल की पटरियों को खास तरह के स्टील से बनाया जाता है. जिसे मैंग्नीज स्टील कहते हैं. इसमें 12% मैंग्नीज और 0.8% कार्बन होता है. पटरी में ये मैटल्स के होने के कारण इसपर आयरन ऑक्साइड नहीं बनता और पटरियों पर जंग नहीं लगता है. अगर पटरियों को लोहे से बनाया जाता तो बारिश में इनमें नमीं बनी रहती, जिससे इनपर जंग लग जाता. जंग लगने के बाद पटरियां कमजोर लेने लगती और इन्हें जल्दी-जल्दी बदलना पड़ता. पटरी कमजोर होने से दुर्घनाओं का भी रिस्क ज्यादा रहता. इसलिए पटरियां बनाने में ऐसे मेटल का इस्तेमाल किया गया, जिसमें जंग भी नहीं लगती हो और वो काफी मजबूत भी हो.
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