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जानिए बजट से पहले क्यों होती है हलवा सेरेमनी, क्या है इसका बजट से संबंध

हर साल बजट पेश होने से पहले 'हलवा सेरेमनी' की रस्म मनाई जाती है. जिसके बाद आधिकारिक तौर पर बजट छपाई के लिए भेजा जाता है. इस सरेमनी में वित्त मंत्री हलवा बनाकर अपने विभाग में बांटते हैं. इसके पीछे कोई आधिकारिक वजह नहीं है, लेकिन ये एक स्वस्थ परंपरा के रूप में लगातार मनाया जाता रहा है.

नई दिल्लीः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना दूसरा बजट 1 फरवरी 2020 को पेश करने जा रही हैं. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में ये उनका दूसरा बजट होगा. उन्होंने अपना पहला बजट 5 जुलाई 2019 को पेश किया था. इस बार के बजट में निर्मला सीतारमण के सामने ढेर सारी चुनौतियां हैं क्योंकि अर्थव्यवस्था की हालत अच्छी नहीं है. सरकार ने अनुमान दिया है कि देश की जीडीपी 5 फीसदी के स्तर पर आ सकती है और खुदरा महंगाई साढ़े पांच साल के उच्चतम स्तर पर जा पहुंची है. बेरोजगारी की समस्या का निदान होता हुआ नहीं दिख रहा है और ऑटो कंपनियों की बिक्री में लगातार गिरावट देखी जा रही है. इसके अलावा और भी कई समस्याएं हैं जिनके चलते वित्त मंत्री को इस बजट में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. बजट पेश करने के लिए आर्थिक जानकारों, अधिकारियों की पूरी टीम तैयारी कर रही है.

बता दें कि बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 11 फरवरी तक होगा और दूसरा चरण दो मार्च से तीन अप्रैल तक होगा. वित्त वर्ष 2020-21 का आम बजट एक फरवरी को लोकसभा में पेश किया जाएगा. हालांकि इससे पहले बजट दस्तावेजों की छपाई का काम होगा और इसकी शुरुआत हलवा सेरेमनी के साथ होगी. यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि हलवा सेरेमनी क्या होती है और इसका बजट प्रकिया में क्या अहम स्थान है.

क्यों मनाई जाती है हलवा सेरेमनी हलवा सेरेमनी के पीछे मान्यता रही है कि हर शुभ काम को करने से पहले कुछ मीठा खाना चाहिए, साथ ही भारतीय परंपरा में हलवे को काफी शुभ भी माना जाता है. इसीलिए बजट जैसे बड़े इवेंट के लिए दस्तावेजों की छपाई से पहले इस सेरेमनी का आयोजन किया जाता है. इस परंपरा के तहत वर्तमान वित्त मंत्री खुद बजट से जुड़े कर्मचारियों, बजट की छपाई से जुड़े कर्मचारियों और वित्त अधिकारियों को हलवा बांटते हैं. इस हलवे के बनने और बंटने के बाद ही बजट के दस्तावेजों के छापने की प्रक्रिया शुरू होती है.

अधिकारियों का दुनिया से संपर्क कट जाता है बजट की छपने की प्रक्रिया के शुरू होने से लेकर बजट के संसद में रखे जाने तक इन अधिकारियों को किसी से भी संपर्क करने की इजाजत नहीं होती है. इसके तहत नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में बने प्रिटिंग प्रेस में अगले कुछ दिन तक वित्त मंत्रालय के करीब 100 कर्मचारी रहते हैं. उन्हें फोन करने की भी इजाजत नहीं होती और किसी को उनसे मिलने की मंजूरी नहीं होती है. बजट के छपने और इसके संसद के पटल पर रखने के बीच के दौरान अधिकारियों को अपने परिवार तक से मिलने की इजाजत नहीं होती है. नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में बने प्रिंटिंग प्रेस में इन अधिकारी-कर्मचारियों को लगभग लॉक कर दिया जाता है. यहां केवल एक लैंडलाइन होता है जिसपर इनकमिंग की सुविधा होती है और इसके अलावा उनसे संपर्क करने का कोई तरीका नहीं होता. संपर्क भी केवल आधिकारिक कार्य तक के लिए ही संभव होता है.

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