जीएसटी 1 जुलाई से, नियंत्रण को लेकर विवाद खत्म

नई दिल्लीः पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी पहली अप्रैल के बजाए पहली जुलाई से लागू होगी. उधर, नयी कर व्यवस्था को लेकर तमाम लंबित मुद्दों पर केंद्र और राज्यों के बीच सहमति बन गयी जिसके बाद बजट सत्र के दूसरे हिस्से में विधायी कार्य पूरा करने की योजना है.
उद्योग जगत और कारोबारी-व्यापारियों के लिए पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था यानी जीएसटी को लेकर स्थिति अब साफ हो गयी है. कानून बनाने, नियम तय करने और दर वगैरह के मामले में काम पूरा करने में लगने वाले समय को देखते हुए केंद्र ने राज्यों से जीएसटी लागू करने की तारीख के बारे में राय पूछी और उसी आधार पर सहमति बनी कि नयी व्यवस्था तीन महीने बाद लागू की जाए.
वित्त मंत्री अरुण जेटली कह रहे हैं कि मार्च तक बचे हुए काम पूरा हो जाने की उम्मीद है. इसी को देखते हुए नयी कर व्यवस्था लागू करने की तारीख पहली जुलाई ज्यादा उपयुक्त लग रहा है और इस पर राज्यों की सहमति है
- उद्योग, व्यापारियों और कारोबारियों पर नियंत्रण और नियमन के बारे में भी केंद्र और राज्यों के बीच फॉर्मूला तय हो गया. इसके मुताबिक
- डेढ़ करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार करने वालों में से 90 फीसदी पर राज्य का नियंत्रण होगा जबकि बाकी 10 फीसदी पर केंद्र सरकार का.
- डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा का सालाना कारोबार करने वालो में 50 फीसदी पर राज्य और बाकी पर केंद्र का नियंत्रण होगा.
- नियंत्रण से यहां मतलब कर व्यवस्था लागू करने, जरुरी कार्रवाई करने और रिटर्न स्वीकार करने का है.
- किन पर नियंत्रण केंद्र का होगा और किन पर राज्य, ये काम कंप्यूटर तय करेगा, यानी इसमें ना तो केंद्र का दखल होगा और ना ही राज्य का.
- दो या तीन साल बाद तय सूची की समीक्षा की जाएगी.
कर चोरी करने वालों या धांधली करने वालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई जिसके बाद तय हुआ कि गिरफ्तारी तो होगी. लेकिन यदि चोरी या धांधली की रकम दो करोड़ रुपये से कम है तो तुरंत जमानत दे दी जाएगी. केंद्र का कहना है कि ये भारतीय दंड विधान की धारा से बिल्कुल अलग है जहां चार सौ बीसी के मामले में तुरंत जमानत नहीं मिलती.
अब काउंसिल की अगली बैठक 18 फरवरी को बुलायी गयी है ताकि सहमति के मुद्दों के आधार पर कानून के मसौदे को मंजूर किया जा सके. इसके बाद संसद में जीएसटी से जुड़े तीन कानून, सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (सीजीएसटी), इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (आईजीएसटी) और मुआवजा विधेयक को पारित कराया जाएगा जबकि स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी एसजीएसटी से जुड़े कानून को 29 राज्य और 2 केद्र शासित प्रदेश (दिल्ली और पुड्डुचेरी) के विधानसभाओं से पारित कराया जाएगा.
अब सबकी नजर जीएसटी की दर पर होगी. वैसे तो अधिकारियों का एक समूह इस काम में लगा है लेकिन अभी तक जो खाका खींचा गया है, उसके मुताबिक जीएसटी की चार दरें - 5, 12. 18 और 24 फीसदी- होगी. इसके मुताबिक
- आम इस्तेमाल की बड़ी खपत वाले सामान पर जीएसटी की दर 5 फीसदी होगी.
- 12 और 18 फीसदी की दो स्टैंडर्ड रेट रखी गयी है. रोजमर्रा के सामान जैसे साबुन, शैंपू, शेविंग क्रीम वगैरह इस सूची में आ सकते हैं
- 28 फीसदी की दर टीवी, फ्रिज जैसे व्हाइट गुड्स और सामान्य कारों के लिए होगी.
एरिटेड ड्रिंक्स, पान मसाला, तंबाकू के उत्पाद और लग्जरी सामान पर जीएसटी की दर 28 फीसदी होगी, लेकिन इसके अलावा इन सामान पर सेस भी लगेगा. इन सामान पर कुल टैक्स की मौजूदा दर और 28 फीसदी के बीच के बराबर सेस लगेगा. मसलन, अभी यदि ऐसे किसी सामान पर केंद्र और राज्य के टैक्स को मिलाकर कुल 40 फीसदी की दर से टैक्स लगता है तो उस पर सेस की दर 12 फीसदी होगी. फिलहाल, अधिकारियो का समूह हर सामान के लिए दर को अंतिम रुप देगा. इस पर जीएसटी काउंसिल की मुहर जरुरी होगी जिसके बाद वो लागू हो सकेगा.
Source: IOCL





















