इन खूबियों की वजह से 1997-98 के बजट को कहा जाता है 'ड्रीम बजट'
1997-98 के बजट में सरकार ने वॉलंटियरी डिसक्लोजर ऑफ इनकम स्कीम (वीडीआईएस) लॉन्च की थी. इसके साथ ही कॉरपोरेट टैक्स पर सरचार्ज घटा दिया गया था. इन सब के कारण देश की इकोनॉमी पर काफी असर पड़ा था. जिस वजह से इसे 'ड्रीम बजट' कहा गया था.
नई दिल्ली: मोदी सरकार जल्द अपने कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करने वाली है. अब जबकि ये मोदी सरकार के कार्यकाल का आखिरी साल है तो इस साल का बजट 'आम बजट' न होकर 'अंतरिम बजट' होगा. बजट तैयार करते वक्त सरकारों की कोशिश होती है कि उसमें समाज के सभी वर्गों का पूरा ध्यान रखा जाए और देश की आर्थिक प्रगति भी सही दिशा में हो. आजाद भारत में इतिहास में ऐसा ही एक बजट 1997-98 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के द्वारा पेश किया गया था. इस बजट की खूबी के कारण इसे 'ड्रीम बजट' कहा गया था.
28 फरवरी, 1997 को पेश किए गए बजट के जरिए सरकार ने देश के इकोनॉमिक रिफॉर्म का रोडमैप तैयार किया था. तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने टैक्स रिफॉर्म में कई प्रयोग किए थे. इस बजट में टैक्स प्रावधान को तीन अलग स्लैब में बांट दिया गया था. इसके साथ ही इसमें काले धन को सामने लाने के लिए वॉलंटियरी डिसक्लोजर ऑफ इनकम स्कीम (वीडीआईएस) लॉन्च की गई थी. औद्योगिक विकास को ध्यान में रखते हुए कॉरपोरेट के टैक्स पर सरचार्ज घटा दिया गया था.
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पी चिदंबरम के द्वारा किए गए इन सुधारों का काफी व्यापक असर भी हुआ था और लोगों ने अपनी आय का भी खुलासा किया था. इस दौरान सरकार की पर्सनल इनकम टैक्स से 18,700 करोड़ रुपए आय हुई थी. खास बात ये थी उस वक्त पी चिदंबरम कांग्रेस का हिस्सा नहीं थे बल्कि वो देवगौड़ा गठबंधन सरकार में शामिल थे.
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बता दें कि मोदी सरकार जल्द ही अपने मौजूदा कार्यकाल के आखिरी साल का 'बजट' देश के सामने पेश करने वाली है. अंतरिम बजट को संविधान के अनुच्छेद 116 के तहत पेश किया जाता है. इसमें सरकार किसी भी तरह का कोई नया टैक्स नहीं लगाती है और न ही इसमें कोई नीतिगत फैसला लेती है.
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