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क्या बिहार में बीजेपी अपने दम पर बना लेगी सरकार? जानें जेपी नड्डा के दावे में है कितना दम
जेपी नड्डा कहा कि पीएम मोदी के कालयजी नेतृत्व में देशभर में जारी विकास यात्रा में कहीं हार पीछे न छूट जाए, इसके लिए यह जरूरी है कि यहां भी पूर्ण बहुमत से विशुद्ध बीजेपी की सरकार बने.
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलकर आरजेडी के साथ सरकार बनाने के बाद से भारतीय जनता पार्टी लगातार उन पर हमलावर है. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जहां एक तरफ इसे जनादेश का अपमान बता रही है तो वहीं दूसरी तरफ राज्य के विकास में बाधा के लिए उन्होंने नीतीश कुमार को कसूरवार ठहराया है. नड्डा ने मंगलवार को वैशाली के पारू में आयोजित बीजेपी के पहले लोकसभा सम्मेलन में यह दावा किया कि बिहार में बीजेपी अपने दम पर सरकार बना लेगी.
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के कालयजी नेतृत्व में देशभर में जारी विकास यात्रा में कहीं हार पीछे न छूट जाए, इसके लिए यह जरूरी है कि यहां भी पूर्ण बहुमत से विशुद्ध बीजेपी की सरकार बने.
लेकिन, अब यह सवाल उठता है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के इन दावों में आखिर कितना दम है? बिहार की राजनीति पर गहरी पकड़ रखने वाले अवधेश कुमार और राजनीतिक विश्लेषक प्रेम कुमार की अगर मानें तो जेपी नड्डा ने ये बातें यूं ही नहीं कही है.
नड्डा के दावे में कितना दम?
अवधेश कुमार का यह मानना है कि सामान्यतया राजनीतिक पार्टियां इस तरह के दावे करती है, लेकिन जनता के मत और राजनीतिक पार्टियों के दावों में अंतर दिखाई देता है. लेकिन जहां तक बिहार की बात है तो यहां पर लोग एक बार फिर से बीजेपी की ओर टर्न ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछली बार जब विधानसभा चुनाव हुआ, लोगों का पूरी तरह से गुस्सा सवर्ण के खिलाफ था. यही वजह थी कि सभी जातियों ने मिलकर एक साथ बीजेपी के खिलाफ मतदान किया था.
अवधेश कुमार ने बताया कि लोगों की यह धारणा था कि बीजेपी नीतीश कुमार के चक्कर में दूसरों को महत्व देती है. इसके अलावा, नीतीश ने राज्य की जनता में यह मैसेज दिया कि लोग बीजेपी के खिलाफ हैं. लेकिन आज आलम ये है कि नीतीश और लालू के जुड़ने के बाद क्राइम लगातार तेजी के साथ बढ़ रहा है, अव्यवस्था बढ़ी है. यही वजह है कि लोगों का बीजेपी की तरफ झुकाव हुआ है.
जेडीयू के भीतर पल रही महत्वाकांक्षा से नुकसान
वहीं दूसरी ओर राजनीतिक विश्लेषक प्रेम कुमार जेपी नड्डा के बिहार में बीजेपी की अगली सरकार बनने के दावे हवा हवाई नहीं मानते हैं. उन्होंने बताया कि चूंकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कोई छोटे-मोटे नेता नहीं है, और ऐसे में अगर वो कुछ बोल रहे हैं तो उनमें जरूर गंभीरता है.
उन्होंने बताया कि इसके पीछे 2024 में आने वाले लोकसभा चुनाव है. इसके बाद विधानसभा का चुनाव होना है. इस बीच, जिस तरह श्याम रजक जैसे कुछ नेता है, जिनकी अपनी कुछ महत्वाकांक्षा है. प्रेम कुमार ने बताया कि इस वक्त कई सवाल हैं, जैसे जेडीयू के भीतर पलती महत्वाकांक्षाओं का क्या होगा. इसके साथ ही, वो नड्डा के इन दावों पर ये भी सवाल खड़े करते हैं कि बीजेपी अध्यक्ष का ये दावा चुनाव से पहले राज्य में कहीं बीजेपी की सरकार बनाने का तो नहीं है.
कुछ चेहरे को लाना पड़ेगा
अवधेश कुमार बताते हैं कि बिहार के कुढ़नी विधानसभा उप-चुनाव में बीजेपी जीत जाएगी इस बात की कल्पना नहीं की थी. इसी तरह गोपालगंज विधानसभा में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की है. ऐसे में बीजेपी अध्यक्ष का जो दावा है वह बहुसंख्य लोग है और धरातल से मेल खाती है. लेकिन इसके लिए बीजेपी को बहुत परिश्रम की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर नरेन्द्र मोदी के आने के बाद हर राज्य की बीजेपी बदल गई लेकिन बिहार की बीजेपी नहीं बदली. अब कुछ अच्छे चेहरे को लाना पड़ेगा. बीजेपी ने विजय सिन्हा को पहले विधानसभा अध्य बनाया और इसके बाद विधान मंडल दल का नेता घोषित किया. इसी तरह बीजेपी को कुछ चेहरे लाने पड़ेंगे.
90 के दशक की तरह लड़नी होगी लड़ाई
अवधेश कुमार आगे कहते हैं कि बिहार में नीतीश की लोकप्रियताच शून्य पर है. ऐसे में नीतीश-लालू के खिलाफ 90 के दशक में जो लड़ाई हुई थी, बीजेपी को उसी तरह की लड़ाई आज लड़नी होगी. उन्होंने कहा कि केन्द्र में बगैर गठबंधन की सरकार नहीं बनेगी, ये धारण थी. लालकृष्ण आडवाणी की भी यही सोच थी. लेकिन मोदी की नेतृत्व में सर्वाधिक मुखर और प्रखर पार्टी ने इस मिथक को तोड़ा. यूपी में भी यह करिश्मा कर दिखाया. सपा-बसपा मिलकर लड़े, तब भी बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की और मोदी-शाह के नेतृत्व में यह मिथक टूटा है. महाराष्ट्र जैसी जगह पर लोगों ने बीजेपी को ही बहुमत दिया था.
बिहार में बीजेपी की जीत का क्या हो सकता है आधार?
इस सवाल के जवाब में अवधेश कुमार यह बताते हैं कि राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व का जो मुद्दा है, वो आकर्षण का केन्द्र है. बिहार में लालू प्रसाद के परिवार को परास्त किया, राम विलास को शिकस्त दी, लेकिन नीतीश अपनी नामसझी के चलते लालू के साथ गए और आरजेडी जिंदा हो गयी. जनता ने इन्हें नकार दिया था. लेकिन बीजेपी को केन्द्र की तरह मुखर और प्रखर होना पड़ेगा. बिहार में कभी भी क्षेत्रवाद नहीं रहा. राष्ट्रवाद का मुद्दा हावी रहा. नगर निकाय के चुनाव, विधानसभा चुनाव के उपचुनाव में जिस तरह के नतीजे आए हैं, इसके अलावा नड्डा के मुजफ्फरपुर में जिस तरह की रैली हुई, उससे साफ है कि आगे क्या संकेत है.
उन्होंने तो सूत्रों के हवाले से यहां तक कहा कि आज जेडीयू की हालत क्या हो गई है. अवधेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश को लेकर उनकी पार्टी के नेता नाराज है. उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि नीतीश की पार्टी के ही 2 नेताओं ने कहा कि वो बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं.
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