अंतरिक्ष में अगर जोर से चिल्लाएं तो क्या होगा, कहां तक पहुंचेगी हमारी आवाज?
sound in space: कई लोगों के मन में यह जिज्ञासा रहती है कि अगर हम स्पेस में अगर जोर से चिल्लाएं तो क्या होगा, कहां तक पहुंचेगी हमारी आवाज. चलिए आपको बताते हैं इसके बारे में विस्तार से.

sound in space: जब से मानव सभ्यता की शुरुआत हुई है वह अंतरिक्ष के बारे में जानने को लेकर हमेशा से उत्सुक रहा है. इसी कारण हमेशा किताबों में कविताओं और कहानियों में अतंरिक्ष का जिक्र होता रहा है. जैसे जैसे मानव सभ्यता विकसित होती गई लोग अतरिक्ष में पहुंचने की कोशिश करने लगे जो 4 अक्टूबर 1957 को पूरा हुआ जब उस समय के सोवियत संघ ने पहला कृत्रिम उपग्रह स्पूतनिक-1 (Sputnik-1) को लॉन्च किया था.
कुछ साल बाद इंसान भी अंतरिक्ष तक पहुंच गया जब वोस्तोक-1 स्पेसक्राफ्ट से यूरी गगारिन ने 12 अप्रैल 1961 को अंतरिक्ष की यात्रा की. इसी के साथ शुरू हुई ढ़ेर सारी बातें जैसे कि अगर इंसान अंतरिक्ष में अगर जोर से चिल्लाएं तो क्या होगा उसकी आवाज कहां तक जाएगी.
चलिए आपके सवाल का जवाब देते हैं कि अगर इंसान अंतरिक्ष में अगर जोर से चिल्लाएं तो क्या होगा, कहां तक पहुंचेगी उसकी आवाज.
कहीं नहीं पहुंचेगी आपकी आवाज
अंतरिक्ष में बड़े- बड़े तारे चक्कर काटते रहते हैं फिर भी उनकी आवाज हमको सुनाई नहीं देती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अंतरिक्ष में वायुमंडल नहीं है. इसलिए अगर आप अंतरिक्ष में जाकर जोर से चिल्लाएंगे तो आपकी आवाज कहीं भी नहीं पहुंचेगी. क्योंकि अंतरिक्ष में वैक्यूम होता है यानी वहां हवा या कोई माध्यम मौजूद नहीं होता. ध्वनि को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने के लिए माध्यम की जरूरत होती है जो धरती पर वायुमंडल के जरिए तो हो जाता है लेकिन अंतरिक्ष में वायुमंडल की कमी से इसको माध्यन नहीं मिल पाता है.
अगर आप चिल्लाते हैं तो क्या होगा
स्पेस में वायुमंडल न होने के कारण अगर आप चिल्लाते हैं तो आपकी आवाज आपके ही गले में दबकर रह जाएगी आपके आसपास जो भी होगा उसको भी आपकी आवाज नहीं सुनाई देगी. स्पेस में बस सन्नाटे की आवाज आपको सुनाई देगी. वहां सिर्फ शांति और सन्नाटा है. चांद पर अगर दो लोग एक-दूसरे के पास खड़े होकर चिल्लाएं तो भी कोई आवाज सुनाई नहीं देगी.
अंतरिक्ष यात्री कैसे बातचीत करते हैं
अंतरिक्ष में जाने वाले अंतरिक्ष यात्री बातचीत के लिए रेडियो संचार उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं. वो एक दूसरे को सिग्नल भेजते हैं जो साउंड में बदल जाते हैं इन्हीं साउंड की मदद से अंतरिक्ष यात्री आपस में बातचीत करते हैं.
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